कराधान (Taxation) एक महत्वपूर्ण आर्थिक तंत्र है जिसके माध्यम से सरकारें वित्तीय संसाधनों को एकत्रित करती हैं। यह प्रक्रिया सरकार को आवश्यक धन प्रदान करती है जिससे वह सार्वजनिक सेवाओं, विकास परियोजनाओं, और अन्य आवश्यक खर्चों को पूरा कर सके। कराधान का उद्देश्य न केवल राजस्व संग्रह करना है बल्कि आर्थिक असमानताओं को कम करना, और समाज के विभिन्न वर्गों को आवश्यक सेवाएँ प्रदान करना भी है।
कराधान के उद्देश्य
- राजस्व संग्रह:
- सरकार के लिए धन जुटाना ताकि वह सार्वजनिक सेवाओं, इन्फ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा आदि के खर्चों को पूरा कर सके।
- आर्थिक स्थिरता:
- आर्थिक गतिविधियों को संतुलित रखना और मुद्रास्फीति तथा मंदी जैसी आर्थिक समस्याओं का समाधान करना।
- आर्थिक असमानता को कम करना:
- प्रगतिशील कर प्रणाली के माध्यम से धन का पुनर्वितरण करना ताकि आर्थिक असमानता कम हो सके।
- उत्पादकता और नवाचार को प्रोत्साहित करना:
- कर लाभ और प्रोत्साहनों के माध्यम से व्यवसायों और उद्यमों को नवाचार और निवेश के लिए प्रेरित करना।
कराधान के प्रकार
कराधान के सिद्धांत
- समानता का सिद्धांत (Principle of Equity):
- कर प्रणाली को इस प्रकार डिजाइन किया जाना चाहिए कि कर का बोझ सभी वर्गों पर समान रूप से पड़े। अधिक आय वालों को अधिक कर देना चाहिए और कम आय वालों को कम कर।
- सुविधा का सिद्धांत (Principle of Convenience):
- कर प्रणाली को करदाताओं के लिए सुविधाजनक बनाना चाहिए। करों का संग्रह और भुगतान प्रक्रियाएँ सरल और सहज होनी चाहिए।
- निश्चितता का सिद्धांत (Principle of Certainty):
- कर प्रणाली में निश्चितता होनी चाहिए ताकि करदाता को यह पता हो कि उसे कितना कर देना है, कब देना है और कैसे देना है।
- आर्थिकता का सिद्धांत (Principle of Economy):
- कर संग्रह प्रक्रिया को इस प्रकार डिजाइन करना चाहिए कि वह कम लागत पर अधिक राजस्व उत्पन्न करे। कर संग्रह की प्रक्रिया में अधिक खर्च नहीं होना चाहिए।
भारत में कराधान
भारत में कराधान प्रणाली को केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा संयुक्त रूप से संचालित किया जाता है। केंद्र सरकार प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष दोनों प्रकार के कर लगाती है, जबकि राज्य सरकारें मुख्य रूप से अप्रत्यक्ष करों का संग्रह करती हैं।
- केंद्र सरकार के कर:
- आयकर, कॉर्पोरेट टैक्स, GST, कस्टम ड्यूटी, केंद्रीय उत्पाद शुल्क आदि।
- राज्य सरकार के कर:
- राज्य GST (SGST), संपत्ति कर, वाहन कर, मनोरंजन कर आदि।
कराधान की विधियाँ (Methods of Taxation)
कराधान की विधियाँ यह निर्धारित करती हैं कि कर का बोझ किस प्रकार वितरित होगा और किस प्रकार से कर की गणना और संग्रहण किया जाएगा। प्रमुख विधियाँ हैं प्रगामी कराधान, प्रतिगामी कराधान, और समानुपाती कराधान। आइए इन तीनों पर विस्तार से चर्चा करें:
1. प्रगामी कराधान (Progressive Taxation)
विवरण:
- प्रगामी कराधान एक ऐसी कराधान विधि है जिसमें कर की दरें आय या संपत्ति के साथ बढ़ती हैं। इसका मतलब है कि उच्च आय या संपत्ति वालों को अधिक दर पर कर देना होता है।
- यह विधि आर्थिक असमानता को कम करने और धन का पुनर्वितरण करने में सहायक होती है।
उदाहरण:
- आयकर (Income Tax): जहां विभिन्न आय स्लैब्स के अनुसार कर दरें बढ़ती हैं। जैसे, निम्न आय वर्ग को 5% कर देना होता है, मध्यम आय वर्ग को 20%, और उच्च आय वर्ग को 30% कर देना होता है।
लाभ:
- उच्च आय वालों से अधिक कर प्राप्त होता है जिससे सामाजिक सेवाओं और सार्वजनिक योजनाओं के लिए अधिक धन उपलब्ध होता है।
- यह आर्थिक असमानता को कम करने में मदद करता है।
नुकसान:
- उच्च आय वाले लोग कर चोरी या कर से बचने के लिए विभिन्न उपायों का सहारा ले सकते हैं।
- इससे बचने के लिए जटिल कर नियम और अनुपालन की आवश्यकता हो सकती है।
2. प्रतिगामी कराधान (Regressive Taxation)
विवरण:
- प्रतिगामी कराधान एक ऐसी कराधान विधि है जिसमें कर की दरें सभी आय वर्गों के लिए समान होती हैं, लेकिन इसका प्रभाव कम आय वर्ग के लोगों पर अधिक होता है।
- इसमें सभी को समान दर पर कर देना होता है, चाहे उनकी आय कुछ भी हो।
उदाहरण:
- अप्रत्यक्ष कर (Indirect Taxes) जैसे GST, जहां सभी वस्त्रों और सेवाओं पर समान कर दर लगती है, चाहे खरीदार की आय कुछ भी हो।
लाभ:
- कर संग्रहण प्रक्रिया सरल और प्रशासनिक दृष्टि से आसान होती है।
- कर संग्रहण तेजी से और बड़ी मात्रा में होता है।
नुकसान:
- यह विधि आर्थिक असमानता को बढ़ा सकती है क्योंकि कम आय वर्ग के लोगों पर कर का अनुपातिक बोझ अधिक पड़ता है।
- इससे निम्न और मध्यम आय वर्ग के लोगों पर आर्थिक दबाव बढ़ सकता है।
3. समानुपाती कराधान (Proportional Taxation)
विवरण:
- समानुपाती कराधान एक ऐसी कराधान विधि है जिसमें सभी आय या संपत्ति वर्गों के लिए कर की दरें समान होती हैं। इसका मतलब है कि सभी को अपनी आय के समान अनुपात में कर देना होता है।
- यह एक फ्लैट टैक्स प्रणाली होती है।
उदाहरण:
- फ्लैट टैक्स सिस्टम, जहां सभी करदाताओं को एक ही दर पर कर देना होता है, जैसे 10% या 20%।
लाभ:
- यह प्रणाली सरल और पारदर्शी होती है।
- कर की दरें सभी के लिए समान होती हैं जिससे कर अनुपालन आसान हो जाता है।
नुकसान:
- उच्च आय वालों पर कर का अनुपातिक बोझ कम पड़ता है, जबकि निम्न आय वालों पर अधिक।
- यह आर्थिक असमानता को कम करने में उतनी प्रभावी नहीं होती जितनी प्रगामी कराधान प्रणाली।
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