मध्यप्रदेश में खनिज उत्खनन और उत्पादन:
मध्यप्रदेश, भारत के “हृदय प्रदेश” के रूप में जाना जाता है, विभिन्न प्रकार के खनिजों का खनन और उत्पादन करता है। यह राज्य देश के कुल खनिज उत्पादन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा योगदान देता है।
मध्यप्रदेश में खनन किए जाने वाले प्रमुख खनिजों में शामिल हैं:
- धातुएँ: लोहा, तांबा, मैंगनीज, एल्यूमीनियम, सीसा, जस्ता, टिन
- अलौह धातुएँ:
- औद्योगिक खनिज: चूना पत्थर, डोलोमाइट, जिप्सम, फायरक्ले
- निर्माण खनिज: रेत, ग्रेनाइट, मार्बल, क्वार्टजाइट
खनिज उत्खनन की प्रक्रिया:
खनिज उत्खनन की प्रक्रिया में अन्वेषण, खनन और खनिज प्रसंस्करण शामिल हैं:
- अन्वेषण: भूवैज्ञानिकों द्वारा खनिज भंडारों का पता लगाने और उनका मूल्यांकन करने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है।
- खनन: खनिजों को जमीन से निकालने के लिए विभिन्न तरीकों का उपयोग किया जाता है, जैसे कि खुले खनन, भूमिगत खनन और ड्रेजिंग।
- खनिज प्रसंस्करण: खनिज अयस्कों को शुद्ध धातुओं या अन्य उपयोगी उत्पादों में बदलने के लिए विभिन्न प्रक्रियाओं का उपयोग किया जाता है।
मध्यप्रदेश में खनिज उत्पादन:
मध्यप्रदेश देश के प्रमुख खनिज उत्पादक राज्यों में से एक है। राज्य का खनिज उत्पादन पिछले कुछ वर्षों में लगातार बढ़ रहा है। 2022-23 में, राज्य का कुल खनिज उत्पादन ₹ 50,000 करोड़ से अधिक होने का अनुमान है।
खनिज उत्खनन और उत्पादन का महत्व:
- आर्थिक विकास: खनिज उद्योग राज्य के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
- रोजगार सृजन: खनन उद्योग राज्य में हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
- राजस्व सृजन: राज्य सरकार को खनिज रॉयल्टी और करों से राजस्व प्राप्त होता है।
- औद्योगिक विकास: खनिजों का उपयोग सीमेंट, स्टील और अन्य उद्योगों को विकसित करने के लिए किया जाता है।
खनिजों के उत्खनन की तकनीक और विधियाँ:
राज्य में खनिजों का उत्खनन विभिन्न तकनीकों और विधियों का उपयोग करके किया जाता है, जो खनिज के प्रकार, भंडार की गहराई और स्थलाकृति पर निर्भर करता है।
1. खुला खनन:
- यह सबसे आम खनन विधि है, जिसका उपयोग सतह के करीब स्थित खनिज भंडारों के लिए किया जाता है।
- इसमें भारी मशीनरी का उपयोग करके खनिज अयस्क को जमीन से निकाला जाता है।
- खुले खनन का उपयोग लोहा, तांबा, मैंगनीज, चूना पत्थर और रेत जैसे खनिजों के लिए किया जाता है।
2. भूमिगत खनन:
- यह विधि गहरे स्थित खनिज भंडारों के लिए उपयोग की जाती है।
- इसमें शाफ्ट और सुरंगों का निर्माण करके खनिज अयस्क तक पहुंचा जाता है।
- भूमिगत खनन का उपयोग कोयला, तांबा, सीसा-जस्ता और बॉक्साइट जैसे खनिजों के लिए किया जाता है।
3. ड्रेजिंग:
- यह विधि नदियों और झीलों के तलछट में पाए जाने वाले खनिजों के लिए उपयोग की जाती है।
- इसमें पानी के जेट का उपयोग करके खनिज अयस्क को निकाला जाता है।
- ड्रेजिंग का उपयोग रेत, बजरी और चूना पत्थर जैसे खनिजों के लिए किया जाता है।
4. हाइड्रोलिक खनन:
- यह विधि उच्च दबाव वाले पानी के जेट का उपयोग करके खनिज अयस्क को जमीन से निकालने के लिए उपयोग की जाती है।
- इसका उपयोग कठोर चट्टानों में पाए जाने वाले खनिजों के लिए किया जाता है।
- हाइड्रोलिक खनन का उपयोग लोहा, तांबा और बॉक्साइट जैसे खनिजों के लिए किया जाता है।
5. विस्फोटक खनन:
- यह विधि कठोर चट्टानों को तोड़ने के लिए विस्फोटकों का उपयोग करती है।
- इसका उपयोग गहरे स्थित खनिज भंडारों तक पहुंचने के लिए भी किया जाता है।
- विस्फोटक खनन का उपयोग लोहा, तांबा और बॉक्साइट जैसे खनिजों के लिए किया जाता है।
मध्यप्रदेश में खनिज उत्खनन से जुड़ी चुनौतियाँ:
- पर्यावरणीय प्रभाव: खनन गतिविधियों से वायु और जल प्रदूषण, वनस्पतियों और जीवों का नुकसान और मिट्टी का क्षरण हो सकता है।
- सामाजिक प्रभाव: खनन गतिविधियों से विस्थापन, पुनर्वास और सामाजिक संघर्ष हो सकता है।
- सुरक्षा: खनन गतिविधियों में दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है।
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