मुद्रास्फीति का मतलब है वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों में समय के साथ सामान्य वृद्धि। यह एक आर्थिक घटना है जो विभिन्न कारणों से होती है। मुख्य रूप से, मुद्रास्फीति के दो प्रमुख प्रकार होते हैं: मांग-संचालित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation) और लागत-संचालित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation)। इन दोनों के अलग-अलग कारण होते हैं।
1. मांग-संचालित मुद्रास्फीति (Demand-Pull Inflation)
मांग-संचालित मुद्रास्फीति तब होती है जब किसी अर्थव्यवस्था में वस्तुओं और सेवाओं की कुल मांग, उनकी उपलब्धता से अधिक हो जाती है। इसके कारण हैं:
- उपभोक्ता मांग में वृद्धि: जब लोगों की आय बढ़ती है, वे अधिक खर्च करने लगते हैं, जिससे वस्तुओं और सेवाओं की मांग बढ़ जाती है।
- सरकारी खर्च में वृद्धि: सरकार द्वारा बड़े पैमाने पर इंफ्रास्ट्रक्चर और अन्य परियोजनाओं में खर्च बढ़ाने से मांग बढ़ती है।
- निर्यात में वृद्धि: यदि किसी देश के उत्पादों की विदेशों में मांग बढ़ती है, तो यह घरेलू बाजार में भी मांग बढ़ा सकता है।
- मौद्रिक नीति: जब केंद्रीय बैंक ब्याज दरों को कम करता है या मुद्रा आपूर्ति को बढ़ाता है, तो इससे उपभोक्ता खर्च और निवेश बढ़ सकता है।
2. लागत-संचालित मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation)
कमी-संचालित मुद्रास्फीति तब होती है जब उत्पादन लागत बढ़ जाती है और उत्पादक यह लागत उपभोक्ताओं पर डाल देते हैं। इसके कारण हैं:
- कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि: तेल, धातु और अन्य कच्चे माल की कीमतों में वृद्धि होने से उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।
- श्रम लागत में वृद्धि: यदि मजदूरी और वेतन बढ़ते हैं, तो उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।
- आपूर्ति में रुकावट: प्राकृतिक आपदाएँ, युद्ध, या अन्य कारणों से आपूर्ति श्रृंखला में बाधा आने से उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।
- मुद्रा अवमूल्यन: यदि किसी देश की मुद्रा का मूल्य घटता है, तो आयातित कच्चे माल और उत्पादों की कीमत बढ़ जाती है, जिससे उत्पादन की लागत बढ़ जाती है।
3. निर्मित मुद्रास्फीति (Built-In Inflation):
- परिभाषा: यह मुद्रास्फीति का प्रकार है जो व्यक्ति और व्यवसायों की अपेक्षा में होती है, जिसे अनुमानित या संभावित मुद्रास्फीति भी कहा जा सकता है। इसका कारण वेतन और व्यापार में कीमतें के बढ़ने में होता है, जिससे व्यक्ति और व्यवसाय अगली कीमतों में बढ़ावा करने की अपेक्षा करते हैं।
4. क्रेडिट मुद्रास्फीति (Credit Inflation):
- परिभाषा: इसमें मुद्रास्फीति का कारण क्रेडिट परिवृद्धि होती है, जब बैंकों या वित्तीय संस्थाओं द्वारा ऋण देने में वृद्धि होती है और इसके परिणामस्वरूप मुद्रा की आपूर्ति बढ़ती है।
- कारण: अधिक ऋण देने से व्यक्ति और व्यवसायों के पास अधिक पैसे होते हैं, जिससे उन्हें ज्यादा खरीदारी करने की क्षमता मिलती है, और इससे बाजार में कीमतें बढ़ सकती हैं।
5. कम्प्लीट मुद्रास्फीति (Complete Inflation):
- परिभाषा: यह मुद्रास्फीति का सबसे सामान्य प्रकार होता है, जब कीमतें समग्र अर्थव्यवस्था में बढ़ती हैं। इसमें सभी वस्तुओं की कीमतें बढ़ती हैं, और इसे आमतौर पर “अधिकतम मुद्रास्फीति” के रूप में जाना जाता है।
मुद्रास्फीति नियंत्रण के उपाय:
1. मौद्रिक नीति:
- मुद्रा आपूर्ति में कमी: रिजर्व बैंक मुद्रा की आपूर्ति को कम करके मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकता है। यह खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की बिक्री करके या बैंकों के लिए आरक्षित आवश्यकता को बढ़ाकर किया जा सकता है।
- ब्याज दरों में वृद्धि: रिजर्व बैंक ब्याज दरों को बढ़ाकर भी मुद्रास्फीति को नियंत्रित कर सकता है। यह उधार लेना और खर्च करना महंगा बनाता है, जिससे मांग कम हो जाती है और कीमतों पर दबाव पड़ता है।
2. राजकोषीय नीति:
- सरकारी खर्च में कमी: सरकार मुद्रास्फीति को कम करने के लिए अपने खर्च को कम कर सकती है। इससे राजकोषीय घाटा कम हो जाता है और मुद्रा की आपूर्ति पर दबाव कम होता है।
