1. मध्यप्रदेश खनिज नीति
- उद्देश्य: खनिज संसाधनों के सतत और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करना, निवेश को आकर्षित करना, और खनन क्षेत्र में रोजगार सृजन को प्रोत्साहित करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- पर्यावरणीय और सामाजिक मानकों का पालन।
- खनिज संसाधनों के मूल्यवर्धन को प्रोत्साहन।
- खनन क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास।
- स्थानीय समुदायों के विकास और पुनर्वास के लिए विशेष योजनाएँ।
2. राष्ट्रीय खनिज अन्वेषण नीति (National Mineral Exploration Policy)
- उद्देश्य: खनिज अन्वेषण को बढ़ावा देना और अन्वेषण गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- खनिज अन्वेषण में नवीनतम तकनीकों का उपयोग।
- अन्वेषण के लिए निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की साझेदारी को प्रोत्साहन।
3. प्रधानमंत्री खनिज क्षेत्र कल्याण योजना (PMKKKY)
- उद्देश्य: खनन प्रभावित क्षेत्रों में सामाजिक, आर्थिक, और बुनियादी ढांचे के विकास के लिए कार्य करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- स्वास्थ्य, शिक्षा, और कौशल विकास कार्यक्रम।
- जल आपूर्ति, स्वच्छता, और पर्यावरण संरक्षण।
- स्थानीय लोगों की आजीविका सुधार के लिए परियोजनाएँ।
4. खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन अधिनियम, 2015 (Mines and Minerals (Development and Regulation) Amendment Act, 2015)
- उद्देश्य: खनन पट्टों की नीलामी प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना और खनन गतिविधियों में सतत विकास को प्रोत्साहित करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- खनन पट्टों के आवंटन के लिए ई-नीलामी।
- खनिज विकास और अन्वेषण में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहन।
5. खनिज सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण योजना (Mineral Conservation and Development Rules, 2017)
- उद्देश्य: खनिज संसाधनों के संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के उपायों को लागू करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- खनिज अपव्यय को कम करने के लिए नियम और दिशानिर्देश।
- खदानों के बंद होने पर पुनर्वास और पुनर्स्थापन की योजना।
6. वन और पर्यावरण संरक्षण अधिनियम
- उद्देश्य: खनन गतिविधियों के पर्यावरणीय प्रभावों को कम करना और वन क्षेत्रों की रक्षा करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- खनन परियोजनाओं के लिए वन मंजूरी।
- पर्यावरणीय प्रभाव आकलन (EIA) और पर्यावरणीय मंजूरी।
7. स्थानीय समुदायों के लिए विकास योजनाएँ
- उद्देश्य: खनन प्रभावित क्षेत्रों में स्थानीय समुदायों के सामाजिक और आर्थिक विकास को सुनिश्चित करना।
- मुख्य विशेषताएँ:
- CSR (Corporate Social Responsibility) के तहत शिक्षा, स्वास्थ्य, और बुनियादी सुविधाओं में निवेश।
- कौशल विकास और रोजगार सृजन के कार्यक्रम।
8. मध्यप्रदेश खनिज रॉयल्टी नीति, 2021
- इस नीति का उद्देश्य खनिज संसाधनों से प्राप्त राजस्व को अधिकतम करना है।
- यह नीति खनिज रॉयल्टी दरों को खनिज के प्रकार और बाजार मूल्य के आधार पर निर्धारित करती है।
- यह नीति खनिज रॉयल्टी के भुगतान के लिए ऑनलाइन प्रणाली स्थापित करती है।
9. मध्यप्रदेश खनिज उत्खनन और खनिज प्रसंस्करण नीति, 2022
- इस नीति का उद्देश्य खनिज संसाधनों का नैतिक और टिकाऊ खनन सुनिश्चित करना है।
- यह नीति खनन गतिविधियों से होने वाले पर्यावरणीय प्रभावों को कम करने के लिए उपायों को निर्धारित करती है।
- यह नीति खनन गतिविधियों से प्रभावित स्थानीय समुदायों के विकास के लिए उपायों को निर्धारित करती है।
10. मध्यप्रदेश खनिज अन्वेषण नीति, 2023
- इस नीति का उद्देश्य राज्य में खनिज संसाधनों के अन्वेषण को बढ़ावा देना है।
- यह नीति खनिज अन्वेषण के लिए आर्थिक प्रोत्साहन प्रदान करती है।
- यह नीति खनिज अन्वेषण के लिए आधुनिक तकनीकों के उपयोग को प्रोत्साहित करती है।
खनन के लिए लाइसेंस और परमिट प्रक्रिया
मध्यप्रदेश में खनिज संसाधनों के खनन के लिए लाइसेंस और परमिट प्राप्त करने की प्रक्रिया निर्धारित की गई है। यह प्रक्रिया खनिज और खनिज (विकास और विनियमन) अधिनियम, 1957 (MMDR अधिनियम) और मध्यप्रदेश खनिज नियमावली के अनुसार संचालित होती है। यहाँ खनन के लिए लाइसेंस और परमिट प्रक्रिया का विवरण दिया गया है:
