मौर्य साम्राज्य के पतन के कारण:-
अशोक की मृत्यु (232 ई.पू.) के साथ मौर्यों की शाही सत्ता कमजोर पड़ने लगी और अंततः 180 ई.पू. में ध्वस्त हो गयी।
ब्राह्मणवादी प्रतिक्रिया: –
- यह अशोक की नीति के कारण शुरू हुआ।
- उसने साम्राज्य के नागरिकों से सभी ब्राह्मणों का सम्मान करने को कहा और एक सहिष्णु नीति भी लागू की, लेकिन समस्या यह थी कि यह संस्कृत में नहीं बल्कि प्राकृत में जारी की गई थी।
- बौद्ध धर्म का एक हिस्सा बलि न देने की नीति भी लागू की गई, जिससे ब्राह्मणों की कमाई करने की क्षमता को नुकसान पहुंचा।
- उसने सभी वर्णों के लिए समान कानून की नीति लागू की, लेकिन धर्मशास्त्र के अनुसार वर्ण भेद होना चाहिए जिसका पालन नहीं किया गया और इसलिए वे इस पर भी भड़के।
अशोक की नीति व अयोग्य उत्तराधिकारी:-
- अशोक के सुधारों और धार्मिक विश्वासों की नीति से ब्राह्मणों को बहुत गहरा धक्का लगा था।
- अशोक की मृत्यु होने के बाद ब्राह्मणों ने मौर्य साम्राज्य का खुलकर विरोध करना आरम्भ कर दिया।
- ब्राह्मणों का यह विरोध मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण रहा।
- ब्राह्मणों द्वारा मौर्य साम्राज्य का विरोध करने के पीछे का कारण मौर्य साम्राज्य के उत्तराधिकारी बृहद्रथ की अयोग्यता या निकम्मापन था क्योंकि उसके कार्यों ने साम्राज्य की सुरक्षा को खतरे में डाल दिया था।
- मौर्य साम्राज्य की इस असुरक्षित स्थिति को देख कर बृहद्रथ के सेनापति पुष्यमित्र शुंग ने उनकी हत्या कर दी और मगध पर शुंग वंश की नींव डाल कर मौर्य साम्राज्य को समाप्त कर दिया।
विघटन के अन्य राजनीतिक कारक: –
- अशोक के शासनकाल के उत्तरार्ध में धम्म-महामत्त (राज्य के अधिकारियों का बड़ा समूह) बहुत शक्तिशाली और दमनकारी हो गए थे।
- जब केंद्र कमजोर हो गया तो प्रांत भी अलग होने लगे।
- अल्प अवधि के लिए कमजोर शासकों के परिणामस्वरूप बड़ी संख्या में नए अधिकारी लगातार उभरने लगे, तथा उनकी व्यक्तिगत वफादारी राज्य के बजाय अपने-अपने राजाओं के प्रति ही थी।
- बाद के मौर्यों के अधीन गुप्तचरों की जटिल प्रणाली ध्वस्त हो गई, जिससे भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिला।
आर्थिक कारक:-
- धीरे-धीरे धातुओं पर राज्य का एकाधिकार खत्म होता जा रहा था। कृषि अर्थव्यवस्था के विस्तार के लिए लोहे की मांग, जो बहुत महत्वपूर्ण थी , अब अकेले मगध द्वारा पूरी नहीं की जा सकती थी ।
- खेती में विस्तार, जंगल की लकड़ी का व्यापक उपयोग और वनों की कटाई, आम तौर पर बाढ़ और अकाल का कारण बन सकती है। वास्तव में, मौर्य काल के दौरान उत्तर बंगाल में एक बड़े अकाल के साक्ष्य मिले हैं।
- केंद्रीकृत प्रशासनिक व्यवस्था में , पर्याप्त राजस्व न होने की समस्या ने कई अन्य गंभीर कठिनाइयाँ पैदा कीं। राजस्व बढ़ाने के लिए, अर्थशास्त्र ने सुझाव दिया कि अभिनेताओं, वेश्याओं आदि पर भी कर लगाया जाना चाहिए।
प्रांतीय शासकों के अत्याचार:-
- प्रांतीय शासकों के द्वारा जनता पर किए गए अत्याचारों व उत्पीड़न के कारण जन विद्रोह होने लगे जिससे मौर्य साम्राज्य की स्थिति अत्यंत कमजोर होने लगी।
