पंडित जवाहरलाल नेहरू का युग भारतीय इतिहास में विज्ञान, तकनीकी और सांस्थानिक निर्माण के विकास के लिए एक महत्वपूर्ण दौर था। नेहरू के नेतृत्व में, भारत ने अपनी स्वतंत्रता के बाद के शुरुआती वर्षों में इन क्षेत्रों में महत्वपूर्ण प्रगति की, जिससे देश को एक आधुनिक और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने में मदद मिली। यहां इस विषय पर विस्तृत जानकारी दी गई है:
1. सांस्थानिक निर्माण (Institutional Building):
(a) भारतीय योजना आयोग (Planning Commission) – 1950:
- स्थापना और उद्देश्य: भारतीय योजना आयोग की स्थापना 1950 में की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य देश के संसाधनों का सर्वोत्तम उपयोग सुनिश्चित करना और राष्ट्रीय विकास के लिए पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना था।
- प्रभाव: इस आयोग ने भारत के आर्थिक विकास की दिशा निर्धारित की और कृषि, उद्योग, और सेवा क्षेत्रों के संतुलित विकास के लिए नीतियों का निर्माण किया।
(b) शैक्षिक संस्थानों की स्थापना:
- IITs (भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान): नेहरू ने वैज्ञानिक और तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहित करने के लिए 1950 के दशक में IITs की स्थापना की। ये संस्थान आज विश्व के शीर्ष तकनीकी शिक्षा केंद्रों में गिने जाते हैं।
- IIMs (भारतीय प्रबंधन संस्थान): भारतीय उद्योग और व्यापार के लिए कुशल प्रबंधकों की जरूरत को समझते हुए IIMs की स्थापना की गई, जिससे भारत में प्रबंधन शिक्षा का विकास हुआ।
- AIIMS (अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान): चिकित्सा शिक्षा और अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए AIIMS की स्थापना की गई, जो आज भारत के सर्वोत्तम चिकित्सा संस्थानों में से एक है।
- विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) – 1953: उच्च शिक्षा के मानकों को बनाए रखने और उसे बढ़ावा देने के लिए UGC की स्थापना की गई, जिसने भारतीय विश्वविद्यालयों की गुणवत्ता को सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
(c) सांख्यिकी संस्थान:
- भारतीय सांख्यिकी संस्थान (ISI): कोलकाता में इस संस्थान की स्थापना सांख्यिकी अनुसंधान के लिए की गई, जो नीतिगत निर्धारण और अनुसंधान के लिए महत्वपूर्ण डेटा और विश्लेषण प्रदान करता है।
2. विज्ञान और तकनीकी का विकास (Development of Science and Technology):
(a) परमाणु ऊर्जा और अनुसंधान:
- परमाणु ऊर्जा आयोग (Atomic Energy Commission) – 1948: डॉ. होमी भाभा के नेतृत्व में, भारत में परमाणु ऊर्जा के विकास के लिए परमाणु ऊर्जा आयोग की स्थापना की गई। नेहरू ने विज्ञान और तकनीकी के महत्व को समझते हुए इस क्षेत्र में अत्यधिक निवेश किया। इसके परिणामस्वरूप, भारत ने परमाणु ऊर्जा उत्पादन और अनुसंधान में महत्वपूर्ण प्रगति की।
- परमाणु ऊर्जा संयंत्र: नेहरू के नेतृत्व में भारत का पहला परमाणु ऊर्जा संयंत्र तारापुर में स्थापित किया गया। यह संयंत्र भारत की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने और वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हुआ।
(b) अंतरिक्ष अनुसंधान:
- अंतरिक्ष अनुसंधान की नींव: नेहरू ने अंतरिक्ष अनुसंधान को भी प्राथमिकता दी, जिसके तहत 1962 में भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान समिति (INCOSPAR) की स्थापना की गई, जो बाद में भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) में विकसित हुआ। ISRO की स्थापना से भारत ने अपने अंतरिक्ष कार्यक्रम को विकसित किया, जिसका शिखर चंद्रयान और मंगलयान जैसी मिशनों में देखा गया।
(c) वैज्ञानिक अनुसंधान परिषद (CSIR):
- स्थापना और उद्देश्य: वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान को बढ़ावा देने के लिए 1942 में CSIR की स्थापना की गई। नेहरू के कार्यकाल में इसे और सुदृढ़ किया गया। यह परिषद विभिन्न वैज्ञानिक क्षेत्रों में अनुसंधान को प्रोत्साहित करती है और उद्योगों को तकनीकी सहायता प्रदान करती है।
- उपलब्धियां: CSIR ने औद्योगिक विकास, रक्षा अनुसंधान, और वैज्ञानिक नवाचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। इसके तहत कई प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई, जो देशभर में वैज्ञानिक अनुसंधान को बढ़ावा देती हैं।
3. औद्योगिक और प्रौद्योगिकीय विकास (Industrial and Technological Development):
(a) भारी उद्योगों की स्थापना:
- इस्पात उद्योग: नेहरू ने भारत के औद्योगिकीकरण के लिए भारी उद्योगों को बढ़ावा दिया। राउरकेला, भिलाई, और दुर्गापुर जैसे इस्पात संयंत्रों की स्थापना की गई, जो भारत के औद्योगिक आधार को मजबूत करने में सहायक रहे।
- कोयला और ऊर्जा: कोयला खनन और बिजली उत्पादन के क्षेत्र में भी निवेश किया गया, जिससे भारत की औद्योगिक प्रगति को बढ़ावा मिला।
(b) विज्ञान और तकनीकी शिक्षा:
- तकनीकी शिक्षा का विस्तार: IITs और NITs जैसे संस्थानों की स्थापना के माध्यम से, नेहरू ने विज्ञान और तकनीकी शिक्षा को प्रोत्साहित किया। इससे भारत में इंजीनियरिंग और तकनीकी क्षेत्र में कुशल मानव संसाधन तैयार हुए, जिन्होंने देश के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
4. अंतर्राष्ट्रीय सहयोग (International Collaboration):
- वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग: नेहरू ने विज्ञान और तकनीकी के क्षेत्र में अंतर्राष्ट्रीय सहयोग को बढ़ावा दिया। उन्होंने सोवियत संघ, अमेरिका, और अन्य देशों के साथ तकनीकी सहयोग समझौतों पर हस्ताक्षर किए। इन सहयोगों के माध्यम से भारत ने अपनी वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को बढ़ाया।
- गुटनिरपेक्ष आंदोलन और विज्ञान: नेहरू ने गुटनिरपेक्ष आंदोलन की अगुवाई करते हुए वैज्ञानिक और तकनीकी विकास को स्वतंत्रता और शांति के लिए एक महत्वपूर्ण साधन के रूप में देखा। उन्होंने विकासशील देशों के साथ विज्ञान और तकनीकी के आदान-प्रदान को प्रोत्साहित किया।
निष्कर्ष:
नेहरू युग में विज्ञान, तकनीकी, और सांस्थानिक निर्माण का विकास भारत के आधुनिक इतिहास में एक क्रांतिकारी कदम था। नेहरू की दूरदर्शिता और उनके नेतृत्व में स्थापित संस्थानों ने देश के आर्थिक, सामाजिक, और वैज्ञानिक विकास की नींव रखी। ये संस्थान आज भी भारत के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं और नेहरू के समय की विरासत के रूप में देखे जाते हैं। नेहरू के विज्ञान और तकनीकी के प्रति समर्पण ने भारत को एक मजबूत और आत्मनिर्भर राष्ट्र बनने में मदद की, जिसने वैश्विक मंच पर अपनी पहचान बनाई।
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