मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है। राज्य की उपजाऊ भूमि और अनुकूल जलवायु इसे कृषि उत्पादन के लिए उपयुक्त बनाते हैं। राज्य में मुख्य रूप से दो कृषि ऋतुएँ होती हैं: रबी और खरीफ। इन दोनों ऋतुओं में उगाई जाने वाली प्रमुख खाद्यान्न फसलें निम्नलिखित हैं:
प्रमुख खाद्यान्न फसलें
रबी फसलें (सर्दियों की फसलें)
- गेहूँ (Wheat):
- मध्यप्रदेश में गेहूँ की खेती बड़े पैमाने पर की जाती है।
- यह फसल मुख्यतः अक्टूबर-नवंबर में बोई जाती है और मार्च-अप्रैल में काटी जाती है।
- राज्य का मालवा क्षेत्र गेहूँ उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
- चना (Chickpea):
- चना भी राज्य की प्रमुख रबी फसलों में से एक है।
- इसे अक्टूबर-नवंबर में बोया जाता है और मार्च-अप्रैल में काटा जाता है।
- राज्य का बुंदेलखंड और मालवा क्षेत्र चना उत्पादन के लिए जाना जाता है।
- मसूर (Lentil):
- मसूर दाल की खेती भी रबी सीजन में की जाती है।
- यह फसल शीतकाल में बोई जाती है और गर्मियों के प्रारंभ में काटी जाती है।
- सरसों (Mustard):
- सरसों की खेती भी रबी सीजन में की जाती है।
- इसे तेलहन फसल के रूप में उगाया जाता है और इसका उत्पादन मुख्यतः दिसंबर-जनवरी में होता है।
- मटर (Peas):
- मटर भी राज्य में उगाई जाने वाली प्रमुख रबी फसलों में शामिल है।
- इसे सर्दियों में बोया जाता है और वसंत ऋतु में काटा जाता है।
खरीफ फसलें (गर्मियों की फसलें)
- धान (Rice):
- धान की खेती राज्य के कई हिस्सों में की जाती है, विशेष रूप से निमाड़ और बुंदेलखंड क्षेत्रों में।
- यह फसल मानसून के मौसम में (जून-जुलाई) बोई जाती है और अक्टूबर-नवंबर में काटी जाती है।
- मक्का (Maize):
- मक्का की खेती भी खरीफ सीजन में की जाती है।
- इसे जून-जुलाई में बोया जाता है और अक्टूबर-नवंबर में काटा जाता है।
- राज्य के निमाड़ और विंध्य क्षेत्र मक्का उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं।
- उड़द (Black Gram):
- उड़द की खेती भी खरीफ सीजन में की जाती है।
- इसे मानसून के मौसम में बोया जाता है और सितंबर-अक्टूबर में काटा जाता है।
- मूंग (Green Gram):
- मूंग भी खरीफ सीजन की प्रमुख फसलों में से एक है।
- इसे जून-जुलाई में बोया जाता है और अगस्त-सितंबर में काटा जाता है।
- बाजरा (Pearl Millet):
- बाजरा भी खरीफ सीजन की फसल है।
- इसे मानसून के मौसम में बोया जाता है और सितंबर-अक्टूबर में काटा जाता है।
प्रमुख नकदी फसलें
मध्यप्रदेश की प्रमुख नकदी फसलें राज्य की कृषि अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। नकदी फसलें वे फसलें होती हैं जो मुख्य रूप से बाजार में बेचने के लिए उगाई जाती हैं और किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ प्रदान करती हैं। मध्यप्रदेश में निम्नलिखित प्रमुख नकदी फसलें उगाई जाती हैं:
- सोयाबीन:
- मध्यप्रदेश को “सोयाबीन का कटोरा” कहा जाता है।
- यह प्रमुख नकदी फसल है जो तेल और प्रोटीन के स्रोत के रूप में उपयोग की जाती है।
- सोयाबीन से तेल निकालने के बाद उसका खली (केक) पशु आहार के रूप में उपयोग होता है।
- गन्ना:
- गन्ना एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है जो मुख्य रूप से चीनी और गुड़ बनाने के लिए उपयोग होती है।
- गन्ने से चीनी मिल उद्योग को बड़ा समर्थन मिलता है और इससे जुड़े कई सहायक उद्योग भी विकसित होते हैं।
