प्रारंभिक राष्ट्रवादी भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के शुरुआती चरण के प्रमुख नेता थे जिन्होंने ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ जागरूकता फैलाने और भारतीय समाज में बदलाव लाने का कार्य किया। उनका उद्देश्य भारतीय समाज को जागरूक करना और ब्रिटिश शासकों के खिलाफ एक मजबूत राष्ट्रीय आंदोलन तैयार करना था। यहाँ पर कुछ प्रमुख प्रारंभिक राष्ट्रवादियों की जानकारी दी गई है:
1. दादाभाई नौरोजी (1825-1917)
- उपाधि: “भारतीय राष्ट्रवाद के पिता” के रूप में जाना जाता है।
- योगदान: दादाभाई नौरोजी ने भारतीय समाज में जागरूकता फैलाने के साथ-साथ ब्रिटिश शासनों के आर्थिक शोषण के खिलाफ आवाज उठाई। उन्होंने ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारतीय आर्थिक स्थिति की समस्याओं को उजागर किया।
- प्रमुख कृतियाँ: “पॉवर्टी और अन-ब्रिटिश रूल इन इंडिया” (1871)।
2. एनी बेसेन्ट (1847-1933)
- उपाधि: भारतीय समाज में सामाजिक और धार्मिक सुधारों के लिए प्रसिद्ध।
- योगदान: एनी बेसेन्ट ने भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के साथ जुड़ीं। उन्होंने होम रूल आंदोलन (1916) का नेतृत्व किया, जिसने स्वराज के विचार को जन-जन तक पहुँचाया।
- प्रमुख कृतियाँ: “Theosophy” और “India: Its Life and Thought”।
3. बाल गंगाधर तिलक (1856-1920)
- उपाधि: “लौह पुरुष” और “सामाजिक क्रांति के नायक” के रूप में सम्मानित।
- योगदान: तिलक ने भारतीय समाज में जातिवाद और धार्मिक कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया। उन्होंने स्वदेशी आंदोलन और शिक्षा के प्रचार में सक्रिय भूमिका निभाई। उनका प्रसिद्ध नारा था: “स्वराज मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है।”
- प्रमुख कृतियाँ: “गीता रहस्य” और “मणगेशी पुस्तक”।
4. रवींद्रनाथ ठाकुर (1861-1941)
- उपाधि: “रवींद्रनाथ ठाकुर” के नाम से प्रसिद्ध, वे कवि, लेखक और सामाजिक सुधारक थे।
- योगदान: रवींद्रनाथ ठाकुर ने भारतीय साहित्य और संस्कृति को समृद्ध किया और भारतीय राष्ट्रीयता को बढ़ावा देने में मदद की। उन्हें 1913 में साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार मिला।
- प्रमुख कृतियाँ: “गीतांजलि”, “गौरांग” और “नवजीवन”।
5. सुभाष चंद्र बोस (1897-1945)
- उपाधि: “नेताजी” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: सुभाष चंद्र बोस ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में क्रांतिकारी और सैन्य दृष्टिकोण अपनाया। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय सेना (INA) का गठन किया और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ सशस्त्र संघर्ष किया।
- प्रमुख कृतियाँ: “The Indian Struggle”।
6. जवाहरलाल नेहरू (1889-1964)
- उपाधि: भारत के पहले प्रधानमंत्री।
- योगदान: पंडित नेहरू ने स्वतंत्रता संग्राम के साथ-साथ भारतीय समाज में औद्योगिक और सामाजिक सुधारों के लिए काम किया। उन्होंने भारतीय संविधान के निर्माण में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
- प्रमुख कृतियाँ: “Discovery of India” और “Glimpses of World History”।
7. प्रफुल्ल चंद्र रॉय (1861-1944)
- उपाधि: भारतीय रसायनशास्त्र के पितामह के रूप में सम्मानित।
- योगदान: प्रफुल्ल चंद्र रॉय ने भारतीय विज्ञान और उद्योग के क्षेत्र में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उन्होंने भारतीय विज्ञान संस्थान की स्थापना की और भारतीय उद्योग के विकास को बढ़ावा दिया।
- प्रमुख कृतियाँ: “A History of Hindu Chemistry” और “The History of Hindu Chemistry”.
