भारत में नियोजन का प्रारंभिक विचार 1934 में सर एम. विश्वेश्वरैया द्वारा प्रस्तुत योजना का मुख्य उद्देश्य भारत के आर्थिक विकास को गति देना था। यह योजना 1934 में “A Plan for Economic Development of India” के नाम से प्रकाशित हुई थी। यह योजना भारत को एक आत्मनिर्भर राष्ट्र बनाने और कृषि, उद्योग और बुनियादी ढांचे में विकास को बढ़ावा देने पर केंद्रित थी।
विश्वेश्वरैया योजना की मुख्य विशेषताएं:
- आर्थिक विकास: योजना का लक्ष्य भारत की अर्थव्यवस्था को तेजी से विकसित करना और जीवन स्तर में सुधार करना था।
- रोजगार सृजन: योजना का लक्ष्य बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करना था।
- सामाजिक न्याय: योजना का लक्ष्य समाज में सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देना था।
- औद्योगिकीकरण: विश्वेश्वरैया की योजना में औद्योगिकीकरण को विशेष महत्व दिया गया था। उनका मानना था कि भारत को आत्मनिर्भर बनाने के लिए भारी उद्योगों का विकास आवश्यक है।
- बुनियादी ढांचा: योजना में सड़कों, रेलवे, और सिंचाई परियोजनाओं के विकास पर जोर दिया गया था ताकि कृषि और उद्योग दोनों क्षेत्रों को समर्थन मिल सके।
- शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण: विश्वेश्वरैया ने शिक्षा और तकनीकी प्रशिक्षण को प्राथमिकता दी, ताकि कुशल श्रमशक्ति का निर्माण हो सके जो औद्योगिक विकास को समर्थन दे सके।
- निजी और सार्वजनिक क्षेत्र का संतुलन: योजना में निजी और सार्वजनिक क्षेत्र दोनों के विकास को प्रोत्साहित किया गया था। उनका मानना था कि दोनों क्षेत्रों के संतुलित विकास से ही समग्र आर्थिक प्रगति संभव है।
- समयबद्ध लक्ष्य (Time bound goals): योजना में समयबद्ध लक्ष्यों का निर्धारण किया गया था ताकि योजनाओं की प्रगति की निगरानी की जा सके और समय रहते आवश्यक सुधार किए जा सकें।
विश्वेश्वरैया योजना का प्रभाव:
- विश्वेश्वरैया योजना ने भारत के विकास पर महत्वपूर्ण प्रभाव डाला।
- इसने कृषि उत्पादकता बढ़ाने, भारी उद्योगों को स्थापित करने और बुनियादी ढांचे में सुधार करने में मदद की।
- हालांकि, योजना कुछ लक्ष्यों को प्राप्त करने में विफल रही, जैसे कि गरीबी को कम करना और रोजगार के पर्याप्त अवसर पैदा करना।
विश्वेश्वरैया योजना की विरासत:
- विश्वेश्वरैया योजना भारत के नियोजन इतिहास में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
- यह भारत के पहले व्यापक आर्थिक विकास योजनाओं में से एक था और इसने बाद की पंचवर्षीय योजनाओं को प्रेरित किया।
- आज भी, विश्वेश्वरैया योजना के विचार भारत के विकास के लिए प्रासंगिक हैं।
समकालीन परिप्रेक्ष्य:
हालांकि विश्वेश्वरैया की योजना अपने समय में पूरी तरह से कार्यान्वित नहीं हो सकी, लेकिन इसके विचार और सिद्धांत भारतीय नियोजन की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान करते हैं। आज भी, उनके दृष्टिकोण और विचार भारत के आर्थिक विकास और नियोजन में प्रासंगिक हैं।
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