मध्यप्रदेश भारत का एक प्रमुख राज्य है, जो अपने प्राकृतिक संसाधनों और विविध भूगोल के लिए जाना जाता है। यहां की वनों, वनोपज, नदियों, पहाड़ियों और पठारों की जानकारी इस प्रकार है:
मध्यप्रदेश में घने वन क्षेत्रों का विस्तार है, जो राज्य के कुल भूभाग का लगभग 30.7% कवर करते हैं। प्रमुख वन्य जीव अभ्यारण्य और राष्ट्रीय उद्यान भी यहां स्थित हैं
मध्य प्रदेश में वनों के प्रकार–
1. उष्णकटिबंधीय आद्र पतझड़ वन
2. उष्ण कटिबंधीय कटीले वन
3. उष्णकटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन
4. उपोष्ण पतझड़ वन
5. संरक्षित वन
6. अवर्गीकृत वन
उष्णकटिबंधीय आद्र पतझड़ वन
उष्णकटिबंधीय आद्र पतझड़ वन को पर्णपाती वन के नाम से भी जाना जाता है। इस प्रकार के वनों में पहले 6 माह भारी मात्रा में वर्षा होती है एवं दूसरे 6 माह शुष्क जलवायु के होते हैं। मध्य प्रदेश में इस प्रकार के वनों का विस्तार जबलपुर, मंडला, शहडोल, बालाघाट, दक्षिण छिंदवाड़ा एवं सिवनी जैसे क्षेत्रों में अधिक देखने को मिलता है। उष्णकटिबंधीय आद्र पतझड़ वन में प्रतिवर्ष लगभग 120 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है एवं इस वन में मौजूद वृक्ष बेहद कम समय के लिए अपनी पत्तियां गिराते हैं। इसके अलावा इस प्रकार के वनों में काली मिट्टी मौजूद होती है जिसमें सागौन के वृक्ष अधिक संख्या में पाए जाते हैं।
उष्ण कटिबंधीय कटीले वन
मध्य प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय कटीले वन मुख्यतः उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां प्रतिवर्ष 25 से 75 सेंटीमीटर तक वर्षा होती है। इस प्रकार के वन मध्य प्रदेश के कुल वन क्षेत्रफल के लगभग 2.38 प्रतिशत भाग में फैले हुए हैं। इस प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय कटीले वनों का विस्तार शिवपुरी, मुरैना, रतलाम, श्योपुर, टीकमगढ़, मंदसौर आदि क्षेत्रों में देखा जा सकता है। इसके अलावा इस प्रकार के वनों में मुख्य रूप से शीशम, बबूल, पलाश, हर्रा आदि के वृक्ष भी पाए जाते हैं।
उष्ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ वन
उष्ण कटिबंधीय शुष्क वन को शुष्क पर्णपाती वन के नाम से भी जाना जाता है। यह मध्य प्रदेश के उन क्षेत्रों में पाए जाते हैं जहां प्रतिवर्ष लगभग 50 से 100 सेंटीमीटर के मध्य वर्षा होती है। माना जाता है कि यह वन मध्य प्रदेश के कुल वन क्षेत्र के लगभग 88.65 प्रतिशत भाग में फैले हुए हैं। मध्य प्रदेश में उष्ण कटिबंधीय शुष्क पतझड़ वनों का विस्तार जबलपुर, उज्जैन, सागर, खरगोन, खंडवा आदि क्षेत्रों में अत्यधिक मात्रा में हुआ है। इसके अलावा इस प्रकार के वनों में मुख्य रूप से शीशम, पीपल, सागौन, नीम आदि के वृक्ष देखे जा सकते हैं।
उपोष्ण पतझड़ वन
कुपोषण पतझड़ वन मध्य प्रदेश के सतना एवं विंध्यन की ऊंची चोटियों पर पाए जाते हैं। इस प्रकार के वनों में मौजूद वृक्ष अपनी पत्तियों को बेहद कम मात्रा में गिरते हैं जिसके कारण यह 12 मास हरे-भरे रहते हैं। मध्य प्रदेश में उपोषण पतझड़ वन मुख्य रूप से पचमढ़ी के आसपास के इलाकों में पाए जाते हैं।
संरक्षित वन
