लुप्तप्राय प्रजातियाँ वे प्रजातियाँ हैं जो विलुप्त होने के खतरे में हैं। इसका मतलब है कि उनके जीवित रहने की संभावना कम है और यदि उन्हें खतरों से बचाया नहीं जाता है तो वे जंगली में से गायब हो सकते हैं।
संरक्षित प्रजातियाँ वे प्रजातियाँ हैं जिन्हें सरकार द्वारा विलुप्त होने से बचाने के लिए विशेष सुरक्षा प्रदान की जाती है। इन प्रजातियों को शिकार, व्यापार या अन्य हानिकारक गतिविधियों से बचाया जाता है।
लुप्तप्राय और संरक्षित प्रजातियों के कुछ उदाहरण:
लुप्तप्राय प्रजातियाँ:
- बाघ:
- हाथी:
- गेंडा:
- चीता:
- कस्तूरी मृग:
- ब्लैक बक:
संरक्षित प्रजातियाँ:
- भेड़िया:
- भालू:
- हिरण:
- नीलगाय:
- जंगली कुत्ता:
- सांबर:
लुप्तप्राय और संरक्षित प्रजातियों को कई खतरों का सामना करना पड़ रहा है,
1. आवास का नुकसान और विखंडन:
- वनों की कटाई: वनों की कटाई प्राकृतिक आवासों को नष्ट करती है और उन्हें छोटे, अलग-थलग टुकड़ों में विभाजित करती है। इससे प्रजातियों की संख्या में कमी आ सकती है और उन्हें विलुप्त होने का खतरा बढ़ सकता है।
- कृषि विस्तार: कृषि भूमि के लिए वनों और अन्य प्राकृतिक आवासों को साफ किया जाता है, जिससे प्रजातियों के लिए रहने योग्य स्थान कम हो जाता है।
- शहरी विकास: शहरों और कस्बों के विस्तार से प्राकृतिक आवास नष्ट हो जाते हैं और प्रजातियाँ विस्थापित हो जाती हैं।
- बुनियादी ढांचे का विकास: सड़कों, बांधों और अन्य बुनियादी ढांचे के निर्माण से प्राकृतिक आवासों का नुकसान और विखंडन होता है।
2. शिकार और अवैध व्यापार:
- मांस के लिए शिकार: जंगली जानवरों का मांस भोजन और आय के लिए शिकार किया जाता है, जिससे उनकी संख्या में गिरावट आती है।
- अवैध व्यापार: जंगली जानवरों और उनके अंगों का अवैध व्यापार एक बड़ा और लाभदायक उद्योग है, जिससे कई प्रजातियों को गंभीर खतरा है।
- पारंपरिक दवा: कुछ संस्कृतियों में, पारंपरिक दवाओं में उपयोग के लिए जंगली जानवरों के अंगों की मांग होती है।
3. प्रदूषण:
- रसायनिक प्रदूषण: कृषि रसायनों, औद्योगिक अपशिष्ट और अन्य प्रदूषक प्राकृतिक आवासों को दूषित करते हैं और वनस्पतियों और जीवों के लिए हानिकारक होते हैं।
- जल प्रदूषण: गंदा पानी नदियों, झीलों और अन्य जल स्रोतों को दूषित करता है, जिससे जलीय जीवन को नुकसान होता है।
- वायु प्रदूषण: वायु प्रदूषण वनस्पतियों को नुकसान पहुंचा सकता है और श्वसन संबंधी समस्याएं पैदा कर सकता है जो वन्यजीवों को प्रभावित करती हैं।
4. जलवायु परिवर्तन:
- जलवायु परिवर्तन तापमान और वर्षा पैटर्न में बदलाव ला रहा है, जिससे प्राकृतिक आवास बदल रहे हैं और कई प्रजातियों के लिए खतरा पैदा हो रहा है।
- चरम मौसम की घटनाएं: सूखा, बाढ़ और जंगल की आग जैसी चरम मौसम की घटनाएं प्राकृतिक आवासों को नष्ट कर सकती हैं और प्रजातियों को विस्थापित कर सकती हैं।
- समुद्र का अम्लीकरण: महासागरों में कार्बन डाइऑक्साइड का बढ़ता स्तर उन्हें अधिक अम्लीय बना रहा है, जिससे समुद्री जीवन को नुकसान हो रहा है।
5. आक्रामक प्रजातियाँ:
- विदेशी प्रजातियाँ जो अपने नए वातावरण में प्राकृतिक शिकारियों या प्रतिस्पर्धियों के बिना पेश की जाती हैं, वे स्थानीय प्रजातियों को विस्थापित कर सकती हैं और पारिस्थितिकी तंत्र को बाधित कर सकती हैं।
इन प्रजातियों की रक्षा के लिए कई प्रयास किए जा रहे हैं, जिनमें शामिल हैं:
- संरक्षित क्षेत्र: राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य और संरक्षित वन जैसे संरक्षित क्षेत्रों का निर्माण और प्रबंधन।
- वनरोपण: वनों की कटाई से होने वाले नुकसान को पूरा करने के लिए वृक्षारोपण कार्यक्रम।
- अवैध शिकार पर रोक: अवैध शिकार को रोकने के लिए सख्त कानून और प्रवर्तन।
- मानव-वन्यजीव संघर्ष का प्रबंधन: मानव-वन्यजीव संघर्ष को कम करने के लिए शिक्षा और जागरूकता कार्यक्रम।
- अनुसंधान और विकास: वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियों के बारे में अनुसंधान और विकास को प्रोत्साहित करना।
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