मध्य प्रदेश ने राष्ट्रीय स्वतंत्रता आंदोलन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। मध्य प्रदेश के विभिन्न राजाओं, प्रजा एवं वनवासियों ने देश की आजादी के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। इसके अलावा मध्य प्रदेश के किसानों ने भी कई आंदोलनों में भाग लेकर देश को स्वतंत्र कराने का प्रयास किया था। देश को अंग्रेजों की गुलामी से आजाद कराने के लिए असहयोग आंदोलन, सविनय अवज्ञा आंदोलन, नमक सत्याग्रह, जंगल सत्याग्रह एवं वर्ष 1942 की जन क्रांति में मध्य प्रदेश की अहम भूमिका रही थी। देश को अंग्रेजों से आजाद कराने के लिए भारत के कई महापुरुष जैसे महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सरदार वल्लभभाई पटेल, लोकमान्य तिलक, डॉ राजेंद्र प्रसाद, चंद्रशेखर आजाद, मगनलाल बागड़ी आदि ने एक अहम भूमिका निभाई थी।
वर्ष 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम के बाद भारत में राष्ट्रीय आंदोलन की पृष्ठभूमि देश के अन्य प्रदेशों के साथ-साथ मध्यप्रदेश में भी तैयार हो चुकी थी। इस दौरान मध्य प्रदेश में ब्रिटिश सरकार की कुटिल राजनीति का विरोध किया जा रहा था जिसमें उस समय के राजाओं ने प्रमुख भूमिका निभाई थी।
नरसिंहगढ़ के राजा चैन सिंह ने अंग्रेजों के खिलाफ बगावत शुरू कर दी थी। दरअसल, राजकुमार चैन सिंह को अंग्रेजों की सीहोर छावनी के पोलिटिकल एजेंट मैडाक ने अपमानित किया था जिसके परिणाम स्वरूप राजकुमार चैन सिंह ने ब्रिटिश सरकार के विरुद्ध आंदोलन शुरू कर दिया था। वर्ष 1824 में अंग्रेजी हुकूमत एवं राजकुमार चैन सिंह के बीच सीहोर के वर्तमान तहसील चौराहे पर भीषण युद्ध हुआ जिसमें चैन सिंह अपने कुछ साथियों के साथ सीहोर के दशहरा बाग मैदान में वीरगति को प्राप्त हुए थे।
सन 1840- 1842 में अंग्रेजी हुकूमत के बढ़ते अत्याचार के विरोध में नर्मदा-सागर क्षेत्र में एक आंदोलन हुआ जिसे मध्य प्रदेश के इतिहास का बुंदेला विद्रोह के नाम से जाना जाता है। इस विद्रोह में मध्य प्रदेश के कई राजाओं, राजपूतों, गोंड, जमींदारों तथा लोधी राजाओं ने भाग लिया था जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ एक युद्ध किया गया। इस युद्ध का नेतृत्व नरहट के मधुकर शाह एवं चंद्रपुर के जवाहर सिंह बुंदेला ने किया था। इसके अलावा बुंदेला विद्रोह में मदनपुर के ढिल्लनशाह, जैतपुर के राजा परीक्षित, हीरापुर के राजा हिरदेशाह, चिरगांव के जागीरदार राव बसंत सिंह आदि ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। परंतु इन सभी राजाओं के बीच एकता के अभाव के कारण एवं अंग्रेजों की प्रबल सैन्य शक्ति के कारण यह विद्रोह पूर्ण रूप से विफल रहा।
मध्य प्रदेश में प्रथम स्वतंत्रता आंदोलन वर्ष 1857 को हुआ था जिसमें अनेकों आंदोलनकारियों ने अंग्रेजों के विरुद्ध इस संघर्ष में खुलकर भाग लिया था। इस स्वतंत्रता संग्राम में स्थानीय राजाओं, जागीरदारों, मालगुजारों के साथ-साथ मध्य प्रदेश की आम जनता ने भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह स्वतंत्रता आंदोलन कई महीनों तक चला था जिसमें मध्य प्रदेश के आदिवासियों ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। कहा जाता है कि वर्ष 1857 की क्रांति के दौरान देश की जनता में अंग्रेजों के खिलाफ असंतोष की भावना का विस्तार हुआ था। इस क्रांति का मुख्य स्रोत ग्वालियर, इंदौर एवं भोपाल को माना जाता है जहां के शहरी एवं ग्रामीण क्षेत्रों में इस क्रांति की ज्वाला तेजी से भड़क उठी। भारत के अन्य प्रदेशों की तरह ही मध्य प्रदेश में भी अनेकों छोटी-छोटी रियासतें थी जिनके कुछ राजा अंग्रेजों के प्रति स्वामिभक्ति रखते थे परंतु स्वतंत्रता आंदोलन की क्रांति की शुरुआत होने के साथ वे सभी राजा एवं नवाब अपने साथियों की मदद करने के लिए आगे बढ़े जिसके फलस्वरूप इस आंदोलन ने एक व्यापक रूप धारण कर लिया। मध्य प्रदेश के सागर, ग्वालियर, झांसी, शिवपुरी, भोपाल, इंदौर आदि क्षेत्रों के नागरिकों ने इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर भाग लिया।
अन्य महत्वपूर्ण आंदोलन:
असहयोग आंदोलन: शुरुआत 1 अगस्त 1920 को महात्मा गांधी के नेतृत्व में की गई थी।
भारत छोड़ो आंदोलन:
सविनय अवज्ञा आंदोलन: 1930 में, नमक सत्याग्रह सहित सविनय अवज्ञा आंदोलन में मध्य प्रदेश के लोगों ने बड़ी संख्या में भाग लिया।
किसान आंदोलन: 1920 और 1930 के दशक में, मध्य प्रदेश में कई किसान आंदोलन हुए, जिनमें मालवा किसान आंदोलन और बघेलखंड किसान आंदोलन शामिल हैं।
आदिवासी आंदोलन: 19वीं और 20वीं शताब्दी में, कई आदिवासी आंदोलन हुए, जिनमें भीमा नायक का विद्रोह और टंटिया भील का विद्रोह शामिल हैं।
चंद्रशेखर आजाद: भगत सिंह के साथी, क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल थे।
रानी दुर्गावती: गोंडवाना की रानी, जिसने 16वीं शताब्दी में मुगलों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
रानी कमलादेवी: झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की सेना में एक वीर योद्धा।
नाना फडणवीस: पेशवा बाजीराव द्वितीय के मुख्यमंत्री, जिन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई लड़ी थी।
मध्य प्रदेश ने अनेक स्वतंत्रता सेनानियों को जन्म दिया जिन्होंने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मध्य प्रदेश में कई महत्वपूर्ण आंदोलन हुए जिन्होंने ब्रिटिश शासन को हिलाकर रख दिया।
मध्य प्रदेश के लोगों ने स्वदेशी वस्तुओं का बहिष्कार, विदेशी कपड़ों की होली जलाना, और नमक सत्याग्रह जैसे अनेक कार्यक्रमों में भाग लिया।
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