मुगल वंश की स्थापना (1526 ई) में बाबर के द्वारा किया गया था।
- बाबर और उत्तरवर्ती मुगल शासक तुर्क एवं सुन्नी मुसलमान थे।
- बाबर का पिता चगताई तुर्क और माता मंगोल वंश से थी।
- लेकिन उसने अपनी आत्मकथा में स्वयं को अपनी मां के वंश से मानने पर जोर दिया है।
- इसलिये उसके द्वारा स्थापित वंश मुगल वंश कहलाया था।
- बाबर पितृ पक्ष की ओर से तैमूर का पांचवा वंशज तथा मातृ पक्ष की ओर से चंगेज खां का चौदहवां वंशज था।
- बाबर ने मुगल वंश की स्थापना के साथ ही पद पादशाही की स्थापना की थी।
- जिसके तहत शासक को बादशाह कहा जाता था।
- पादशाह की उपाधि धारण करने वाला बाबर प्रथम मुगल शासक था।
मुगल राजवंश का महत्त्व(Significance of Mughal Dynasty):-
इस वंश ने भारत में लगभग 200-250 वर्षों तक शासन किया था। मुगल वंश का भारतीय इतिहास में बहुत महत्त्व है। बाबर ने 1526 ई० में दिल्ली में मुगल-साम्राज्य की स्थापना की थी और इस वंश का अन्तिम शासक बहादुर शाह 1856 ई० में दिल्ली के सिंहासन से अंग्रेजो के द्वारा हटाया गया था। इस प्रकार भारतवर्ष में किसी अन्य मुस्लिम राज-वंश ने इतने अधिक दिनों तक स्वतन्त्रतापूर्वक शासन नहीं किया जितने वर्षो तक मुगल राज-वंश ने शासन किया था। न ही केवल काल की दृष्टि से मुगल राज-वंश का भारतीय इतिहास में महत्त्व है बल्कि विस्तार की दृष्टि से भी बहुत बड़ा महत्त्व है। मुगल राजाओं ने न केवल सम्पूर्ण उत्तरी-भारत पर अपना साम्राज्य स्थापित किया था बल्कि दक्षिण भारत के भी एक बहुत बड़े भाग पर उन्होंने अपनी प्रभुत्व-शक्ति स्थापित किया था। शांति तथा सुव्यवस्था, राजतंत्र, स्थापत्य कला, और संस्कृति के दृष्टिकोण से भी मुगल राज-वंश का भारतीय इतिहास में बहुत बड़ा महत्त्व है।
मुगल वंश के शासक:-
इस वंश में 15 शासकों ने लगभग 250 सालों तक दिल्ली पर शासन किया था। जिनका कालक्रम इस प्रकार से है।
- बाबर (1526-1530 ई)
- हूमायूं (1530-1540ई, 1555-56 ई )
- अकबर (1556-1605 ई)
- जहांगीर (1605-1627 ई)
- शाहजहां (1627-1658 ई)
- औरंगजेब (1658-1707 ई)
- बहादुर शाह प्रथम (1707-1712 ई)
- जहांदर शाह (1712-1713 ई)
- फर्रुखशियर (1713-1719 ई)
- मुहम्मदशाह (1719-1748 ई)
- अहमदशाह (1748-1754 ई)
- आलमगीर (1754-1759 ई)
- शाह आलम (1759-1806 ई)
- अकबर द्वितीय (1806-1837 ई)
- बहादुर शाह जफर द्वितीय (1837-1857 ई)
1.जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर(Zaheeruddin Muhammad Babar):-
- जन्म- 14 फरवरी 1483 ई
- जन्म भूमि- अन्दीजन (फरगना राज्य की राजधानी) उज्बेकिस्तान
- माता- कुतलुग निगार
- पुत्र- हुमायूं, कामरान, अस्करी, हिंदाल
- रचना- बाबरनामा या तुजुक-ए-बाबर
- पूरा नाम- जहीरूद्दीन मुहम्मद बाबर
- अन्य नाम- पादशाह ए गाजी, मुगल शाह
- राज्याभिषेक- 8 जून 1494 ई
- मृत्यु स्थान- आगरा
- बोलचाल की भाषा- उर्दू
- उपाधि- पादशाह, कलंदर
- पिता- उमर शेख मिर्जा
बाबर से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु:-
- 1526 ई में पानीपत के प्रथम युद्ध में विजय के बाद बाबर ने काबुल के प्रत्येक निवासी को एक एक चांदी का सिक्का दान दिया था। इस उदारता के कारण उसे कलंदर की उपाधि दी गयी थी।
