जहांगीर अकबर के मृत्यु के पश्चात 1605 ई० में मुगल साम्राज्य की गद्दी पर बैठा था। जहाँगीर को अकबर की तरह ही साहित्य, कला एवं अध्ययन में रूचि रखता था, उसने तुजुक-ए-जहाँगीरी नामक पुस्तक की रचना की। मुगल साम्राज्य में जहांगीर को न्याय की जंजीर के लिए भी जाना जाता है, उसने उसने राजदरवार से एक सोने की जंजीर बनवाई, जिसमे घंटियाँ बांध रखी थी, जिसे बजाकर कोई भी न्याय की गुहार लगा सकता था।
जहांगीर (Jahangir) का जीवन परिचय: –
- जहाँगीर वास्तविक नाम :- नूरुद्दीन मोहम्मद जहांगीर
- जहाँगीर का जन्म :- 1569 सीकरी गांव में, सलीम चिश्ती के आशीर्वाद से हुआ था।
- जहाँगीर के बचपन का नाम :- सलीम
- अकबर प्यार से सलीम को “शेखू बाबा” कहकर पुकारते थे।
- जहाँगीर के पिता का नाम :- अकबर
- जहाँगीर की माता का नाम :- मरियम उज्मानी (जोधा बाई)
जहाँगीर का प्रारम्भिक जीवन:-
जहाँगीर का प्रारम्भिक जीवन की शुरुआत 1581 ई० में काबुल के सैन्य अभियान से हुआ, जहाँगीर के प्रारम्भिक जीवन की प्रमुख घटनाएँ अग्रलिखित हैं –
- 1581 :- जहांगीर ने काबुल के विरुद्ध पहला सैन्य अभियान किया।
- 1599 :- इलाहाबाद में पड़ाव डाला, तथा एक शासक की भांति दरबार लगाया।
- 1602 :- जहांगीर ने “वीर सिंह बुंदेला” के द्वारा अबुल फजल की हत्या करवा दी तथा अपने पिता अकबर के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
जहाँगीर का साम्राज्य विस्तार एवं कार्य :-
1605 :- आगरा में जहांगीर की ताजपोशी होती है। ताजपोशी होते ही जहांगीर ने अपने शासन को सुचारु रुप से चलाने हेतु 12 अध्यादेशो को जारी किया। इन अध्यादेशों को आइन-ए-जहाँगीर कहा जाता था।
- जकात नामक कर (Tax) को समाप्त किया।
- तमगा नामक कर (Tax) को समाप्त किया।
- नीर वही नामक कर (Tax) को भी समाप्त किया।
- मादक पदार्थों (शराब) के निर्माण तथा बिक्री दोनों पर प्रतिबंध लगाया।
- पशु वध पर रोक लगाई।
- बलात श्रम पर प्रतिबंध लगाया।
- जुआ पर प्रतिबंध लगाया लेकिन दीपावली के दिन खेल सकते थे।
- जहांगीर रक्षाबंधन तथा दीपावली दोनों हिंदू त्योहारों को मनाता था।
- जहांगीर ने दो सम्मानित दिवस घोषित किए। रविवार (Sunday) तथा गुरुवार (Thursday)। क्योंकि रविवार के दिन जहांगीर का जन्म हुआ था तथा गुरुवार के दिन ताजपोशी।
- जो कैदी लंबे समय से जेल में थे, उन्हें रिहा करवाया।
- उसने अपने पिता द्वारा जारी जागीर और मनसबों की पुष्टि की। सक्षम और कुशल मनसबदारों को पदोन्नति प्रदान की गई।
- किसी भी व्यक्ति को उसकी सहमति के बिना उसके आवास में रहने की अनुमति नहीं थी। जहांगीर के शासन काल में अंग काटना भी प्रतिबंधित था।
