मध्य एशिया के साथ ऐतिहासिक संबंध:-
- भारत के मध्य एशिया के साथ संबंध तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व से ही रहे हैं, क्योंकि ये देश पौराणिक रेशम मार्ग पर पड़ते थे ।
- रेशम मार्ग ने न केवल माल, रेशम, वस्त्र, मसालों आदि के परिवहन के माध्यम के रूप में कार्य किया, बल्कि विचारों, धर्म और दर्शन के प्रसार में भी सहायता की।
- बौद्ध धर्म ने मध्य एशिया के कई शहरों जैसे मर्व, खालाचयान, तिर्मिज़ और बुखारा आदि में स्तूपों और मठों के रूप में अपनी पैठ बना ली।
- 1526 में बाबर फरगाना (मध्य एशिया का खाद्य कटोरा) की उपजाऊ घाटी से पानीपत के धूल भरे शहर में आया और भारत में मुगलों का शक्तिशाली शासन स्थापित किया।
- अमीर खुसरो, देहलवी, अल-बरूनी, अब्दुर रहीम खान-ए-खानान आदि जैसे प्रमुख व्यक्ति मध्य एशियाई मार्गों से भारत आए और अपना नाम बनाया।
- सोवियत काल के दौरान संस्कृति, संगीत, नृत्य, फ़िल्में और साहित्य ने सोवियत गणराज्यों को भारत के साथ घनिष्ठ रूप से जोड़ा। राज कपूर, नरगिस और अन्य जैसे प्रतिष्ठित सितारों की लोकप्रियता ने भारत को इस क्षेत्र के आम लोगों के दिलों और घरों में पहुंचा दिया।
- हालाँकि, 1991 में इन देशों के स्वतंत्र राज्यों के रूप में उभरने के बाद के 25 वर्षों में द्विपक्षीय संबंधों को काफी उपेक्षा का सामना करना पड़ा।
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