अजंता की गुफाएँ (Ajanta Caves)
- अजंता की गुफाएँ महाराष्ट्र के औरंगाबाद में वाघोरा नदी के पास सह्याद्रि पर्वतमाला (पश्चिमी घाट) में रॉक-कट गुफाओं की एक श्रृंखला के रूप में स्थित हैं।
- इसमें कुल 29 गुफाएँ हैं, जो कि बौद्ध धर्म से सम्बंधित है।
- इन गुफाओं में से 25 को विहार या आवासीय गुफाओं के रूप में जबकि 4 को चैत्य या प्रार्थना हॉल के रूप में इस्तेमाल किया जाता था।
- ये सभी गुफाएँ द्वितीय शताब्दी ई॰पू॰ की हैं। यहाँ बौद्ध धर्म से सम्बन्धित चित्रण एवम् शिल्पकारी के उत्कृष्ट नमूने मिलते हैं।इनके साथ ही सजीव चित्रण भी मिलते हैं।
- ये गुफाएँ अजन्ता नामक गाँव के सन्निकट ही स्थित है, जो कि महाराष्ट्र के औरंगाबाद जिले में है।
- अजंता की गुफाओं को वर्ष 1983 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
- अजंता की गुफाओं का विकास 200 ई.पू. से 650 ईस्वी के मध्य हुआ था।
- वाकाटक नरेश हरिसेन के संरक्षण में अजंता की गुफाएँ बौद्ध भिक्षुओं द्वारा उत्कीर्ण की गई थीं।
- अजंता की गुफाओं के बारे में जानकारी चीनी यात्रियों फ़ाहियान और ह्वेन त्सांग के यात्रा वृतांतों में भी पाई जाती है।
- इन गुफाओं में आकृतियों को फ्रेस्को पेंटिंग का उपयोग करके दिखाया गया है।
- इन गुफाओं के चित्रों में लाल रंग का अधिक उपयोग हुआ है जबकि नीले रंग का उपयोग नहीं हुआ है।
- अजंता की गुफाओं के चित्रों में सामान्यतः बुद्ध और जातक कथाओं को प्रदर्शित किया गया है।
एलोरा की गुफाएँ (Ellora Caves)
- एलोरा या एल्लोरा (मूल नाम वेरुल) एक पुरातात्विक स्थल है, जो भारत में औरंगाबाद, महाराष्ट्र से 30 कि.मि. की दूरी पर स्थित है।
- इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था।
- एलोरा में 34 34 गुफाओं का एक समूह है, जो हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म से सम्बंधित है।
- इन गुफाओं में (1-12) बौद्ध, (13-29) हिन्दू और (30-34) जैन धर्म से संबंधित हैं।
- इन गुफाओं के समूह को 5वीं से 11वीं शताब्दी के मध्य विदर्भ, कर्नाटक और तमिलनाडु के विभिन्न शिल्पी संघों द्वारा विकसित किया गया था।
- इन्हें राष्ट्रकूट वंश के शासकों द्वारा बनवाया गया था।
- ये गुफाएँ विषय और स्थापत्य शैली के रूप में प्राकृतिक विविधता को दर्शाती हैं।
- एलोरा गुफाओं को वर्ष 1983 में यूनेस्को ने विश्व विरासत स्थल घोषित किया था।
- एलोरा की गुफाओं के मंदिरों में सबसे उल्लेखनीय कैलासा (कैलासनाथ; गुफा संख्या 16) है, जिसका नाम हिमालय के कैलास पर्वत के नाम पर रखा गया है।
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