मध्य प्रदेश के संरक्षित वन का क्षेत्रफल लगभग 31098 वर्ग किलोमीटर है जहां किसी भी व्यक्ति को सामान्य रूप से प्रवेश करने की अनुमति नहीं दी जाती है। इस प्रकार के वनों में जाने से पूर्व लोगों को वन विभाग की अनुमति लेना अनिवार्य होता है। संरक्षित वन में कई प्रजाति के वृक्ष एवं जीवों को संरक्षित किया जाता है। ऐसे वनों का प्रबंधन पूर्ण रूप से प्रशासन की देखरेख में किया जाता है जहां केवल किसी विशेष परिस्थिति में ही भ्रमण करने एवं वृक्ष काटने की सुविधा प्रदान की जाती है। संरक्षित वनों में मौजूद पेड़-पौधों की विभिन्न प्रजातियों की विशेष रूप से देखभाल भी की जाती है। माना जाता है कि मध्य प्रदेश में संरक्षित वनों की सर्वाधिक संख्या राजगढ़ में मौजूद है।
अवर्गीकृत वन
मध्य प्रदेश में अवर्गीकृत वन का कुल क्षेत्रफल लगभग 1705 वर्ग किलोमीटर है। इस प्रकार के वनों में कोई भी व्यक्ति बिना किसी अनुमति के भ्रमण कर सकता है एवं इसमें वृक्ष काटने की सुविधा भी रहती है। अवर्गीकृत वनों में कई प्रकार के पशु-पक्षी एवं वृक्ष मौजूद होते हैं। इसके अलावा ऐसे वनों में मौजूद वृक्ष पूरे वर्ष हरे भरे रहते हैं।
मध्यप्रदेश की वनोपज में कई महत्वपूर्ण वन उत्पाद शामिल हैं जो राज्य की आर्थिक और सामाजिक स्थिति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। यहां की वनोपज वन संसाधनों का महत्वपूर्ण हिस्सा है और स्थानीय समुदायों के लिए आय का स्रोत भी है। मुख्य वनोपज निम्नलिखित हैं:
टीक (सागवान)
साल
बाँस
महुआ
तेंदू पत्ता
राल (रेज़िन)
गोंद
अर्जुन
हर्रा और बहेड़ा (औषधीय पौधे)
मध्यप्रदेश को नदियों का मायका कहा जाता है, क्योंकि यहाँ से कई प्रमुख नदियाँ निकलती हैं:
नर्मदा नदी: यह राज्य की जीवन रेखा है और पश्चिम की ओर बहती है।
ताप्ती नदी: यह भी पश्चिम की ओर बहती है।
चंबल नदी: यह उत्तर की ओर बहती है और यमुना नदी की सहायक नदी है।
बेतवा नदी: यह यमुना नदी की सहायक नदी है।
सोन नदी: यह पूर्व की ओर बहती है और गंगा की सहायक नदी है।
शिप्रा नदी
सिंध नदी
माही नदी
मध्यप्रदेश में कई पहाड़ी क्षेत्र हैं, जो पर्यटन और जैव विविधता के लिए महत्वपूर्ण हैं:
विंध्याचल पहाड़ियाँ: यह उत्तर भारत को दक्षिण भारत से विभाजित करती हैं।
सतपुड़ा रेंज: यह मध्यप्रदेश के दक्षिणी भाग में फैली हुई है और यहाँ सतपुड़ा राष्ट्रीय उद्यान स्थित है।
मैकल पहाड़ियाँ: यह विंध्याचल और सतपुड़ा के बीच स्थित हैं और अमरकंटक यहाँ का प्रमुख स्थल है, जहाँ से नर्मदा और सोन नदियों का उद्गम होता है।
महादेव पर्वत: महादेव पर्वत श्रेणी सतपुड़ा पर्वत के पूर्वी क्षेत्र को कहा जाता है।
कैमूर-भांडेर पर्वत: कैमूर-भाण्डेर पर्वत मध्य प्रदेश के सतना, छतरपुर, रीवा, जबलपुर, पन्ना आदि जिलों में स्थित है।
मध्यप्रदेश में कई पठारी क्षेत्र हैं, जो कृषि और वन्य जीवन के लिए महत्वपूर्ण हैं:
मालवा का पठार: यह पश्चिमी मध्यप्रदेश में स्थित है और खेती के लिए प्रसिद्ध है।
बुंदेलखंड का पठार: यह उत्तर में स्थित है और इसमें जलवायु और भू-गर्भीय संरचना विशेष महत्व रखती है।
बघेलखंड का पठार: यह राज्य के पूर्वी हिस्से में फैला है और खनिज संपदा से भरपूर है।
मध्य भारत का पठार: मध्यप्रदेश में मध्य भारत का पठार एक महत्वपूर्ण भूभाग है
मध्यप्रदेश का भूगोल इसकी प्राकृतिक सुंदरता और संसाधनों की विविधता को दर्शाता है, जो राज्य की आर्थिक और पर्यावरणीय स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देते हैं।
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