अशोक बिन्दुसार का पुत्र था।
वह अपने पिता के शासनकाल के दौरान तक्षशिला और उज्जैन के गवर्नर था।
अशोक अपने भाइयों को सफलतापूर्वक पराजित करने के बाद लगभग 268 ईसा पूर्व सिंहासन पर बैठा। अशोक के सिंहासन पर बैठने (273 ईसा पूर्व) और उसके वास्तविक राज्याभिषेक (268 ईसा पूर्व) के बीच चार साल का अंतराल था।
- अशोक की माता का नाम सुभद्रांगी था।
- उनकी पत्नी का नाम देवी या वेदिसा था, जो उज्जयिनी की राजकुमारी थीं।
- उनकी अन्य दो पत्नियां असंधिमित्रा और करुवाकी थीं।
- अशोक के पुत्रों में महेंद्र, तिवरा (एक शिलालेख में उल्लिखित एकमात्र), कुणाल और तालुका प्रमुख थे।
- उनकी दो पुत्रियां संघमित्रा और चारुमती प्रसिद्ध थीं।
कलिंग से युद्ध:-
- अशोक ने अपने शासनकाल के 9वें वर्ष में कलिंग पर विजय प्राप्त की।
- कलिंग आधुनिक उड़ीसा था।
- अशोक ने कलिंग की रणनीतिक स्थिति के कारण उस पर आक्रमण करने का निर्णय लिया।
- यह युद्ध महान मौर्य सम्राट अशोक और राजा अनंत पद्मनाभन के बीच 262 ईसा पूर्व में कलिंग (जो आज ओडिशा राज्य है) लड़ा गया था।
- अशोक ने युद्ध में राजा अनंत पद्मनाभन को पराजित किया, जिसके परिणामस्वरूप कलिंग पर विजय प्राप्त की और मौर्य साम्राज्य में इसको मिला लिया।
- इस युद्ध के परिणाम विनाशकारी थे मौर्य सम्राट अशोक ने अंततः शांति का मार्ग चुना और बौद्ध धर्म को अपनाया।
- कलिंग युद्ध एक भयावह घटना थी, इसका उल्लेख अशोक के 13वें शिलालेख में मिलता है।
- युद्ध के दौरान लगभग डेढ़ लाख लोग घायल हुए, जबकि एक लाख लोग मारे गए।
- इस भयावह घटना ने अशोक पर गहरा प्रभाव डाला और उसका हृदय परिवर्तन हो गया।
- अशोक ने कभी युद्ध न लड़ने की कसम खाई और दिग-विजय की अपेक्षा धम्मविजय को प्राथमिकता दी।
इतिहास में अशोक का स्थान:-
- अशोक ने लोगों को जियो और जीने दो की शिक्षा दी।
- उन्होंने जानवरों के प्रति दया पर जोर दिया।
- उनकी शिक्षाएं परिवार संस्था और मौजूदा सामाजिक वर्गों को मजबूत करने के लिए थीं।
- अशोक ने देश का राजनीतिक एकीकरण किया।
- उन्होंने इसे एक धर्म, एक भाषा और व्यावहारिक रूप से ब्राह्मी नामक एक लिपि से बांध दिया, जिसका उपयोग उनके अधिकांश शिलालेखों में किया गया था।
- अशोक ने अपने उत्तराधिकारियों से विजय और आक्रामकता की नीति छोड़ने को कहा।
बौद्ध धर्म अपनाया:-
- कलिंग युद्ध में हुए नरसंहार तथा विजित देश की जनता के कष्ट ने अशोक की अंतरात्मा को झकझोर दिया।
- सबसे अंत में अशोक ने कलिंगवासियों पर आक्रमण किया और उन्हें पूरी तरह कुचलकर रख दिया।
- कल्हण की ‘राजतरंगिणी’ के अनुसार अशोक के इष्टदेव शिव थे, लेकिन अशोक युद्ध के बाद अब शांति और मोक्ष चाहते थे और उस काल में बौद्ध धर्म अपने चरम पर था।
- युद्ध की विनाशलीला ने सम्राट को शोकाकुल बना दिया और वह प्रायश्चित करने के प्रयत्न में बौद्ध विचारधारा की ओर आकर्षित हुआ।
- अशोक महान ने बौद्ध धर्म का प्रचार भारत के अलावा श्रीलंका, अफगानिस्तान, पश्चिम एशिया, मिस्र तथा यूनान में भी करवाया।
अशोक स्तंभ और बौद्ध स्तूप:-
- अशोक महान ने जहां-जहां भी अपना साम्राज्य स्थापित किया, वहां-वहां अशोक स्तंभ बनवाए।
- उनके हजारों स्तंभों को मध्यकाल के मुस्लिमों ने ध्वस्त कर दिया।
- इसके अलावा उन्होंने हजारों बौद्ध स्तूपों का निर्माण भी करवाया था।
- अपने धर्मलेखों के स्तंभ आदि पर अंकन के लिए उन्होंने ब्राह्मी और खरोष्ठी दो लिपियों का उपयोग किया था।
- कहते हैं कि उन्होंने तीन वर्ष के अंतर्गत 84,000 स्तूपों का निर्माण कराया था।
अशोक की मृत्यु:-
- 40 वर्षों तक शासन करने के बाद 232 ईसा पूर्व में अशोक की मृत्यु हो गई।
- ऐसा माना जाता है कि उनकी मृत्यु के बाद उनका साम्राज्य पश्चिमी और पूर्वी भाग में विभाजित हो गया था।
- पूर्वी भाग पर अशोक के पोते दशरथ का शासन था, जबकि पश्चिमी भाग पर संप्रति का शासन था।
- 265 ईसा पूर्व में उसके साम्राज्य का आकार विशाल था।
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