- बाबर ने काबुल में चांदी का शाहरूख तथा कांधार में बाबरी नामक सिक्का चलाया था।
- बाबर ने तुर्की भाषा में अपनी आत्मकथा तुजुक ए बाबरी की रचना की। इसे बाबरनामा भी कहा जाता है।
- सर्वप्रथम अकबर के समय में इसका फारसी में अनुवाद पायन्दा खां ने किया तथा बाद में 1590 में अब्दुर्रहीम खानेखाना ने इसका फारसी में अनुवाद किया था।
- बाबरनामा का फारसी भाषा से अंग्रेजी अनुवाद सर्वप्रथम लीडन, अर्सकिन, व एल्किंग ने 1826 ई में किया था।
- मिसेज बैवरीज ने सर्वप्रथम मूल तुर्की भाषा से इसका अंग्रेजी में अनुवाद 1905 में किया।
- बाबर ने तुर्की भाषा में एक और काव्य संग्रह दिवान का संकलन करवाया था।
- मुबइयान नामक पद्य शैली का विकास बाबर ने किया था।
- यह मात्र 12 वर्ष की अल्पावस्था में पिता की एक दुर्घटना में मृत्यु हो जाने के बाद बाबर फरगना की गद्दी पर बैठा था।
- 1504 ई में बाबर ने काबुल को जीता व मिर्जा की जगह पादशाह की उपाधि धारण की थी।
- बाबर निरंतर युद्धों से जूझता रहा उसने उजबेगों से तुलुगमा व्यूह प्रणाली, इरानियों से बंदूकों का प्रयोग, तुर्कों से घुड़सवारी तथा मंगोलों और अफगानों से व्यूह रचना सीखी थी।
- बाबर ने उस्ताद अली कुली को अपने तोपखाने का अध्यक्ष नियुक्त किया था ।
- बाबर के आक्रमण के समय भारत सात राज्यों में बंटा था। जिनमें 5 मुस्लिम बंगाल, दिल्ली, मालवा, बहमनी, गुजरात और दो हिंदू राज्य मेवाड़ व विजयनगर थे।
- बाबर ने भारत पर 5 बार आक्रमण किया।
- बाबर ने भारत पर पहला आक्रमण 1519 ई में युसुफ जई जाति के विरूद्ध किया और बाजौर (पाक) के दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
- बाद में बाबर ने भेरा (पाक) नामक स्थान पर भी अधिकार कर लिया था।
- भेरा अभियान में बाबर ने तोपखाने का प्रयोग किया था। जो असफल रहा।
- बाबर को भारत पर आक्रमण करने का निमंत्रण पंजाब के शासक दौलत खां लोदी और मेवाड़ के शासक राणा सांगा ने दिया था।
- पानीपत का प्रथम युद्ध 21 अप्रैल 1526 में बाबर व इब्राहिम लोदी के मध्य लड़ा गया इसमें बाबर विजयी हुआ।
- इस युद्ध में उसने सफलतापूर्वक तुलुगमा पद्धति व तोपों को सजाने की उस्मानी पद्धति का प्रयोग किया।
- दो गाड़ियों के बीच व्यवस्थित जगह छोड़कर उसमें तोपों को रखकर चलाने की पद्धति को उस्मानी पद्धति कहा जाता था।
- बाबर के दो कुशल तोपची उस्ताद अली व मुस्तफा थे।
- खानवा विजय के बाद बाबर ने गाजी की उपाधि धारण की थी।
- घाघरा का युद्ध प्रथम युद्ध था जो जल व थल दोनों में लड़ा गया।
- बाबर की पुत्री का नाम गुलबदन बेगम था।
- पानीपत के प्रथम युद्ध में पहली बार बाबर ने तोपखाने का तुलुगमा पद्धति का सफलतापूर्वक प्रयोग किया।
- सड़क मापने के लिये बाबर ने गज-ए-बाबरी मापक का प्रयोग किया।
बाबर की मृत्यु(Death of Babur) :-बाबर की मृत्यु 26 दिसंबर 1530 ई में आगरा में हुयी थी। जिसे पहले आगरा के आरामबाग में दफनाया गया और बाद में फिर काबुल में दफनाया गया था। बाबर का मकबरा काबुल में है।
बाबर के द्वारा लड़े गये प्रमुख युद्ध:-
- 1. पानीपत का प्रथम युद्ध- 1526ई- इब्राहिम लोदी- बाबर विजयी
- 2. खानवा (राजस्थान) का युद्ध- 1527 ई- राणा सांगा- बाबर विजयी