- कपास:
- कपास की खेती से कपड़ा उद्योग को कच्चा माल मिलता है।
- कपास के रेशे से विभिन्न वस्त्र बनते हैं और इसके बीज से तेल और खली बनती है।
- तेंदू पत्ता:
- तेंदू पत्ता मुख्य रूप से बीड़ी बनाने के लिए उपयोग होता है।
- यह वन उत्पाद है, लेकिन इसे नकदी फसल के रूप में भी गिना जाता है क्योंकि इसका विपणन और बिक्री किसानों को आर्थिक लाभ देती है।
- चाय:
- मध्यप्रदेश में चाय की खेती भी की जाती है, खासकर राज्य के पहाड़ी क्षेत्रों में।
- चाय उत्पादन से राज्य के किसानों को अच्छा आर्थिक लाभ मिलता है।
- मूंगफली:
- मूंगफली भी एक महत्वपूर्ण नकदी फसल है, जिसका उपयोग तेल निकालने और खाने के लिए किया जाता है।
- मूंगफली का उत्पादन राज्य में व्यापक स्तर पर होता है और इसका विपणन किसानों के लिए लाभकारी होता है।
फल
- संतरा (ऑरेंज):
- क्षेत्र: छिंदवाड़ा, मंदसौर, और शाजापुर जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजे फल, जूस, और प्रोसेस्ड उत्पादों में।
- आम (मैंगो):
- क्षेत्र: होशंगाबाद, नरसिंहपुर, और बैतूल जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजे फल, अचार, और विभिन्न प्रोसेस्ड उत्पादों में।
- केला (बनाना):
- क्षेत्र: खंडवा, बड़वानी, और खरगोन जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजे फल, चिप्स, और अन्य प्रोसेस्ड उत्पादों में।
- पपीता (पपाया):
- क्षेत्र: इंदौर, उज्जैन, और धार जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजे फल, सलाद, और प्रोसेस्ड उत्पादों में।
- अमरूद (ग्वावा):
- क्षेत्र: ग्वालियर, शिवपुरी, और रीवा जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजे फल, जूस, और जेली में।
सब्जियाँ
- टमाटर (टोमेटो):
- क्षेत्र: सागर, नरसिंहपुर, और छिंदवाड़ा जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजा, सॉस, और विभिन्न प्रोसेस्ड उत्पादों में।
- आलू (पोटैटो):
- क्षेत्र: होशंगाबाद, विदिशा, और रतलाम जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजा, चिप्स, और विभिन्न प्रोसेस्ड उत्पादों में।
- प्याज (ओनियन):
- क्षेत्र: नीमच, मंदसौर, और शाजापुर जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजा, प्रोसेस्ड, और मसालों में।
- बैंगन (ब्रिंजल):
- क्षेत्र: भोपाल, सीहोर, और होशंगाबाद जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: ताजा, प्रोसेस्ड, और विभिन्न व्यंजनों में।
मसाले
- धनिया (कोरिएंडर):
- क्षेत्र: मंदसौर, नीमच, और रतलाम जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: मसालों में और ताजे पत्ते के रूप में।
- हल्दी (टर्मरिक):
- क्षेत्र: खंडवा, बड़वानी, और छिंदवाड़ा जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: मसालों में और औषधीय रूप में।
- मिर्च (चिल्ली):
- क्षेत्र: धार, खरगोन, और रतलाम जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: मसालों में और प्रोसेस्ड रूप में।
फूल
- गेंदा (मैरीगोल्ड):
- क्षेत्र: भोपाल, इंदौर, और उज्जैन जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: सजावट, धार्मिक समारोहों, और औषधीय प्रयोजनों में।
- गुलाब (रोज):
- क्षेत्र: भोपाल, इंदौर, और जबलपुर जिलों में प्रमुखता से उगाया जाता है।
- उपयोग: सजावट, इत्र, और औषधीय प्रयोजनों में।
- गेंदा (मैरीगोल्ड):
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