पश्चिमी शिक्षा एक महत्वपूर्ण पहलू है और इसका भारतीय शिक्षा पर महत्वपूर्ण प्रभाव है। पश्चिमी शिक्षा ने भारत की सांस्कृतिक, राजनीतिक और शैक्षिक प्रणालियों को प्रभावित किया है। भारत उच्च स्थान पर है और इसने इस स्थान पर पश्चिमी शिक्षा की शुरूआत के बाद अपनी सोच भी विकसित की है।
पृष्ठभूमि
17वीं शताब्दी के अंत में और 18वीं शताब्दी के प्रारंभ में, अंग्रेजों ने भारत में अपने औपनिवेशिक शासन को सुदृढ़ करना प्रारंभ किया। इसके तहत, उन्होंने भारतीय समाज को उनके शासन के अनुकूल बनाने के लिए कई सुधार लागू किए। इन सुधारों में से एक था शिक्षा प्रणाली का पुनर्गठन, जिसे भारतीय समाज के पश्चिमीकरण और अंग्रेजी भाषा के प्रसार के उद्देश्य से शुरू किया गया था।
भारत में पाश्चात्य शिक्षा प्रणाली पर चर्चा:-
भारत में पश्चिमी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत लॉर्ड मैकाले के हाथों हुई थी। यह व्यक्ति जनरल कमेटी का अध्यक्ष था। भारत में पश्चिमी शिक्षा प्रणाली को शुरू करने में इस प्रसिद्ध व्यक्ति का योगदान उल्लेखनीय है। पश्चिमी शिक्षा प्रणाली का भारत के क्षेत्रों पर प्रभाव पड़ा है। यह राष्ट्रवाद और लोकतंत्र के विचारों जैसे कई कारकों में भारतीयों के पहलुओं को खोलने में मदद करता है। इस शिक्षा का व्यापक पहलू इस देश के लोगों को लोगों के बीच अंतर को कम करने में मदद करता है।
मैकाले का मिनट (1835)
1835 में लॉर्ड मैकाले द्वारा प्रस्तुत किया गया ‘मिनट ऑन एजुकेशन’ पश्चिमी शिक्षा के उत्थान की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर था। मैकाले का उद्देश्य भारतीयों को अंग्रेजी शिक्षा देना था ताकि वे ब्रिटिश प्रशासन में सहायक बन सकें। उनके अनुसार, अंग्रेजी शिक्षा भारतीयों को पश्चिमी विचारधारा, विज्ञान और प्रशासनिक कुशलताओं से परिचित कराएगी, जिससे वे ब्रिटिश शासन के प्रति निष्ठावान और उपयोगी नागरिक बनेंगे।
अंग्रेजी भाषा का प्रभाव
मैकाले की योजना के तहत, अंग्रेजी भाषा को शिक्षा का माध्यम बनाया गया। इसके परिणामस्वरूप, पारंपरिक शिक्षा पद्धति, जिसमें संस्कृत, अरबी, और फारसी भाषाओं में शिक्षा दी जाती थी, कमजोर पड़ने लगी। अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को श्रेष्ठ माना जाने लगा, जिससे भारतीय समाज में अंग्रेजी भाषा का वर्चस्व बढ़ा।
शिक्षा संस्थानों की स्थापना
ब्रिटिश शासन के दौरान कई स्कूल, कॉलेज, और विश्वविद्यालय स्थापित किए गए, जिनमें अंग्रेजी शिक्षा पर जोर दिया गया। इनमें से कुछ प्रमुख संस्थान हैं:
- फोर्ट विलियम कॉलेज, कोलकाता (1800): इस कॉलेज की स्थापना अंग्रेजी अधिकारियों को भारतीय भाषाओं में प्रशिक्षित करने के लिए की गई थी।
- हिंदू कॉलेज, कोलकाता (1817): यह पहला बड़ा शिक्षण संस्थान था जो पश्चिमी शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए स्थापित किया गया।
