- बंगाल में ब्रिटिश फैक्ट्रियों की स्थापना एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की नींव रखी।
- यह प्रक्रिया 17वीं शताब्दी के प्रारंभ में शुरू हुई और इसके परिणामस्वरूप ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी का भारत के आर्थिक और राजनीतिक मामलों में गहराई से हस्तक्षेप बढ़ता चला गया।
1. पृष्ठभूमि:-
- ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी की स्थापना 1600 में इंग्लैंड की महारानी एलिजाबेथ प्रथम द्वारा चार्टर के माध्यम से की गई थी।
- इसका उद्देश्य एशिया के साथ व्यापार करना था, विशेष रूप से मसाले, रेशम, कपास, और अन्य कीमती वस्तुओं का व्यापार।
- 1608 में, कंपनी का पहला जहाज सूरत बंदरगाह पर पहुँचा, और सूरत में कंपनी की पहली फैक्ट्री स्थापित की गई। सूरत के बाद, कंपनी ने भारत के विभिन्न हिस्सों में अपनी फैक्ट्रियाँ स्थापित करने की कोशिश की।
2. बंगाल में प्रवेश:-
- 17वीं शताब्दी के मध्य तक, बंगाल भारत का सबसे समृद्ध और व्यापारिक दृष्टि से महत्वपूर्ण क्षेत्र बन चुका था।
- यह क्षेत्र कपड़ा, रेशम, नील, और अन्य वस्त्रों के उत्पादन के लिए प्रसिद्ध था, जो यूरोप में अत्यधिक मांग में थे।
- 1651 में, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने बंगाल के हुगली नदी के किनारे अपनी पहली फैक्ट्री स्थापित की।
- कंपनी ने बंगाल में व्यापार करने के लिए मुग़ल शासकों से व्यापारिक अधिकार और सुविधाएँ प्राप्त कीं। इसके बदले में, अंग्रेजों ने मुग़ल प्रशासन को वार्षिक कर अदा किया।
1. बंगाल में फोर्ट विलियम और कोलकाता की स्थापना:-
- कंपनी ने अपनी फैक्ट्रियों और व्यापारिक हितों की सुरक्षा के लिए मुग़ल शासकों से अधिकार पत्र (फरमान) प्राप्त किए।
- 1690 में, अंग्रेजों ने सुतानटी, गोविंदपुर, और कालीकट्टा (वर्तमान कोलकाता) में स्थायी रूप से अपनी फैक्ट्रियाँ स्थापित कीं।
- कंपनी के प्रमुख अधिकारी, जॉब चार्नोक, ने कालीकट्टा में एक छोटे से गाँव को अपने व्यापारिक केंद्र के रूप में विकसित करना शुरू किया।
- 1696 में, अंग्रेजों ने इस क्षेत्र में फोर्ट विलियम नामक किले का निर्माण किया, जो उनके व्यापारिक और सैन्य गतिविधियों का मुख्य केंद्र बन गया।
2. फर्रुखसियर का फरमान (1717):-
- 1717 में, मुग़ल सम्राट फर्रुखसियर ने ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी को एक महत्वपूर्ण फरमान जारी किया।
- इस फरमान के तहत, कंपनी को बंगाल, बिहार, और उड़ीसा में बिना किसी अतिरिक्त कर के व्यापार करने का अधिकार प्राप्त हुआ।
- इस फरमान ने अंग्रेजों को बंगाल में बड़े पैमाने पर व्यापार करने और अपने आर्थिक लाभ को बढ़ाने में मदद की।
- इसने स्थानीय व्यापारियों और मुग़ल अधिकारियों के साथ अंग्रेजों के संबंधों को भी मजबूत किया।
- धीरे-धीरे, अंग्रेजों ने बंगाल में अपनी राजनीतिक और सैन्य शक्ति को भी बढ़ाना शुरू कर दिया, जिससे स्थानीय नवाबों और अन्य यूरोपीय शक्तियों के साथ संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हुई।
6. अंग्रेजों का बंगाल में राजनीतिक प्रभाव:-
- बंगाल में व्यापारिक आधार स्थापित करने के बाद, अंग्रेजों ने धीरे-धीरे अपने राजनीतिक और सैन्य प्रभाव को भी बढ़ाना शुरू किया।
- उन्होंने स्थानीय नवाबों के साथ राजनीतिक संबंध बनाए और उन्हें कमजोर करने के लिए षड्यंत्र रचे।
- 1757 में, प्लासी की लड़ाई में नवाब सिराजुद्दौला की हार के बाद, बंगाल में अंग्रेजों का वर्चस्व स्थापित हो गया।
- इस लड़ाई के परिणामस्वरूप, अंग्रेजों ने बंगाल की सत्ता पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली और भारत में उनके साम्राज्य की नींव रखी गई।
- इस लड़ाई के बाद, बंगाल में अंग्रेजों का प्रभुत्व स्थापित हो गया और यह घटना भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के शुरुआत का प्रतीक बनी।
- इसके बाद, कंपनी ने बंगाल की समृद्धि का दोहन किया और अपने व्यापारिक और प्रशासनिक तंत्र को पूरे भारत में फैलाया।
7. बंगाल में अंग्रेजों का शासन और परिणाम:-
- बंगाल में सत्ता स्थापित करने के बाद, ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी ने क्षेत्र के आर्थिक संसाधनों का बड़े पैमाने पर दोहन किया।
- बंगाल की समृद्धि का बड़ा हिस्सा ब्रिटिश हाथों में चला गया, जिससे बंगाल की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- अंग्रेजों ने बंगाल की प्रशासनिक संरचना में भी महत्वपूर्ण बदलाव किए, जिससे स्थानीय जनसंख्या पर उनका नियंत्रण और अधिक मजबूत हो गया।
8. परिणाम:-
- बंगाल में अंग्रेजों के प्रवेश ने भारत के इतिहास में एक नए युग की शुरुआत की।
- बंगाल की समृद्धि और संसाधनों का अंग्रेजों द्वारा दोहन किया गया, और इसका असर पूरे भारत पर पड़ा।
- बंगाल में अंग्रेजों के राजनीतिक वर्चस्व ने भारत के अन्य हिस्सों में भी अंग्रेजों की शक्ति को मजबूत किया, और यह घटना भारत में ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के विस्तार का मुख्य कारण बनी।
6. प्रभाव:-
- बंगाल में ब्रिटिश फैक्ट्रियों की स्थापना ने न केवल भारत में ब्रिटिश उपनिवेशवाद की शुरुआत की, बल्कि भारत की आर्थिक संरचना को भी गहराई से प्रभावित किया।
- बंगाल की समृद्धि का बड़ा हिस्सा ब्रिटिश ईस्ट इंडिया कंपनी के हाथों में चला गया, जिससे बंगाल की अर्थव्यवस्था पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा।
- इसके अलावा, इसने भारतीय समाज, राजनीति, और संस्कृति पर भी दूरगामी प्रभाव डाला, जिसका असर आगे चलकर भारत के स्वतंत्रता संग्राम तक देखा गया।
इस प्रकार, बंगाल में ब्रिटिश फैक्ट्रियों की स्थापना भारत के इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना है, जिसने भारतीय उपमहाद्वीप में ब्रिटिश साम्राज्य के उदय की राह प्रशस्त की।
Leave a Reply