8. सी. राजगोपालाचारी (1878-1972)
- उपाधि: “राजाजी” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: सी. राजगोपालाचारी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के सदस्य थे और स्वतंत्रता संग्राम के दौरान कई महत्वपूर्ण पदों पर रहे।
- प्रमुख कृतियाँ: “Mahatma Gandhi” और “The Story of the Integration of the Indian States”.
9. लाला लाजपत राय (1856-1928)
- उपाधि: “पंजाब केसरी” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: लाला लाजपत राय ने भारतीय समाज में सुधार और स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे स्वदेशी आंदोलन के प्रमुख नेता थे और ब्रिटिश शासन के खिलाफ सक्रिय विरोध में भाग लिया।
- प्रमुख कृतियाँ: “The Story of My Deportation” और “India’s Struggle for Independence”.
10. मधन मोहन मालवीय (1861-1946)
- उपाधि: “महामना” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: मदन मोहन मालवीय ने भारतीय शिक्षा प्रणाली में सुधार की दिशा में काम किया और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (BHU) की स्थापना की। उन्होंने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी की।
- प्रमुख कृतियाँ: “Hinduism and Its Philosophy” और “The New India”.
11. राममोहन राय (1772-1833)
- उपाधि: “रिफॉर्मर ऑफ दि 19थ सेंचुरी” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: राजा राममोहन राय ने भारतीय समाज में सामाजिक सुधारों की दिशा में महत्वपूर्ण कार्य किया। उन्होंने ब्रह्म समाज की स्थापना की और सती प्रथा, बाल विवाह जैसी कुरीतियों के खिलाफ संघर्ष किया।
- प्रमुख कृतियाँ: “The Precepts of Jesus” और “A Review of the Hindu Religion”.
12. उदय शंकर भट्टाचार्य (1880-1968)
- उपाधि: “उदय शंकर” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: उदय शंकर ने भारतीय कला और संस्कृति के प्रचार में महत्वपूर्ण योगदान दिया। वे भारतीय नृत्य और रंगमंच के प्रमुख प्रचारक थे और भारतीय संस्कृति को अंतरराष्ट्रीय मंच पर प्रस्तुत किया।
- प्रमुख कृतियाँ: “The Indian Dances” और “Aesthetics of Indian Dance”.
13. सूरत कांग्रेस (1907)
- उपाधि: कांग्रेस पार्टी की एक महत्वपूर्ण बैठक।
- योगदान: सूरत कांग्रेस ने भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अंदर विभाजन का संकेत दिया। यह बैठक सूरत में आयोजित की गई और इसके बाद कांग्रेस में विभाजन हुआ, जो कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विकास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था।
- प्रमुख घटनाएँ: सूरत कांग्रेस के दौरान सावरकर और गांधीजी के बीच मतभेद उभरे, जिससे कांग्रेस के अंदर दो प्रमुख धड़े बने।
14. शिवराम राजगुरु (1908-1931)
- उपाधि: “राजगुरु” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: शिवराम राजगुरु एक प्रमुख क्रांतिकारी थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में हिंसात्मक गतिविधियों में भाग लिया। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ कई महत्वपूर्ण क्रांतिकारी कार्रवाइयाँ कीं।
- प्रमुख कृतियाँ: उनकी स्वतंत्रता संग्राम में भागीदारी मुख्य रूप से उनके क्रांतिकारी कार्यों और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में योगदान के रूप में प्रसिद्ध है।
15. चित्तरंजन दास (1870-1925)
- उपाधि: “Deshbandhu” के नाम से प्रसिद्ध।
- योगदान: चित्तरंजन दास ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। वे कांग्रेस के प्रमुख नेता थे और बंगाल में स्वदेशी आंदोलन के समर्थक थे। उन्होंने बंगाल के विभाजन के खिलाफ सक्रिय विरोध किया और स्वराज के लिए संघर्ष किया।
- प्रमुख कृतियाँ: “The Indian National Movement” और “Swadeshi Movement”.
16. दीन दयाल उपाध्याय (1916-1968)
- उपाधि: भारतीय राजनीति के प्रमुख विचारक।
- योगदान: दीन दयाल उपाध्याय ने भारतीय राजनीति में समाजवाद और राष्ट्रीयता के विचारों को प्रस्तुत किया। वे भारतीय जनसंघ के प्रमुख नेताओं में से एक थे और भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण प्रभाव डालने वाले विचारक रहे।
- प्रमुख कृतियाँ: “Integral Humanism” और “The Philosophy of Integrated Humanism”.
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