• जहाँगीर के अध्यादेशों ने संकेत दिया कि वह लोगों पर उचित तरीके से शासन करना चाहता था ताकि वह साबित कर सके कि वह अपनी प्रजा के प्रति पूरी सहानुभूति रखने वाला एक उदार शासक है।
- 1606 में जहाँगीर की पहली पत्नी मानबाई से उत्पन्न संतान ‘खुसरो’ ने अपने पिता के विरुद्ध विद्रोह कर दिया।
- इसके पश्चात खुसरो सिखों के पांचवें गुरु ‘अर्जुन देव’ की शरण में चला गया तथा जहांगीर ने खुसरो की सहायता करने के जुर्म में गुरु अर्जुन देव को मृत्युदंड दे दिया।
- जहांगीर ने सिखों पर ₹2,00000 (दो लाख) तक का जुर्माना लगाया और सिखों के छठे गुरु ‘हरगोविंद’ को कारावास में डाल दिया।
- भैरौखाल (पंजाब) में जहांगीर व खुसरो के मध्य युद्ध होता है, और जहांगीर खुसरो को कारावास में डालकर उसे अंधा बना देता है।
जहाँगीर के प्रशासनिक कार्य :-
- अकबर द्वारा चलाई गई मनसबदारी व्यवस्था को दस्सी – बीस्सी से परिवर्तन कर दो अस्पा व सिंह अस्पा को लागू किया।
- जहांगीर ने मनसबदारी व्यवस्था में पहली बार अफगान, मराठी और भारतीय मुसलमानों को भी शामिल किया।
- जहांगीर ने न्याय की सुनवाई हेतु एक हिंदू श्रीकांत को न्यायाधीश (जज) बनाया।
- चांदी का निसार नामक सिक्का चलाया जिस पर ‘बादशाह’ व ‘बेगम’ लिखा होता था।
- जहांगीर के समय में जैनियों की दो शाखाएं होती थी – श्वेतांबर तथा दिगंबर
- जहांगीर ने 1617 में दिगंबर शाखा (नग्न अवस्था मे रहने वाले) के लोगों को राज्य से बाहर करने का आदेश दे दिया था।
नूरजहां का जीवन परिचय:-
- नूरजहां जहाँगीर की तीसरी पत्नी थी, जो एक विधवा स्त्री थी।
- नूरजहां का अर्थ है – दुनिया की रोशनी। नूरजहां ने जहाँगीर के खिलाफ एक गुट बना लिया था, जिसे इतिहास में नूरजहां गुट या ‘जुन्ता गुट भी कहा जाता है।
- नूरजहां का जीवन परिचय इस प्रकार से है –
- नूरजहां का वास्तविक नाम : मेहरुनिस्सा
- नूरजहां की माता का नाम : अस्मत बेगम
- नूरजहां के पिता का नाम : मिर्जा गियास
- नूरजहां के भाई का नाम : आसफ खां
- नूरजहां की बेटी का नाम : लाडली बेगम
- नूरजहां के पिता मिर्जा गियास को जहांगीर ने ‘एतमाउददौला’ उपाधि से सम्मानित किया
- पहले मेहरुन्निसा का विवाह अलीकुली नामक एक साहसी ईरानी नवयुवक से हुआ था, जिसे जहाँगीर के शासन के प्रारम्भ में ‘शेर अफ़ग़ान’ की उपाधि से नवाजा गया।
- नोट :- अली कुली बेग को से “शेर अफगान” की उपाधि अकबर ने दी थी।
• 1607 ई. में जहाँगीर के दूतों ने शेर अफ़ग़ान को एक युद्ध में मार डाला जिसके पश्चात शेर अफगान की विधवा पत्नी नूरजहां को अकबर की विधवा रानी “सलीमा बेगम” की परिचारिका बनी।
- मेहरुन्निसा को जहाँगीर ने सर्वप्रथम नौरोज़ त्यौहार के अवसर पर आगरा के मीना बाजार में देखा और उसके सौन्दर्य पर मुग्ध होकर जहाँगीर ने मई, 1611 ई. में उससे विवाह कर लिया।
