कृषि उत्पादकता (Agricultural productivity)
- प्रशिक्षण और विस्तार सेवाएँ (Training and Extension Services):
- किसानों और कृषि श्रमिकों को नवीनतम खेती तकनीकियों, उत्पादन प्रबंधन, बाजार पहुंच, और खेती संबंधी अन्य मुद्दों पर प्रशिक्षण प्रदान किया जाता है। सरकारी योजनाएँ और कृषि विकास संगठन इसके लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करते हैं।
- कृषि अनुसंधान (Agricultural research):
- मध्यप्रदेश में कृषि अनुसंधान केंद्रों द्वारा नवीनतम खेती तकनीकियों का अनुसंधान किया जाता है। ये केंद्र बीज विकास, कृषि उत्पादन वृद्धि, खेती संबंधी अन्य विषयों पर अनुसंधान कार्य करते हैं और किसानों को उन तकनीकियों का लाभ पहुंचाते हैं।
- जल्दी विकास किसान के लिए:
- कृषि उत्पादन को जल्दी से बढ़ाने के लिए, कृषि योजनाएं और स्कीम हैं, जो कृषि उत्पादन में सुधार करने के लिए कृषि तकनीकियों, संसाधनों, और जलवायु संशोधन पर जोर देती हैं।
नई तकनीकों का उपयोग
1. उच्च उत्पादन वाली किस्मों (HYV) का उपयोग:
- उच्च उत्पादन वाली किस्में (HYV) बीजों की किस्में हैं जिन्हें बेहतर रोग प्रतिरोधक क्षमता, सूखा सहनशीलता और उर्वरक उपयोग दक्षता के साथ विकसित किया गया है।
- मध्यप्रदेश में, HYV का उपयोग धान, गेहूं, मक्का, कपास, और दलहन जैसी फसलों की पैदावार बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
2. जैविक खेती और सतत कृषि:
- जैविक खेती रसायनों के उपयोग से बचने और प्राकृतिक रूप से उत्पादित खाद और जैविक कीट नियंत्रण विधियों का उपयोग करने पर केंद्रित है।
- यह न केवल पर्यावरण के लिए अधिक टिकाऊ है, बल्कि यह मिट्टी की उर्वरता में सुधार और मानव स्वास्थ्य के लिए बेहतर उत्पादों को भी बढ़ावा देता है।
- मध्यप्रदेश में, सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है, जैसे किसानों को प्रशिक्षण और सब्सिडी प्रदान करना।
3. कृषि में मशीनरी और यंत्रीकरण:
- कृषि में मशीनरी और यंत्रीकरण का उपयोग श्रम लागत को कम करने, उत्पादकता बढ़ाने और कृषि कार्यों को अधिक कुशल बनाने में मदद कर रहा है।
- ट्रैक्टर, कंबाइन हार्वेस्टर, और थ्रेशर जैसी मशीनें मध्यप्रदेश के किसानों द्वारा व्यापक रूप से उपयोग की जा रही हैं।
- सरकार किसानों को कृषि मशीनरी खरीदने के लिए सब्सिडी भी प्रदान कर रही है।
4. स्मार्ट कृषि और ड्रोन तकनीक:
- स्मार्ट कृषि सटीक डेटा और प्रौद्योगिकी का उपयोग करके किसानों को अपनी फसलों का प्रबंधन करने में मदद करती है।
- इसमें GPS, सेंसर, और डेटा एनालिटिक्स टूल्स का उपयोग करके मिट्टी की उर्वरता, पानी की जरूरतों और फसल स्वास्थ्य की निगरानी करना शामिल है।
- ड्रोन तकनीक का उपयोग खेतों की हवाई तस्वीरें लेने, फसल स्वास्थ्य का आकलन करने और उर्वरक और कीटनाशकों को लक्षित करने के लिए किया जा रहा है।
5. ड्रिप इरिगेशन:
- जिसमें पानी को पौधों के निकट समीप और सीधे पानी की जरूरत के हिसाब से प्रदान किया जाता है। इस तकनीक में पाइप्स, ट्यूब्स और इरिगेशन कंट्रोलर्स का उपयोग किया जाता है|
- ड्रिप इरिगेशन तकनीक से पानी की बचत करने और प्रदायन की समायोजना करने में सहायता मिलती है। यह तकनीक विशेष रूप से सूखे प्रभावित क्षेत्रों में प्रभावी होती है और पानी के उपयोग में कमी करती है।
स्प्रिंकलर सिस्टम
- स्प्रिंकलर सिस्टम स्वचालित सिंचाई प्रणाली हैं जिन्हें लॉन, बगीचों और परिदृश्यों में कुशलतापूर्वक पानी पहुंचाने के लिए डिज़ाइन किया गया है। इनमें पाइप, वाल्व और स्प्रिंकलर हेड का एक नेटवर्क होता है जिसे पूरे क्षेत्र में रणनीतिक रूप से रखा जाता है|
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