चेतियागिरी विहार महोत्सव मध्य प्रदेश के रायसेन जिले के सांची में स्थित चेतियागिरी विहार में हर साल नवंबर में मनाया जाता है। यह त्योहार भगवान बुद्ध के दो प्रमुख शिष्यों, सारिपुत्त और महामोग्गलन के अवशेषों की खोज का उत्सव है।
यह अवशेष 1951 में स्तूप नंबर 3 की खुदाई के दौरान खोजे गए थे, और तब से उन्हें चेतियागिरी विहार में रखा गया है।
महोत्सव तीन दिनों तक चलता है और इसमें विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम, सांस्कृतिक कार्यक्रम और प्रदर्शन होते हैं।
पहले दिन ध्वजारोहण और प्रभात फेरी के साथ शुरू होता है। इसके बाद, भिक्षुओं द्वारा प्रवचन और ध्यान सत्र आयोजित किए जाते हैं।
दूसरे दिन सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता है, जिसमें नृत्य, संगीत और नाटक शामिल हैं।
तीसरे और अंतिम दिन मुख्य आकर्षण होता है, जिसमें बुद्ध, सारिपुत्त और महामोग्गलन के अवशेषों की शोभायात्रा निकाली जाती है।
शोभायात्रा में सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होते हैं जो मंत्रों का जाप करते हैं और झंडे फहराते हैं।
यह त्योहार बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थस्थल है, और यह भारत के विभिन्न हिस्सों और विदेशों से हजारों पर्यटकों को आकर्षित करता है।
धार्मिक कार्यक्रम: प्रवचन, ध्यान सत्र, पूजा-पाठ
सांस्कृतिक कार्यक्रम: नृत्य, संगीत, नाटक
शोभायात्रा: बुद्ध, सारिपुत्त और महामोग्गलन के अवशेषों की शोभायात्रा
अन्य आकर्षण: मेले, स्टॉल, भोजन के स्टॉल
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