मध्यप्रदेश, यह देश के कुल खनिज उत्पादन का लगभग 7% योगदान देता है, और खनिजों के मामले में भारत का चौथा सबसे समृद्ध राज्य है। राज्य में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं, जिनमें धातु, अधातु, और ऊर्जा खनिज शामिल हैं।
प्रमुख खनिज संसाधन:
मध्य प्रदेश खनिज संसाधनों में समृद्ध राज्य है और यह भारत के खनिज उत्पादन में महत्वपूर्ण योगदान देता है। राज्य में विभिन्न प्रकार के खनिज पाए जाते हैं जो आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहाँ कुछ मुख्य खनिज संसाधनों के बारे में विवरण दिया गया है:
1. कोयला (Coal)
मध्यप्रदेश भारत के उन चुनिंदा राज्यों में से एक है जहाँ कोयला पाया जाता है। यह राज्य कुल भारतीय कोयला भंडार का लगभग 1.2% हिस्सा रखता है।
मध्यप्रदेश में कोयला क्षेत्र:
राज्य में मुख्य रूप से दो कोयला क्षेत्र हैं:
- सोनबेड कोयला क्षेत्र: यह सिंहपुर, शहडोल और उमरिया जिलों में फैला हुआ है। यह क्षेत्र राज्य के कुल कोयला भंडार का 90% से अधिक हिस्सा रखता है।
- जोगमांडा कोयला क्षेत्र: यह सिवनी जिले में स्थित है। यह क्षेत्र राज्य के कुल कोयला भंडार का 10% से कम हिस्सा रखता है।
मध्यप्रदेश में कोयला का प्रकार:
मध्यप्रदेश में पाया जाने वाला कोयला भूरा कोयला (लिग्नाइट) है। यह कम ऊर्जा वाला कोयला होता है, जिसका उपयोग विद्युत उत्पादन और औद्योगिक उद्देश्यों के लिए किया जाता है।
मध्यप्रदेश में कोयला खनन:
मध्यप्रदेश में सरकारी और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा कोयला खनन किया जाता है। भारतीय खनिज निगम लिमिटेड (एससीसीएल) राज्य में सबसे बड़ा कोयला खननकर्ता है।
मध्यप्रदेश में कोयला का महत्व:
- विद्युत उत्पादन: मध्यप्रदेश में उत्पादित कोयला का उपयोग राज्य के थर्मल पावर प्लांटों में बिजली उत्पादन के लिए किया जाता है।
- औद्योगिक विकास: कोयले का उपयोग सीमेंट, स्टील और अन्य उद्योगों में भी किया जाता है।
- रोजगार: कोयला खनन क्षेत्र राज्य में हजारों लोगों को रोजगार प्रदान करता है।
मध्यप्रदेश में कोयला खनन से जुड़ी चुनौतियाँ:
- पर्यावरणीय प्रभाव: कोयला खनन से वायु और जल प्रदूषण हो सकता है।
- सामाजिक प्रभाव: कोयला खनन से विस्थापन और पुनर्वास की समस्याएं हो सकती हैं।
- सुरक्षा: कोयला खदानों में दुर्घटनाओं का खतरा हमेशा बना रहता है।
2. लोहा अयस्क (Iron Ore)
- खान क्षेत्र: बैतूल और शिवपुरी जिले प्रमुख लोहा अयस्क उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: इस्पात उत्पादन में प्रमुख रूप से उपयोग होता है।
3. बॉक्साइट (Bauxite)
- खान क्षेत्र: रीवा, शहडोल, और सतना जिले मुख्य बॉक्साइट उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: एल्यूमिनियम उत्पादन में प्रमुख रूप से उपयोग होता है।
4. मैंगनीज (Manganese)
- खान क्षेत्र: बालाघाट, छिंदवाड़ा, और जबलपुर जिले प्रमुख मैंगनीज उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: इस्पात उद्योग, बैटरी निर्माण, और रासायनिक उद्योगों में उपयोग होता है।
5. तांबा (Copper)
- खान क्षेत्र: बालाघाट जिला प्रमुख तांबा उत्पादक क्षेत्र है।
- उपयोग: बिजली के तार, इलेक्ट्रॉनिक्स, और विभिन्न उपकरणों में उपयोग होता है।
6. चूना पत्थर (Limestone)
- खान क्षेत्र: सतना, रीवा, कटनी, और धार जिले मुख्य चूना पत्थर उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: सीमेंट उद्योग में प्रमुख रूप से उपयोग होता है।
7. डोलोमाइट (Dolomite)
- खान क्षेत्र: मंडला, बालाघाट, और कटनी जिले प्रमुख डोलोमाइट उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: इस्पात उत्पादन, कांच, और सिरेमिक उद्योगों में उपयोग होता है।
8. ग्रेनाइट (Granite)
- खान क्षेत्र: छतरपुर, पन्ना, और टीकमगढ़ जिले प्रमुख ग्रेनाइट उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: निर्माण, स्मारक, और सजावटी उद्देश्यों में उपयोग होता है।
9. डायमंड (Diamond)
- खान क्षेत्र: पन्ना जिला प्रमुख डायमंड उत्पादक क्षेत्र है।
- उपयोग: आभूषण और औद्योगिक उपकरणों में उपयोग होता है।
10. क्ले (Clay)
- खान क्षेत्र: छतरपुर, सतना, और रीवा जिले प्रमुख क्ले उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: सिरेमिक, ईंट, और पॉटरी उद्योगों में उपयोग होता है।
11. जिप्सम (Gypsum)
- खान क्षेत्र: गुना और मुरैना जिले प्रमुख जिप्सम उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: सीमेंट, प्लास्टर, और उर्वरक उद्योगों में उपयोग होता है।
12. रॉक फॉस्फेट (Rock Phosphate)
- खान क्षेत्र: सागर और छतरपुर जिले प्रमुख रॉक फॉस्फेट उत्पादक क्षेत्र हैं।
- उपयोग: उर्वरक उद्योग में प्रमुख रूप से उपयोग होता है।
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