- इसके अलावा स्थानीय स्वायत्तता की भावना, दूरस्थ प्रांतों के आवागमन की कठिनाईयां, राजमहलों के कुचक्र और पदाधिकारियों के साथ विश्वासघात इन सभी परिस्थितियों ने मौर्य साम्राज्य की केंद्र की शक्ति को कमजोर बना दिया जो उसके पतन का प्रमुख कारण था।
विशाल साम्राज्य:-
- मौर्य साम्राज्य की सीमा बहुत विशाल थी जिसका विस्तार भारतीय उपमहाद्वीप के सुदूर कोने तक था।
- मौर्य साम्राज्य में संचार के साधनों के अभाव के कारण साम्राज्य की विशालता शक्ति के बजाय उनकी कमजोरी का कारण बन गई।
- साम्राज्य में विभिन्न क्षेत्रों के मध्य दूरियां इतनी अधिक थी कि साम्राज्य राजनीतिक नीतियों को एकीकृत नहीं रख सकता था यही कारण रहा की विभिन्न विपरीत परिस्थितियां मौर्य साम्राज्य के पतन का कारण बनी।
अशोक द्वारा अहिंसा की नीति स्वीकारना:-
- अशोक द्वारा युद्ध को त्याग दिया गया और इसके बदले में उसने उदारता, दया व सहिष्णुता के साथ शासन करना अपने साम्राज्य का आधार बनाया और साम्राज्य को मजबूत बनाने का प्रयास किया।
- इसके अलावा उसने राज्य की सम्पूर्ण शक्ति को सैनिक अभियानों व शक्ति प्रयोग के अलावा शक्ति को लोक हित, धर्म व नैतिक उत्थान में लगा दिया।
- परन्तु अशोक की इस अहिंसा की नीति का परिणाम यह रहा की अशोक सैनिक दृष्टि से बहुत कमजोर हो गया जिससे उसकी सैनिक कौशल और बल पतन की स्थिति में आ गया और यही स्थिति मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण था।
राजधानी केंद्र में न होना:-
- मौर्य साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी जो संपूर्ण साम्राज्य के क्षेत्र की दृष्टि से उसके केंद्र में स्थित न होकर थोड़ा अलग थी।
- राजधानी संपूर्ण साम्राज्य का केंद्र नहीं थी जिससे साम्राज्य के दूर के क्षेत्रों में अक्सर विद्रोह हुआ करते थे।
- राजधानी पाटलिपुत्र से दूर के क्षेत्रों को नियंत्रित करना मुश्किल हुआ करता था और इन क्षेत्रों में निरंतर हो रहे विद्रोहों के कारण साम्राज्य कमजोर हो गया और उसका पतन होने लगा।
राजसी परिवार में षड्यंत्र व फूट:-
- मौर्य साम्राज्य के राजसी परिवार में बहुविवाह की प्रथा प्रचलित थी जिससे उनके अनेक पुत्र हुआ करते थे।
- इन पुत्रों एवं इनकी माताओं में एक दूसरे के प्रति ईर्ष्या व द्वेष की भावनाएं हुआ करती थी और वे एक-दूसरे के लिए कई षड्यंत्रों को अपनाते थे जिससे धीरे-धीरे न केवल मौर्य साम्राज्य का राजसी परिवार बल्कि सम्पूर्ण मौर्य साम्राज्य पतन की ओर आ गया।
विदेशी आक्रमण:-
- अशोक की मृत्यु के पश्चात जब मौर्य साम्राज्य का स्तर नीचे गिरने लगा तो यूनानियों ने एक बार फिर से भारत को अपना लक्ष्य बनाते हुए हिन्दू कुश को पार कर भारतीय क्षेत्रों पर उतर आए और धीरे-धीरे यूनानियों ने जिस प्रकार मौर्य साम्राज्य की आंतरिक सीमा की ओर प्रवेश किया उससे अंदाजा लगाया जा सकता था की मौर्य साम्राज्य कितना कमजोर पड़ चुका था।
- अर्थात विदेशी आक्रमण भी मौर्य साम्राज्य के पतन का प्रमुख कारण बना।
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