- स्मृति शब्द का शाब्दिक अर्थ है “याद किया हुआ”।
- हिंदू धर्म में, स्मृतियाँ उन धर्मग्रंथों का समूह है जो वेदों के बाद रचे गए थे।
- इन ग्रंथों में वेदों के सिद्धांतों का विस्तार किया गया है और समाज के विभिन्न पहलुओं, जैसे कि धर्म, कानून, नैतिकता और सामाजिक व्यवस्था के बारे में विस्तृत दिशानिर्देश दिए गए हैं।
प्रमुख स्मृतियाँ कुछ प्रमुख स्मृतियाँ निम्नलिखित हैं:
- मनु स्मृति: सबसे प्रसिद्ध स्मृति, जिसमें धर्मशास्त्र, राजनीति, अर्थशास्त्र और समाजशास्त्र के सिद्धांतों का विस्तृत वर्णन है।
- याज्ञवल्क्य स्मृति: यह स्मृति मनु स्मृति के बाद सबसे महत्वपूर्ण मानी जाती है।
- विष्णु स्मृति: इस स्मृति में विष्णु भगवान को सर्वोच्च माना गया है और इसमें धर्मशास्त्र के सिद्धांतों को विस्तार से बताया गया है।
- नारद स्मृति: इस स्मृति में धर्मशास्त्र के साथ-साथ वैदिक कर्मकांडों का भी वर्णन है।
- वेदों का विस्तार: वेदों में संक्षिप्त मंत्र और सूक्तियाँ होती हैं, जबकि स्मृतियाँ इनका विस्तृत विवरण देती हैं।
- सामाजिक जीवन: स्मृतियाँ समाज के विभिन्न वर्गों के लिए आचार-व्यवहार के नियम निर्धारित करती हैं।
- धार्मिक अनुष्ठान: स्मृतियाँ विभिन्न धार्मिक अनुष्ठानों, यज्ञों और पूजा-पाठ के विधानों का वर्णन करती हैं।
- कानून और न्याय: इन ग्रंथों में धर्मशास्त्र के सिद्धांतों के आधार पर कानून और न्याय व्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है।
स्मृतियाँ भारतीय समाज और संस्कृति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। इन ग्रंथों के सिद्धांतों का भारतीय समाज में सदियों से पालन किया जाता रहा है। हालांकि, समय के साथ इन ग्रंथों की व्याख्याओं में बदलाव आए हैं और समाज के बदलते परिवेश के अनुसार इनमें संशोधन भी किए गए हैं।
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