वस्त्र और फुटवियर क्षेत्र: भारत में एक महत्वपूर्ण उद्योग
वस्त्र और फुटवियर क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था का एक महत्वपूर्ण स्तंभ है। यह रोजगार सृजन, आय उत्पादन और निर्यात में महत्वपूर्ण योगदान देता है।
वस्त्र उद्योग:
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा कपास उत्पादक और तीसरा सबसे बड़ा कपड़ा उत्पादक है। यह विभिन्न प्रकार के वस्त्रों का उत्पादन करता है, जिनमें साड़ी, सूट, कपड़े और घर का सामान शामिल हैं। भारतीय वस्त्र उद्योग घरेलू और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में दोनों में ही लोकप्रिय है।
फुटवियर उद्योग:
भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा जूता उत्पादक है। यह विभिन्न प्रकार के जूतों का उत्पादन करता है, जिसमें चप्पल, सैंडल, जूते और औपचारिक जूते शामिल हैं। भारतीय जूता उद्योग घरेलू बाजार में अग्रणी है और अंतरराष्ट्रीय बाजार में भी अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।
वस्त्र और फुटवियर क्षेत्र के लिए सरकारी पहलें :
सरकार वस्त्र और फुटवियर क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कई पहल कर रही है, जिनमें शामिल हैं:
- प्रधानमंत्री रोजगार सृजन कार्यक्रम (पीएमईजीपी): यह कार्यक्रम वस्त्र और जूता उद्योगों में लघु उद्योगों की स्थापना के लिए वित्तीय सहायता प्रदान करता है।
- सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) के लिए योजना: यह योजना एमएसएमई को वित्तीय सहायता, तकनीकी सहायता, बाजार तक पहुंच और बुनियादी ढांचे तक पहुंच प्रदान करती है।
- राष्ट्रीय कपड़ा नीति, 2014: यह नीति भारतीय वस्त्र उद्योग को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने का लक्ष्य रखती है।
- चमड़ा नीति, 2019: यह नीति भारतीय जूता उद्योग को वैश्विक स्तर पर अग्रणी बनाने का लक्ष्य रखती है।
वस्त्र और फुटवियर क्षेत्र की चुनौतियां :
वस्त्र और फुटवियर क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें शामिल हैं:
- कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव: कच्चे माल की कीमतों में उतार-चढ़ाव वस्त्र और जूता उत्पादकों के लिए लाभप्रदता को प्रभावित कर सकता है।
- विश्व व्यापार तनाव: वैश्विक व्यापार तनाव भारतीय वस्त्र और जूता निर्यात को प्रभावित कर सकता है।
- प्रदूषण: वस्त्र और जूता उद्योग प्रदूषण का एक प्रमुख स्रोत हो सकता है।
- अकुशल श्रम: उद्योग में कुशल श्रमिकों की कमी है।
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