1. खनन पट्टे (Mining Leases) के प्रकार
- खनन पट्टा (Mining Lease): खनिजों के वाणिज्यिक खनन के लिए दी जाने वाली अनुमति।
- परिपत्र लाइसेंस (Prospecting License): खनिज संसाधनों की खोज और अन्वेषण के लिए।
- कसौटी लाइसेंस (Reconnaissance Permit): खनिजों की प्राथमिक खोज के लिए।
2. आवेदन प्रक्रिया
खनन पट्टा (Mining Lease)
- आवेदन जमा करना:
- आवेदक संबंधित जिले के खनिज अधिकारी को आवेदन जमा करता है।
- आवेदन में खनिज प्रकार, क्षेत्र का विवरण, और आवश्यक दस्तावेज संलग्न होते हैं।
- चयन प्रक्रिया:
- खनिज पट्टों का आवंटन ई-नीलामी के माध्यम से किया जाता है।
- इच्छुक पार्टियाँ निर्धारित तारीख पर ई-नीलामी में भाग लेती हैं।
- ई-नीलामी प्रक्रिया:
- खनिज विभाग द्वारा अधिसूचना जारी की जाती है।
- इच्छुक बोलीदाता ई-नीलामी में भाग लेते हैं और उच्चतम बोलीदाता को पट्टा आवंटित किया जाता है।
- मंजूरी और अनुबंध:
- उच्चतम बोलीदाता को राज्य सरकार से मंजूरी प्राप्त करनी होती है।
- मंजूरी के बाद पट्टे की शर्तों के अनुसार अनुबंध निष्पादित किया जाता है।
परिपत्र लाइसेंस (Prospecting License) और कसौटी लाइसेंस (Reconnaissance Permit)
- आवेदन जमा करना:
- संबंधित जिले के खनिज अधिकारी को आवेदन जमा करना।
- आवेदन में क्षेत्र का विवरण, योजना, और आवश्यक दस्तावेज शामिल होते हैं।
- जांच और मंजूरी:
- खनिज विभाग द्वारा आवेदन की जांच की जाती है।
- उचित जांच के बाद लाइसेंस जारी किया जाता है।
3. आवश्यक दस्तावेज
- आवेदन पत्र: निर्धारित प्रारूप में।
- प्रोजेक्ट रिपोर्ट: खनिज संसाधनों के खनन की योजना और अनुमानित प्रभाव।
- पर्यावरणीय मंजूरी: पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA) रिपोर्ट और पर्यावरणीय मंजूरी।
- भूमि स्वामित्व प्रमाण: भूमि के स्वामित्व या अनुबंध के प्रमाण पत्र।
- अन्य दस्तावेज: जैसे कंपनी पंजीकरण प्रमाण पत्र, आयकर पैन, और अन्य।
4. पर्यावरणीय और सामाजिक मंजूरी
- पर्यावरण प्रभाव आकलन (EIA): खनन परियोजना की पर्यावरणीय मंजूरी के लिए।
- सार्वजनिक सुनवाई: स्थानीय समुदायों की सहमति और उनके सुझावों को शामिल करना।
- वन मंजूरी: यदि खनन क्षेत्र वन भूमि में है तो वन विभाग से मंजूरी।
5. निरीक्षण और निगरानी
- खनिज विभाग द्वारा निरीक्षण: खनन गतिविधियों की निगरानी के लिए।
- पर्यावरण विभाग द्वारा निरीक्षण: पर्यावरणीय मानकों के पालन की सुनिश्चितता के लिए।
खनन में निजी और सार्वजनिक भागीदारी:
मध्यप्रदेश, भारत के “हृदय प्रदेश” के रूप में जाना जाता है, विभिन्न प्रकार के खनिज संसाधनों से समृद्ध है। राज्य में खनिज संसाधनों का खनन निजी और सार्वजनिक क्षेत्रों दोनों द्वारा किया जाता है।
निजी क्षेत्र की भागीदारी:
- खनिज उत्खनन: निजी कंपनियां खनिज ब्लॉकों की नीलामी में भाग लेकर खनिजों का खनन करती हैं।
- खनिज प्रसंस्करण: निजी कंपनियां खनिज अयस्क को धातुओं और अन्य उपयोगी उत्पादों में बदलने के लिए खनिज प्रसंस्करण संयंत्र स्थापित करती हैं।
- अनुसंधान और विकास: निजी कंपनियां खनन और खनिज प्रसंस्करण तकनीकों में अनुसंधान और विकास में निवेश करती हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की भागीदारी:
- खनिज अन्वेषण: भारतीय खनिज ब्यूरो (IBM) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम खनिज भंडारों का पता लगाने और उनका मूल्यांकन करते हैं।
- खनिज विकास: मध्यप्रदेश खनिज निगम (MPMC) जैसे सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम खनिजों का खनन और प्रसंस्करण करते हैं।
- नियामक ढांचा: मध्यप्रदेश खनिज विभाग खनन गतिविधियों को नियमित और नियंत्रित करता है।
निजी और सार्वजनिक भागीदारी के लाभ:
- निवेश में वृद्धि: निजी क्षेत्र की भागीदारी से खनिज क्षेत्र में निवेश में वृद्धि होती है।
- प्रौद्योगिकी हस्तांतरण: निजी कंपनियां आधुनिक खनन और खनिज प्रसंस्करण तकनीकों को लाती हैं।
- दक्षता में सुधार: निजी कंपनियां अधिक कुशलता से खनन और खनिज प्रसंस्करण का कार्य करती हैं।
- रोजगार सृजन: खनन क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में वृद्धि होती है।
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