राष्ट्रीय आंदोलन के उदय के कारण
1. ब्रिटिश शासन की नीतियाँ और शोषण:
- आर्थिक शोषण: ब्रिटिश शासन ने भारतीय संसाधनों और आर्थिक समृद्धि को अत्यधिक शोषित किया। ब्रिटिश उद्योगों की वृद्धि के लिए भारत की कच्ची सामग्री का शोषण किया गया और भारतीय उद्योगों को नष्ट किया गया।
- नौकरशाही और कर प्रणाली: अत्यधिक करों और अक्षम नौकरशाही ने भारतीय किसानों और आम लोगों को आर्थिक रूप से संकट में डाल दिया।
2. सामाजिक और धार्मिक असंतोष:
- धार्मिक भेदभाव: ब्रिटिश शासन ने विभिन्न धर्मों के बीच विभाजन को बढ़ावा दिया, जिससे सामाजिक तनाव और असंतोष बढ़ा।
- सामाजिक सुधार आंदोलनों: सामाजिक सुधारक जैसे राजा राममोहन राय, स्वामी दयानंद सरस्वती, और अन्य ने जातिवाद, सती प्रथा और बाल विवाह के खिलाफ अभियान चलाया, जिससे समाज में जागरूकता और परिवर्तन की आवश्यकता महसूस हुई।
3. साम्राज्यवादी विचारधारा:
- राष्ट्रीयता का उदय: यूरोपीय देशों में राष्ट्रवाद की विचारधारा ने भारतीय बुद्धिजीवियों और नेताओं को प्रभावित किया, जिन्होंने अपने देश के स्वतंत्रता और स्वायत्तता के विचार को अपनाया।
- संविधान और प्रतिनिधित्व की मांग: भारतीय नेताओं ने ब्रिटिश संसद में भारतीयों के उचित प्रतिनिधित्व की मांग की और सुधारों की दिशा में काम किया।
4. ब्रिटिश नीतियों का विरोध:
- सविनय अवज्ञा आंदोलन: ब्रिटिश नीतियों के खिलाफ प्रतिरोध और असंतोष ने सविनय अवज्ञा आंदोलन जैसे आंदोलनों को जन्म दिया, जिसमें गांधीजी और अन्य नेताओं ने ब्रिटिश कानूनों का उल्लंघन किया।
- स्वदेशी आंदोलन: लाला लाजपत राय, बाल गंगाधर तिलक और अन्य ने स्वदेशी वस्तुओं के प्रचार और ब्रिटिश वस्त्रों का बहिष्कार करने की दिशा में कार्य किया।
5. सामाजिक जागरूकता और विचारधारा का प्रसार:
- पत्रिका और समाचार पत्र: पत्रिकाओं और समाचार पत्रों ने भारतीय जनता में जागरूकता फैलाने और स्वतंत्रता की विचारधारा को प्रचारित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- शिक्षा और साहित्य: शिक्षा और साहित्य में सुधार ने भारतीय समाज को नए विचार और ज्ञान प्रदान किया, जिससे स्वतंत्रता और स्वायत्तता के विचार पनपे।
6. वैश्विक घटनाएँ और प्रेरणा:
- अंतरराष्ट्रीय संघर्ष: प्रथम विश्व युद्ध और द्वितीय विश्व युद्ध जैसी वैश्विक घटनाओं ने भारत में स्वतंत्रता की आकांक्षाओं को प्रोत्साहित किया। ब्रिटिश शासन के कमजोर होने के कारण भारतीय नेताओं ने स्वतंत्रता की मांग को और अधिक जोरदार तरीके से उठाया।
- अन्य उपनिवेशी आंदोलनों से प्रेरणा: अन्य देशों के स्वतंत्रता आंदोलनों, जैसे कि अफ्रीकी और दक्षिण अमेरिकी देशों के आंदोलनों, ने भारतीय स्वतंत्रता सेनानियों को प्रेरित किया।
7. राजनीतिक संगठन और नेतृत्व:
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के गठन और उसमें शामिल नेताओं ने स्वतंत्रता संग्राम की दिशा तय की और एकजुटता के लिए प्रयास किए।
- स्वतंत्रता सेनानी और क्रांतिकारी: चित्तरंजन दास, सुभाष चंद्र बोस, और अन्य क्रांतिकारी नेताओं ने स्वतंत्रता की दिशा में सक्रिय रूप से काम किया और एक मजबूत राष्ट्रीय आंदोलन की नींव रखी।
8. जनता की भागीदारी और संगठित विरोध:
- मास आंदोलनों की शुरुआत: महात्मा गांधी द्वारा चलाए गए आंदोलनों जैसे असहयोग आंदोलन और नमक सत्याग्रह ने आम जनता को स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी के लिए प्रेरित किया।
- सामाजिक आंदोलन और संघटन: विभिन्न सामाजिक और राजनीतिक संगठनों ने जनता को संगठित किया और स्वतंत्रता के लिए एकजुट संघर्ष का हिस्सा बने।
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