मध्यप्रदेश में जैव विविधता संरक्षण बहुत महत्वपूर्ण है और राज्य में कई प्रमुख वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान हैं, जिनका मुख्य उद्देश्य वन्यजीव जीवन की संरक्षा और संवर्धन है।
जैव विविधता संरक्षण का महत्व:
- जैव विविधता का धनी समृद्धता: मध्यप्रदेश में अनेक प्रकार की वन्यजीव प्रजातियाँ, पक्षी, पशु, और पौधे पाए जाते हैं जो विशेष जैव विविधता को संकल्पित करते हैं। इनका संरक्षण बायोलॉजिकल बालंस और वातावरणीय सेवाओं के लिए आवश्यक है।
- प्राकृतिक संतुलन की रक्षा: वन्यजीव प्रजातियाँ और प्राकृतिक संसाधन जैसे कि जलवायु नियंत्रण, मृदा विरासत, और जैव उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। इनके अभाव में जलवायु परिवर्तन और अन्य पर्यावरणीय समस्याएँ भी उत्पन्न हो सकती हैं।
- प्राकृतिक अनुप्रयोगों का संरक्षण: मध्यप्रदेश में कई प्राकृतिक अनुप्रयोग और वन्यजीव अभयारण्य हैं जैसे कि कान्हा और बांधवगढ़ नेशनल पार्क, जिनका संरक्षण उनके प्रशंसकों के लिए महत्वपूर्ण है।
- पर्यटन और आर्थिक विकास: जैव विविधता के संरक्षण से पर्यटन उद्योग और स्थानीय आर्थिक विकास को भी फायदा पहुंचता है। वन्यजीव सफारी, ट्रेकिंग, और अन्य प्राकृतिक अनुप्रयोग पर्यटकों को आकर्षित करते हैं और स्थानीय अर्थव्यवस्था को सुधारते हैं।
- जलवायु परिवर्तन से लड़ाई: जैव विविधता के संरक्षण से संकल्पित वन्यजीव प्रजातियों के अनुकूल जलवायु परिवर्तन से लड़ने में मदद मिलती है। इसके माध्यम से वे जीवनन का सामर्थ्य बनाए रखते हैं और परिवर्तन के प्रति अधिक संवेदनशील रहते हैं।
मध्यप्रदेश में जैव विविधता के खतरे:
- वनों की कटाई: वनों की कटाई जैव विविधता के लिए सबसे बड़ा खतरा है। यह प्राकृतिक आवासों को नष्ट करता है और वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियों के लिए खतरा पैदा करता है।
- अतिचरन: अतिचरन से वनस्पतियों को नुकसान हो सकता है और मिट्टी का क्षरण हो सकता है।
- जलवायु परिवर्तन: जलवायु परिवर्तन तापमान और वर्षा पैटर्न में बदलाव ला रहा है, जिससे वनस्पतियों और जीवों की प्रजातियों पर दबाव पड़ रहा है।
- प्रदूषण: प्रदूषण वनस्पतियों और जीवों के लिए हानिकारक है।
- आक्रामक प्रजातियाँ: आक्रामक प्रजातियाँ देशी प्रजातियों को विस्थापित कर सकती हैं और पारिस्थितिक तंत्र को नुकसान पहुंचा सकती हैं।
मध्यप्रदेश में जैव विविधता संरक्षण के प्रयास:
- संरक्षित क्षेत्र: मध्यप्रदेश में 10 राष्ट्रीय उद्यान, 76 अभयारण्य और 371 संरक्षित वन हैं। इन क्षेत्रों का प्रबंधन वन विभाग द्वारा किया जाता है ताकि वनस्पतियों और जीवों की रक्षा की जा सके।
- वनरोपण: राज्य सरकार बड़े पैमाने पर वनीकरण कार्यक्रम चला रही है, जिसके तहत हर साल लाखों पेड़ लगाए जाते हैं।
- जैव विविधता कानून: मध्यप्रदेश में जैव विविधता संरक्षण के लिए कई कानून और नीतियां लागू हैं।
- स्थानीय समुदायों को शामिल करना: राज्य सरकार जैव विविधता संरक्षण में स्थानीय समुदायों को शामिल करने और उन्हें वनों और प्राकृतिक संसाधनों के प्रबंधन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए काम कर रही है।
- जागरूकता अभियान: वन विभाग जैव विविधता संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है।
जैव विविधता अधिनियम और नियम
मध्यप्रदेश में जैव विविधता के संरक्षण और प्रबंधन के लिए विभिन्न नियम और अधिनियम हैं जो वन्यजीव संरक्षण, वन्यजीव प्रबंधन, और जैव विविधता संरक्षण को नियंत्रित करते हैं। ये नियम और अधिनियम वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, जैव विविधता संरक्षण अधिनियम, और उनके तहत जारी नियमों से मिलते हैं।
1. मध्यप्रदेश वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972: इस अधिनियम के तहत वन्यजीवों की संरक्षण, प्रबंधन, और वन्यजीव संरक्षण क्षेत्रों (वन्यजीव अभ्यारण्य) का प्रबंधन किया जाता है।
2. जैव विविधता संरक्षण अधिनियम, 2002:
