मध्य प्रदेश में भील जनजाति सबसे बड़ी जनजाति है। 2011 की जनगणना के अनुसार, मध्य प्रदेश में इनकी जनसंख्या 59,93,921 है, जो राज्य की कुल जनसंख्या का 13.5% है।
भील जनजाति मुख्य रूप से मध्य प्रदेश के पश्चिमी भाग में निवास करती है। इनके निवास क्षेत्रों में धार, झाबुआ, अलीराजपुर, सीहोर, रतलाम, उज्जैन, मंदसौर, नीमच, खंडवा, बड़वानी, खरगौन, देवास, शाजापुर, राजगढ़, ग्वालियर, भिंड और शिवपुरी जिले शामिल हैं।
भील जनजाति की समृद्ध संस्कृति और परंपराएँ हैं। इनके जीवन का केंद्र बिंदु प्रकृति है। वे प्रकृति की पूजा करते हैं और इसे देवी-देवताओं का वासस्थान मानते हैं।
भील जनजाति की अपनी भाषा है, जिसे भीली कहा जाता है। यह भाषा इंडो-आर्य भाषा परिवार की सदस्य है।
भील जनजाति मुख्य रूप से हिंदू धर्म का पालन करती है।
भील जनजाति का मुख्य व्यवसाय कृषि है। वे वर्षा आधारित खेती करते हैं और बाजरा, ज्वार, मक्का, मूंगफली, सोयाबीन, उड़द आदि फसलें उगाते हैं।
भील जनजाति का सामाजिक जीवन सामूहिकता पर आधारित है। इनके समाज में कुल, पटेल, नाक, चौधरी, भगत आदि प्रमुख पद होते हैं।
भील जनजाति की कला और शिल्प बहुत ही सुंदर और आकर्षक होते हैं। इनकी लकड़ी पर की जाने वाली नक्काशी, मिट्टी के बर्तन, चित्रकारी, गहने आदि बहुत प्रसिद्ध हैं।
भील जनजाति कई त्योहार मनाती है, जिनमें होली, दीपावली, नवरात्रि, भावाड़, गेर आदि प्रमुख हैं।
भील जनजाति शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार आदि के क्षेत्र में कई चुनौतियों का सामना करती है।
मध्य प्रदेश सरकार ने भील जनजाति के विकास के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, जिनमें शिक्षा के लिए छात्रवृत्ति योजना, स्वास्थ्य सुविधाओं के लिए आयुष्मान भारत योजना, रोजगार के लिए प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना आदि शामिल हैं।
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