- विवाह के पश्चात जहाँगीर ने मेहरुन्निसा को ‘नूरमहल’ व ‘नूरजहाँ’ की उपाधि प्रदान की।
शाहजहां का विद्रोह (1623 ई०):-
शाहजहां का विद्रोह 1623 ई० में तब शुरू हुआ, जब शाहजहां को लगा की जहाँगीर के शासन में तो केवल नूरजहां के गुट काही दब-दबा है, जिससे राजा बनना मुश्किल है और उसे अपने राजा बनने पर खतरा दिखने लगा, जिस कारण शाहजहां ने 1623 में विद्रोह कर दिया।
शाहजहां का विद्रोह (1623ई०) की प्रमुख घटनाएँ निम्नवत हैं –
- 1618 :- दक्षिण अभियान के दौरान खुर्रम ने अहमदनगर, गोलकुंडा व बीजापुर पर विजय प्राप्त की और इसके पश्चात जहांगीर ने खुर्रम को ‘शाहजहां‘ की उपाधि से सुशोभित किया।
- 1621 :- शाहजहां दक्षिण अभियान के दौरान अपने भाई खुसरो की हत्या कर देता है।
- 1623 से 1626 के मध्य शाहजहां ने अपने पिता जहांगीर के विरुद्ध विद्रोह किया।
- विद्रोह करने के पश्चात शाहजहां ने अहमदनगर के प्रधानमंत्री ‘मलिक अंबर’ के यहां शरण भी और मलिक अंबर मुगलों से छिप – छिपकर युद्ध करता था जिसे गोरिल्ला पद्धति कहा गया।
- नोट :- मलिक अंबर को ‘दक्षिण का टोडरमल’ कहा जाता था।
- शाहजहां के नेतृत्व में मुगलों का मेवाड़ के राजपूतो के मध्य समझौता हुआ जिसकी वजह से मुगलों ने आगरा के किले मे मेवाड़ के राजा ‘अमर सिंह’ तथा उसके पुत्र ‘कर्ण सिंह’ की प्रतिमा लगाई।
- 1626 में महावत खान का विद्रोह होता है जिसमें बादशाह जहाँगीर को झेलम नदी के तट पर में क़ैद कर लिया जाता है।
- 1627 ई. मे जहाँगीर की मृत्यु हो जाती है।
मुगल साम्राज्य जहांगीर के दरबार में आने वाले विदेशी यात्री:-
मुगल साम्राज्य जहांगीर के दरबार में आने वाले विदेशी यात्रियों में – ‘विलियम हॉकिंस’, ‘टॉमस रो’ और ‘फ्रांसिस्को प्लास्टी’ था।
1. प्रथम विदेशी यात्री – ‘विलियम हॉकिंस’
- जहांगीर के दरबार में 1608 में ‘विलियम हॉकिंस’ नामक ब्रिटिश यात्री आया था और 1611 में वापस चला गया।
- इसने जहांगीर को अपना परिचय तुर्की भाषा में दिया जिस कारण जहांगीर ने खुश होकर विलियम हॉकिंस को ‘इंग्लिश खान’ की उपाधि तथा 400 मनसब दिये।
2. दूसरा विदेशी यात्री – ‘टॉमस रो’
- दूसरा ब्रिटिश यात्री ‘टॉमस रो’ 1615 मे मुगल दरबार में आया था तथा यह 2 वर्ष तक अतिथि के रूप मे दरबार में रहा।
- टॉमस रो की जहांगीर से पहली मुलाकात अजमेर में हुई थी तथा इसने जहांगीर के साथ शिकार भी किया।
- जहांगीर स्वयं एक प्रसिद्ध चित्रकार था तथा टॉमस रो ने जहांगीर की चित्रकारिता में निपुणता की प्रशंसा भी की।
3. तीसरा विदेशी यात्री – ‘फ्रांसिस्को प्लास्टी’
- तीसरा ब्रिटिश यात्री ‘फ्रांसिस्को प्लास्टी’ था, तथा यह एक डच यात्री था।
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