यह अधिनियम भारत में जैव विविधता के संरक्षण और स्थायी उपयोग के लिए एक व्यापक कानूनी ढांचा प्रदान करता है। इसमें निम्नलिखित मुख्य प्रावधान शामिल हैं:
- जैव विविधता बोर्ड: राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर जैव विविधता बोर्डों का गठन।
- जैव विविधता प्रबंधन योजनाएं: स्थानीय स्तर पर जैव विविधता प्रबंधन योजनाओं (बीएमपी) का विकास।
- जैविक संसाधनों का उपयोग: जैविक संसाधनों के उपयोग के लिए अनुमति और नियमन।
- जैविक ज्ञान का संरक्षण: पारंपरिक ज्ञान और प्रथाओं से जुड़े जैविक ज्ञान का संरक्षण।
- जैव सुरक्षा: आनुवंशिक रूप से संशोधित जीवों (जीएमओ) और विदेशी प्रजातियों की शुरूआत के लिए दिशानिर्देश।
3. जैव विविधता संरक्षण नियम, 2004: इन नियमों में अलग-अलग जैव विविधता क्षेत्रों के प्रबंधन, संरक्षण, और उनके अनुकूल विकास के लिए विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं।
- राज्य जैव विविधता बोर्ड: मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड का गठन।
- जैव विविधता प्रबंधन समितियां (बीएमसी): स्थानीय स्तर पर बीएमसी का गठन।
- जैविक संसाधनों का उपयोग: जैविक संसाधनों के उपयोग के लिए शुल्क और अनुमति प्रक्रिया।
- जैव सुरक्षा: जीएमओ और विदेशी प्रजातियों के लिए अनुसंधान और परीक्षण के लिए दिशानिर्देश।
- जैव विविधता अनुसंधान: जैव विविधता से संबंधित अनुसंधान को बढ़ावा देना।
4. वन्यजीव संरक्षण नियम, 1975: इन नियमों में वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन से संबंधित विभिन्न पहलुओं के लिए निर्देश और नियम दिए गए हैं।
- अनुसूची I: दुर्लभ और लुप्तप्राय प्रजातियां, जिनके शिकार पर पूर्ण प्रतिबंध है।
- अनुसूची II: संरक्षित प्रजातियां, जिनके शिकार के लिए विशेष अनुमति की आवश्यकता होती है।
- अनुसूची III: शिकार योग्य प्रजातियां, जिनके शिकार के लिए कुछ शर्तों के साथ अनुमति दी जा सकती है।
- अनुसूची IV: कम चिंता की प्रजातियां, जिनके शिकार के लिए कुछ प्रतिबंधों के साथ अनुमति दी जा सकती है।
5. मध्यप्रदेश वन्यजीव प्रबंधन नियम, 2018: इन नियमों में वन्यजीव प्रबंधन के लिए नए नियमों और प्रक्रियाओं को निर्धारित किया गया है।
- 2018 25 जनवरी 2018 को अधिसूचित किए गए थे। ये नियम राज्य में वन्यजीवों के संरक्षण और प्रबंधन के लिए एक व्यापक ढांचा प्रदान करते हैं। इन नियमों में निम्नलिखित मुख्य प्रावधान शामिल हैं:
1. वन्यजीवों का वर्गीकरण:
- अनुसूची I और II: ये अनुसूचियाँ लुप्तप्राय और संकटग्रस्त प्रजातियों को क्रमशः सूचीबद्ध करती हैं। इन प्रजातियों को विशेष संरक्षण प्राप्त है।
- अनुसूची III और IV: ये अनुसूचियाँ संरक्षित प्रजातियों को क्रमशः सूचीबद्ध करती हैं। इन प्रजातियों को कुछ शर्तों के अधीन शिकार किया जा सकता है।
- अनुसूची V और VI: इन अनुसूचियों में क्रमशः हानिकारक और तलछटी प्रजातियों को सूचीबद्ध किया गया है।
2. शिकार:
- शिकार लाइसेंस: शिकार करने के लिए एक वैध शिकार लाइसेंस प्राप्त करना आवश्यक है।
- शिकार का मौसम: शिकार केवल निर्दिष्ट मौसम के दौरान ही किया जा सकता है।
- शिकार की अनुमति: केवल अनुसूची III और IV में सूचीबद्ध प्रजातियों का शिकार किया जा सकता है।
- शिकार की विधि: शिकार केवल निर्दिष्ट विधियों द्वारा ही किया जा सकता है।
3. वन्यजीव अपराध:
- अवैध शिकार: अवैध शिकार एक गंभीर अपराध है और इसके लिए कठोर दंड का प्रावधान है।
- वन्यजीव व्यापार: वन्यजीवों और उनके अंगों का अवैध व्यापार भी एक गंभीर अपराध है।
- वन्यजीव आवास का विनाश: वन्यजीव आवास का विनाश भी एक अपराध है।
4. अन्य प्रावधान:
- वन्यजीव अभयारण्य और राष्ट्रीय उद्यान: इन क्षेत्रों में वन्यजीवों को विशेष संरक्षण प्राप्त है।
- वन्यजीव पुनर्वास केंद्र: घायल या अनाथ वन्यजीवों के लिए पुनर्वास केंद्र स्थापित किए गए हैं।
- जागरूकता अभियान: वन विभाग वन्यजीव संरक्षण के महत्व के बारे में लोगों को शिक्षित करने के लिए जागरूकता अभियान चला रहा है।
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