लोदी वंश
- अफ़गान ग़ज़ाली जनजाति ने लोदी साम्राज्य की स्थापना की। बहलोल लोदी ने समझदारी से काम लिया और दिल्ली में प्रवेश करने से पहले पंजाब पर कब्ज़ा करके सैयद शासक की कमज़ोर स्थिति का फ़ायदा उठाया।
- 1451 में, उन्होंने “बहलोल शाह गाजी” की उपाधि धारण करते हुए, दिल्ली की गद्दी से भारत का नियंत्रण छीन लिया। उनके राज्यारोहण के साथ ही शर्की वंश का अंत हो गया।
- 15 जुलाई 1489 को बहलोल लोधी के बाद उनके दूसरे बेटे सिकंदर लोधी ने गद्दी संभाली, जो अपने बड़े भाई बरबक शाह के साथ सत्ता संघर्ष में लगे हुए थे।
- सिकंदर लोधी एक कट्टर सुन्नी शासक था जिसने मथुरा और नागा बंदरगाह में भारतीय मंदिरों को नष्ट कर दिया था। उसने इस्लाम की सर्वोच्चता को प्रदर्शित करने के लिए हिंदुओं पर जजिया कर लगाया था।
- सिकंदर लोदी ने ग्वालियर किले पर विजय पाने का पांच बार प्रयास किया लेकिन हर बार राजा मान सिंह से पराजित हुआ।
- अपने बड़े भाई जलाल-उद-दीन के साथ उत्तराधिकार युद्ध के बाद, 1517 में उनकी मृत्यु हो गई और उनके बेटे इब्राहिम खान लोदी ने उनका उत्तराधिकारी बना लिया। वे दोनों लगातार मतभेद में रहे।
बहलोल लोदी (1451-1489 ई.)
- बहलुल खान लोदी (शासनकाल 1451-1489) भारत के सरहिंद (पंजाब) के गवर्नर मलिक सुल्तान शाह लोदी के भतीजे और दामाद थे, और सैयद वंश के शासक मुहम्मद शाह के शासनकाल के दौरान गवर्नर के रूप में उनके उत्तराधिकारी बने। वह तीन लोधी राजाओं में सबसे शक्तिशाली और प्रतिष्ठित थे।
- मुहम्मद शाह ने उन्हें तरुण-बिन-सुल्तान के पद पर नियुक्त किया। अपने मजबूत व्यक्तित्व के साथ, उन्होंने अफ़गान और तुर्की सरदारों के एक ढीले संघ को एक साथ रखा।
- उन्होंने प्रान्तों के झगड़ालू प्रमुखों को काबू में किया तथा सरकार में नई जान फूंकी।
- दिल्ली के अंतिम सैयद शासक अलाउद्दीन आलम शाह द्वारा स्वेच्छा से गद्दी त्यागने के बाद 19 अप्रैल 1451 को बहलोल खान लोदी दिल्ली सल्तनत की गद्दी पर बैठे।
- जौनपुर की विजय उसके शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना थी। बहलुल ने अपना अधिकांश समय शर्की वंश के विरुद्ध लड़ने में बिताया, जिसे उसने अंततः अपने अधीन कर लिया।
- 1486 में उन्होंने अपने सबसे बड़े जीवित पुत्र बारबक को जौनपुर की गद्दी पर बैठाया।
- सल्तनत काल लोदी वंश के साथ समाप्त हो गया।
- ग्वालियर, समथल, सकीट, मेवात पर बहलोल लोदी ने विजय प्राप्त की।
- उनकी मृत्यु 1489 ई. में हुई।
- समर्थन और मान्यता प्राप्त करने के लिए बहलोल लोदी कभी सिंहासन पर नहीं बैठा, बल्कि उसने अपने सरदारों के साथ कालीन पर बैठना पसंद किया।
- उन्होंने माप का एक नया मानदंड, गज़-ए-सिकंदरी , तथा लेखा-परीक्षण की एक प्रणाली शुरू की।
सिकंदर लोदी (1489-1517 ई.):-
- सिकंदर खान लोदी (शासनकाल 1489-1517) (जन्म निज़ाम खान), बहलुल का दूसरा पुत्र, 17 जुलाई 1489 को उसकी मृत्यु के बाद उसका उत्तराधिकारी बना और उसने सिकंदर शाह की उपाधि धारण की।
- उनके पिता ने उन्हें अपना उत्तराधिकारी नामित किया और 15 जुलाई 1489 को उन्हें सुल्तान का ताज पहनाया गया। उन्होंने 1504 में आगरा की स्थापना की और मस्जिदों का निर्माण कराया।
- उन्होंने राजधानी को दिल्ली से आगरा स्थानांतरित किया। वे व्यापार और वाणिज्य के समर्थक थे। वे एक प्रसिद्ध कवि थे जिन्होंने गुलरुक नाम से लेखन किया।
- वह विद्या के संरक्षक भी थे और उन्होंने संस्कृत चिकित्सा ग्रंथों का फारसी में अनुवाद कराया था।
- उन्होंने अपने पश्तून सरदारों की व्यक्तिवादी प्रवृत्ति पर अंकुश लगाने के लिए उनसे अपने खातों को राज्य लेखापरीक्षा के लिए प्रस्तुत करने की अपेक्षा की।
- परिणामस्वरूप, वे प्रशासन में जोश और अनुशासन लाने में सफल रहे। उनकी सबसे उल्लेखनीय उपलब्धि बिहार पर विजय और उसका विलय थी।
- उसने 1503 ई. मे आगरा शहर बसाया और 1506 ई. मे अपनी राजधानी दिल्ली से आगरा ले आया।
