बीज विकास, उर्वरक, और कीटनाशक कृषि उत्पादन के महत्वपूर्ण घटक हैं। इनकी प्रौद्योगिकी और उपयोग का सही प्रबंधन कृषि उत्पादकता और गुणवत्ता को सीधे प्रभावित करता है।
बीज विकास (Seed Development):
उन्नत बीज प्रौद्योगिकी (Advanced seed technology) :
- हाइब्रिड बीज:
- हाइब्रिड बीज उत्पादन के लिए विशेष तकनीकों का उपयोग किया जाता है जो फसलों की उत्पादकता, रोग प्रतिरोधक क्षमता, और गुणवत्ता को बढ़ाता है।
- हाइब्रिड बीजों से उच्च पैदावार प्राप्त होती है और वे विभिन्न पर्यावरणीय परिस्थितियों में भी अच्छा प्रदर्शन करते हैं।
- जी एम ओ (Genetically Modified Organisms):
- जैव प्रौद्योगिकी का उपयोग करके विकसित किए गए बीज जो कीट प्रतिरोधकता, शाकनाशी सहनशीलता, और पोषक तत्व वृद्धि जैसी विशेषताएं प्रदान करते हैं।
- उदाहरण: बीटी कपास, जो कीट प्रतिरोधक होता है।
जैव प्रौद्योगिकी (Biotechnology):
- मॉलिक्यूलर ब्रिडिंग (Molecular bridging):
- डीएनए मार्करों का उपयोग करके फसलों की नई किस्मों का विकास जो अधिक उत्पादन और बेहतर गुणवत्ता प्रदान करती हैं।
- इससे फसलों की विकास प्रक्रिया को तेज किया जा सकता है।
- टिश्यू कल्चर (Tissue culture):
- पौधों के ऊतक का उपयोग करके बीज और पौधों का गुणन करना।
- यह विधि बीमारियों से मुक्त पौधों और बीजों के उत्पादन में सहायक है।
उर्वरक:
सार्वजनिक और निजी क्षेत्र में उर्वरक उत्पादन:
- सार्वजनिक क्षेत्र:
- सरकारी कंपनियाँ जैसे कि इफको (IFFCO), राष्ट्रीय उर्वरक लिमिटेड (NFL) और अन्य, उर्वरक उत्पादन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
- सार्वजनिक क्षेत्र का मुख्य उद्देश्य किसानों को उचित मूल्य पर उर्वरक उपलब्ध कराना है।
- निजी क्षेत्र:
- निजी कंपनियाँ उर्वरक उत्पादन में नवाचार और दक्षता बढ़ाने में सहायक होती हैं।
- उदाहरण: टाटा केमिकल्स, चंबल फर्टिलाइजर्स, डीसीएम श्रीराम आदि।
- निजी क्षेत्र में निवेश और उन्नत तकनीक का उपयोग उर्वरक उत्पादन को बढ़ाता है।
उर्वरक उपयोग:
- संतुलित उर्वरक उपयोग:
- मिट्टी परीक्षण के आधार पर उर्वरक का संतुलित उपयोग, ताकि पौधों को आवश्यक पोषक तत्व प्राप्त हो सकें।
- अत्यधिक उर्वरक उपयोग से बचना, जिससे मिट्टी की उर्वरता और पर्यावरण संतुलन बनाए रखा जा सके।
- सस्टेनेबल उर्वरक प्रथाएँ (Sustainable Fertilizer Practices):
- जैव उर्वरकों का उपयोग, जिससे पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव कम होता है।
- कंपोस्ट, ग्रीन मैन्योरिंग, और अन्य जैविक उर्वरक प्रथाओं को बढ़ावा देना।
कीटनाशक:
सुरक्षित और प्रभावी कीटनाशकों का उपयोग:
- नवीन कीटनाशक:
- जैव प्रौद्योगिकी आधारित कीटनाशक जो अधिक सुरक्षित और पर्यावरणीय रूप से अनुकूल होते हैं।
- न्यूनतम अवशेष और उच्च प्रभावशीलता।
- एकीकृत कीट प्रबंधन (IPM):
- जैविक, यांत्रिक, सांस्कृतिक, और रासायनिक तरीकों का संयोजन, जिससे कीट प्रबंधन प्रभावी हो और पर्यावरणीय प्रभाव कम हो।
- फसल चक्रीकरण, प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग, और कीट शिकारी जीवों का संरक्षण।
- प्रशिक्षण और जागरूकता:
- किसानों को कीटनाशक के सुरक्षित उपयोग के बारे में प्रशिक्षण देना।
- सही मात्रा, समय, और विधि का उपयोग सुनिश्चित करना।
- बायोपेस्टिसाइड्स (Biopesticides):
- जैविक कीटनाशक जो प्राकृतिक जीवाणु, फफूंद, और वायरस पर आधारित होते हैं।
- ये कीटनाशक पर्यावरण के लिए सुरक्षित और जैविक कृषि के लिए उपयुक्त होते हैं।
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