- मुंबई विश्वविद्यालय (1857), मद्रास विश्वविद्यालय (1857), और कोलकाता विश्वविद्यालय (1857): ये तीनों विश्वविद्यालय भारत में उच्च शिक्षा के लिए स्थापित किए गए थे और इनका मुख्य उद्देश्य अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा प्रदान करना था।
भारतीय समाज पर प्रभाव
पश्चिमी शिक्षा ने भारतीय समाज पर गहरा प्रभाव डाला। इसके प्रमुख प्रभाव इस प्रकार हैं:
- सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन: पश्चिमी शिक्षा ने भारतीयों को सामाजिक और धार्मिक कुरीतियों के प्रति जागरूक किया। इसने राजा राममोहन राय, स्वामी विवेकानंद, और ईश्वर चंद्र विद्यासागर जैसे समाज सुधारकों को प्रेरित किया, जिन्होंने सती प्रथा, बाल विवाह, और जाति व्यवस्था जैसी सामाजिक बुराइयों के खिलाफ संघर्ष किया।
- राष्ट्रीयता की भावना: पश्चिमी शिक्षा ने भारतीयों के बीच राष्ट्रीयता की भावना को प्रोत्साहित किया। इसके परिणामस्वरूप, स्वतंत्रता संग्राम में शिक्षित भारतीयों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- आर्थिक प्रभाव: अंग्रेजी शिक्षा ने एक नए मध्यम वर्ग का उदय किया, जो अंग्रेजी भाषा और पश्चिमी विचारधारा से प्रभावित था। यह वर्ग ब्रिटिश प्रशासन में महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्त हुआ और समाज में अपनी स्थिति मजबूत की।
भारत में आधुनिक पश्चिमी शिक्षा के जनक और उनका योगदान
भारत में आधुनिक पश्चिमी शिक्षा का जन्म हुआ और इसने विभिन्न क्षेत्रों में कई उद्देश्यों को पूरा किया। भारतीय गवर्नर-जनरल लॉर्ड विलियम बेंटिक को भारत में आधुनिक पश्चिमी शिक्षा का जनक कहा जाता है। महान गवर्नर-जनरल ने इस स्थान पर कई योगदान दिए हैं। उस समय सती प्रथा एक बहुत ही क्रूर प्रथा थी और यह अमानवीय थी। इस व्यक्ति ने बहुत साहस और अजेय इच्छाशक्ति के साथ इस प्रथा को समाप्त कर दिया। यहाँ सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत में पश्चिमी शिक्षा प्रणाली की शुरुआत लॉर्ड मैकाले ने की थी। यह व्यक्ति भारत की शिक्षा प्रणाली को पश्चिमी बनाने में मदद करता है।
भारत में पहली बार पश्चिमी शिक्षा की शुरुआत:-
कलकत्ता कॉलेज वह पहला स्थान था जहाँ भारत में पश्चिमी शिक्षा की शुरुआत हुई थी। इसकी पहल राजा राम मोहन राय ने की थी और इसके साथ ही भारत में संस्कृत के तीन कॉलेज भी स्थापित किए गए। भारत में इस शिक्षा को शुरू करने के पीछे का उद्देश्य लोगों को सार्थक तरीके से शिक्षित करना था ताकि उनके अंधविश्वास खत्म हो जाएँ।
निष्कर्ष
भारत में पश्चिमी शिक्षा का उत्थान एक जटिल और महत्वपूर्ण प्रक्रिया थी जिसने भारतीय समाज को गहराई से प्रभावित किया। हालांकि यह प्रक्रिया अंग्रेजों के औपनिवेशिक हितों की पूर्ति के लिए शुरू की गई थी, लेकिन इसके परिणामस्वरूप भारतीय समाज में जागरूकता, सुधार, और राष्ट्रीयता की भावना का विकास हुआ। पश्चिमी शिक्षा ने भारतीयों को नए विचार, विज्ञान, और प्रशासनिक कुशलताओं से परिचित कराया, जिससे भारतीय समाज में एक नई दिशा का उदय हुआ।
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