- 3. चंदेरी (मप्र) का युद्ध -1528ई- मेदिनी राय- बाबर विजयी
- 4. घाघरा का युद्ध- 1529 ई- अफगानों से (महमूद लोदी)- बाबर विजयी
नासिरूद्दीन मुहम्मद हुमायूं :-
- जन्म- 6 मार्च 1508 ई
- जन्म स्थान- काबुल
- मूल नाम- नासिरूद्दीन मुहम्मद
- माता- माहम बेगम
- राज्याभिषेक- 30 दिसंबर 1530 ई (आगरा)
हुमायूं से जुड़े महत्वपूर्ण बिंदु:-
- गद्दी पर बैठने से पहले हुमायूं बदख्शां (तजाकिस्तान) का सूबेदार था।
- हुमायूं एकमात्र ऐसा मुगल शासक था जिसने अपने पिता के कहने पर अपने राज्य का बंटवारा अपने भाइयों में किया। इसने कामरान को काबुल और कंधार, अस्करी को संभल (उप्र) हिंदाल को अलवर व मेवाड़ की जागीरें प्रदान की थी।
- आगरा विजय के बाद हूमायूं से प्रसन्न होकर बाबर ने उसे पर्याप्त धन व कोहिनूर का हीरा प्रदान किया था।
- अपने चचेरे भाई सुलेमान मिर्जा को हूमायूं ने बदख्शां (तजाकिस्तान) प्रदान किया।
- कालिंजर पर आक्रमण (1531) हुमायूं का पहला आक्रमण था। कालिंजर अभियान इसे गुजरात के शासक बहादुर शाह की बढती हुयी शक्ति रोकने के लिये करना पड़ा।
- देवरा (उप्र) का युद्ध 1532 ई में हूमायूं व महमूद लोदी के बीच हुआ था। इसमें महमूद की पराजय हुयी थी।
- हुमायूं ने चुनार का घेरा 1532 में किया । हूमायूं के चुनार के किले पर आक्रमण के समय यह किला अफगान नायक शेरशाह के कब्जे में था।
- 1533 में हूमायूं ने दीनपनाह नामक नये नगर की स्थापना की थी। जिसका उद्देश्य मित्र एवं शत्रु को प्रभावित करना था।
- चौसा (बिहार) का युद्ध 1539 में शेर खां एवं हूमायूं के बीच हुआ जिसमें हूमायूं की पराजय हुयी थी।
- इस युद्ध के बाद शेरखां ने शेरशाह की पदवी ग्रहण कर ली थी।
- बिलग्राम या कन्नौज का युद्ध 1540ई में शेरखां व हुमायूं के बीच हुआ था। इस युद्ध में भी हूमायूं पराजित हुआ। शेर खां ने आसानी से आगरा एवं दिल्ली पर कब्जा कर लिया।
- इस युद्ध में उसके साथ उसके भाई हिंदाल व अस्करी भी थे।
- बिलग्राम युद्ध के बाद हुमायूं सिंध चला गया जहां उसने 15 वर्षों तक घुमक्कड़ों की तरह जीवन व्यतीत किया था।
- निर्वासन के समय हूमायूं ने हिंदाल के आध्यात्मिक गुरू मीर बाबा दोस्त उर्फ मीर अली अकबर जामी की पुत्री हमीदा बानो बेगम से 1541 में शादी की। जिससे अकबर का जन्म हुआ।
- मच्छीवाड़ा का युद्ध हूमायूं एवं अफगानों के बीच 1555 ई में हुआ था।
- 1555 में हूमायूं ने पंजाब के सूरी शासक सिकंदर सूरी को सरहिंद के युद्ध में पराजित किया व दोबारा दिल्ली गद्दी पर बैठा था।
- हूमायूं के पुस्तकालय का नाम सेरमंडल था।
- हूमायूं ज्योतिष में भी विश्वास रखता था इसलिये उसने सप्ताह के सात दिन सात रंग के कपड़े पहनने का नियम बनाया था।
हूमायूं द्वारा लड़े गये युद्ध (Battles Fought by Humayun):-
- देवरा का युद्ध -1532 ई
- चौसा का युद्ध -1539 ई
- बिलग्राम का युद्ध -1540 ई
- सरहिंद का युद्ध -1555 ई
हूमायूं की मृत्यु(Death of Humayun):- 1 जनवरी 1556 में हूमायूं की मृत्यु दीनपनाह भवन के पुस्तकालय की सीढियों से गिरकर हुयी थी। हूमायूंनामा की रचना उसकी सौतेली बहन गुलबदन बेगम ने की थी।
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