- करों में वृद्धि: सरकार मुद्रास्फीति को कम करने के लिए करों को भी बढ़ा सकती है। यह लोगों के पास खर्च करने के लिए कम पैसे छोड़ता है, जिससे मांग कम होती है और कीमतों पर दबाव पड़ता है।
3. आपूर्ति पक्ष की नीतियां:
- उत्पादकता में वृद्धि: सरकार कृषि और उद्योग दोनों में उत्पादकता बढ़ाने के लिए नीतियां लागू कर सकती है। यह उत्पादन लागत को कम करने और कीमतों पर दबाव डालने में मदद कर सकता है।
- बुनियादी ढांचे में सुधार: सरकार बुनियादी ढांचे में सुधार करके आपूर्ति श्रृंखला को अधिक कुशल बना सकती है। यह परिवहन लागत को कम करने और कीमतों पर दबाव डालने में मदद कर सकता है।
- मूल्य नियंत्रण: सरकार कुछ आवश्यक वस्तुओं की कीमतों को नियंत्रित करने का भी प्रयास कर सकती है। हालांकि, यह एक अल्पकालिक समाधान है और इसका उपयोग सावधानी से किया जाना चाहिए क्योंकि यह बाजार में विकृतियों को जन्म दे सकता है।
मुद्रास्फीति के प्रकार (Types of Inflation)
- अल्प मुद्रास्फीति (Mild Inflation):
- सामान्य दर: इसकी वार्षिक दर आमतौर पर 2-3% होती है। यह थोड़ी बढ़ी हुई कीमतें और अर्थव्यवस्था में स्थिरता की स्थिति को दर्शाती है।
- सर्पट मुद्रास्फीति (Creeping Inflation):
- धीमी गति: इसकी वार्षिक दर 3-10% तक होती है। यह अधिकांश विकासशील देशों में देखी जाती है और धीरे-धीरे बढ़ती कीमतें और व्यवस्था में तेजी से बदलाव को दर्शाती है।
- अति मुद्रास्फीति (Hyperinflation):
- अत्यधिक वृद्धि: इसकी वार्षिक दर 50% या इससे अधिक होती है। यह असामान्य रूप से तेजी से बढ़ती कीमतें और मुद्रा की मांग और आपूर्ति में अत्यधिक असंतुलन को दर्शाती है, जो आमतौर पर विशेष सामाजिक, राजनीतिक या आर्थिक कारकों के कारण हो सकता है।
मुद्रास्फीति के लक्षण
- कीमतों में वृद्धि (Rising Prices):
- यह सबसे सामान्य लक्षण है। जब मुद्रास्फीति होती है, तो उत्पादों और सेवाओं की कीमतें बढ़ती हैं।
- धन की कीमत में गिरावट (Decrease in the Value of Money):
- मुद्रास्फीति के समय में एक यूनिट मुद्रा की मान्यता और क्षमता घट सकती है, जिससे व्यक्ति की खरीदारी और बचत की क्षमता कम होती है।
- व्यवस्था में अस्थिरता (Economic Instability):
- मुद्रास्फीति व्यवस्था में अस्थिरता पैदा कर सकती है, क्योंकि यह व्यापार और निवेश के लिए अनिश्चितता पैदा करती है।
- वेतन में वृद्धि (Increase in Wages):
- कुछ स्थितियों में मुद्रास्फीति के कारण वेतनों में भी वृद्धि हो सकती है, जिससे कामगारों को अधिक सामान्यजनक वेतन मिलते हैं, लेकिन यह भी कीमतों में और अधिक वृद्धि का कारण बन सकता है।
- दरें और व्यापार में अस्थिरता (Interest Rates and Business Instability):
- अधिक वृद्धि के समय में बैंक ब्याज दरें बदल सकती हैं, जिससे व्यापारिक कार्यों में अस्थिरता पैदा हो सकती है।
- बजट और वित्तीय नीति में परिवर्तन (Changes in Budget and Monetary Policy):
- सरकारें मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए विभिन्न नीतियों और उपायों का प्रयोग कर सकती हैं, जैसे कि ब्याज दरों में परिवर्तन या मुद्रा की आपूर्ति को नियंत्रित करने के लिए कदम।
अन्य महत्वपूर्ण शब्द (Other Key Terms)
- मुद्रास्फीतिकारी अंतर (Inflationary Gap): वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (GDP) और संभावित GDP के बीच का अंतर।
- मुद्रा अवस्फीतिकारी अंतर (Deflationary Gap): संभावित GDP और वास्तविक GDP के बीच का अंतर।
- मुद्रास्पीति कर (Inflation Tax): मुद्रास्फीति से सरकार को प्राप्त होने वाला लाभ।
- मुद्रास्पीति कुंडली (Inflation Spiral): उच्च मुद्रास्फीति से मांग और कीमतों में वृद्धि की स्थिति।
- मुद्रास्पीति लेखा (Inflation Accounting): मुद्रास्फीति को ध्यान में रखते हुए वित्तीय विवरण तैयार करना।
- मुद्रास्पीति अध्याय (Inflation Chapter): आर्थिक विश्लेषण का वह हिस्सा जो मुद्रास्फीति पर केंद्रित हो।
- प्रतिसारजन्य मुद्रास्पीति (Cost-Push Inflation): उत्पादन लागत में वृद्धि के कारण कीमतों में वृद्धि।
- स्थगनजन्य मुद्रास्पीति (Demand-Pull Inflation): मांग में वृद्धि के कारण कीमतों में वृद्धि।
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