- 1489 ई. में बहलोल लोदी के मृत्यु के बाद सिकंदर लोदी दिल्ली सल्तनत का उत्तराधिकारी हुआ | यह लोदी राजवंश का दूसरा शासक बना। उसके बचपन का नाम निजाम खान था, लेकिन सत्ता सम्भालने के बाद उसने अपना नाम “सुल्तान सिकन्दर शाह” रख दिया जो बाद में सिकन्दर लोदी के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
- उसने ग्वालियर के किले पर पांच बार आक्रमण किया लेकिन राजा मान सिंह ने हर बार उसे हरा दिया।सिकंदर लोदो की मृत्यु 1517 ई. में गले के बीमारी की वजह से हुई उसके बाद उसका बेटा इब्राहिम लोदी राजा बना।
3. इब्राहीम लोदी
- दिल्ली के अंतिम लोदी सुल्तान इब्राहिम लोदी (शासनकाल 1517-1526) सिकंदर के सबसे बड़े बेटे थे। उनमें एक महान योद्धा के गुण थे, लेकिन उनके निर्णय और कार्य जल्दबाजी और अभद्र थे।वह अफगानी था। जिन्होंने एक नया वंश स्थापित किया, जिस वंश ने यहाँ तीन शताब्दियों तक राज्य किया।
- शाही निरंकुशता का उनका प्रयास अपरिपक्व था, और प्रशासन को मजबूत करने और सैन्य संसाधनों को बढ़ाने के उपायों के बिना दमन की उनकी नीति विफल होने के लिए बाध्य थी।
- इब्राहीम को अनेक विद्रोहों का सामना करना पड़ा और उन्होंने लगभग एक दशक तक विपक्ष को काबू में रखा।
- अपने शासनकाल के अधिकांश समय में वह अफगानों और मुगल साम्राज्य के साथ युद्ध में रहे और लोदी वंश को विनाश से बचाने की कोशिश करते हुए उनकी मृत्यु हो गई।
- 1526 में, इब्राहिम को पानीपत की लड़ाई में हराया गया। इसके साथ ही लोदी वंश का अंत हो गया और भारत में बाबर (शासनकाल 1526-1530) के मुगल साम्राज्य का उदय हुआ।
- इब्राहिम को अपने पिता सिकंदर लोदी के मरणोपरांत गद्दी मिली। परंतु उसकी शासकीय योग्यताएं अपने पिता समान नहीं थीं।
- राणा सांगा ने अपना साम्राज्य पश्चिम उत्तर प्रदेश तक प्रसार किया और आगरा पर हमले की धमकी दी। पूर्व में भी विद्रोह शुरु हो गया। इब्राहिम ने पुराने एवं वरिष्ठ सेना कमाण्डरों को अपने वफादार नये सेना कमाण्डरों से बदल कर दरबार के नवाबों को भी नाखुश कर दिया था। तब उसे अपने लोग ही डराने धमकाने लगे थे। और अंततः अफगानी दरबारियों ने बाबर को काबुल से भारत पर आक्रमण करने के लिये आमंत्रित किया।
इब्राहिम लोदी का शासन काल:-
- सिकंदर लोदी की मृत्यु के पश्चात उसका ज्येष्ठ पुत्र इब्राहिम लोदी ने सिंहासन संभाला इसका शासन काल 1517 से 1526 तक रहा
- इब्राहिम लोदी अफगान सरदारों की सर्वसम्मति से गद्दी पर बैठा
- अफगानों की शासन व्यवस्था राजतंत्रीय न होकर कुलीनतंत्रीय थी राजत्व सिध्दांत सरदारो की समानता पर आधारित था योग्यता के आधार पर सरदारों के सुल्तानों को चुने जाने का अधिकार समझते थे
- राज्य विभाजन के फलस्वरूप उसके छोटे भाई जलाल खाँ को जौनपुर की गद्दी सौंपी गई परंतु इब्राहिम ने जौनपुर पर भी कब्जा कर लिया
- उसने लोहानी, फारमूली एवं लोदी जातियो के शक्तिशाली सरदारो के वर्ग थे जो राज्य के अधिकारी वर्ग थे उन सब के विरुध्द दमन की नीति चलाई
इब्राहिम लोदी की सबसे बडी सफलता:-
इब्राहिम लोदी की सबसे बडी सफलता ग्वालियर पर विजय थी इसी समय ग्वालियर अंतिम रूप से साम्राज्य में सम्मिलित हुआ।
इब्राहिम लोदी द्वारा लडे गये युध्द:-
- 1517 से 1518 के बीच में इब्राहिम लोदी व राणा सांगा के बीच घटोली का युध्द हुआ जिसमें राणा सांगा की विजय हुई।
- अप्रैल 1526 ई0 को पानीपत के मैदान में बाबर से युध्द हुआ जिसमें इब्राहिम लोदी की हार हुई
लोदी वंश के पतन का कारण:-
- बाबर का भारत पर आक्रमण ही लोदी वंश के पतन का मुख्य कारण था लोदी वंश के पतन के साथ दिल्ली सल्तनत का भी अंत हो गया।
- इब्राहिम लोदी की सबसे बडी दुर्बलता उसका हटी स्वभाव प्रवृति थी।
- यह प्रथम सुल्तान था लोदी वंश का जो युध्द स्थल में मारा गया।
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