प्रतिभूति बाजार (Securities Market) एक वित्तीय बाजार है जहां विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियों (जैसे शेयर, बॉन्ड, डेरिवेटिव्स आदि) का व्यापार होता है। इसका मुख्य उद्देश्य पूंजी का जुटाव और निवेशकों को निवेश के अवसर प्रदान करना है।
प्राथमिक एवं द्वितीयक बाजार
- प्राथमिक बाजार: यहां कंपनियां अपने नए शेयर या बॉन्ड जारी करती हैं और निवेशकों से सीधे पूंजी जुटाती हैं।
- द्वितीयक बाजार: यहां निवेशक पहले से जारी किए गए शेयरों और बॉन्ड्स का व्यापार करते हैं। इसमें प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज शामिल हैं।
स्टॉक एक्सचेंज
स्टॉक एक्सचेंज एक ऐसा बाजार है जहां शेयरों और अन्य प्रतिभूतियों का क्रय-विक्रय होता है। भारत में प्रमुख स्टॉक एक्सचेंज निम्नलिखित हैं:
- एन.एस.ई. (National Stock Exchange)
- बी.एस.ई. (Bombay Stock Exchange)
- ओ.टी.सी.ई.आई. (Over the Counter Exchange of India)
- आई.एस.ई. (Inter-connected Stock Exchange of India)
इण्डो-नेक्स्ट
यह एक संयुक्त पहल है जिसमें बीएसई और अन्य क्षेत्रीय स्टॉक एक्सचेंज शामिल हैं। इसका उद्देश्य छोटे और मध्यम आकार की कंपनियों के लिए पूंजी जुटाने के अवसर प्रदान करना है।
एस.एम.ई. एक्सचेंज: बी.एस.ई.एस.एम.ई. एवं इमर्ज
ये एक्सचेंज छोटे और मध्यम आकार की उद्यमियों (SMEs) के लिए स्थापित किए गए हैं ताकि वे पूंजी जुटा सकें।
स्टॉक एक्सचेंज के किरदार
स्टॉक एक्सचेंज प्रतिभूतियों के व्यापार का संगठित और विनियमित प्लेटफॉर्म प्रदान करते हैं। वे व्यापार की पारदर्शिता, निष्पक्षता और सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
सेबी (Securities and Exchange Board of India)
सेबी भारतीय प्रतिभूति बाजार का नियामक है। इसका उद्देश्य निवेशकों के हितों की रक्षा करना और बाजार में पारदर्शिता और कुशलता सुनिश्चित करना है।
वस्तु व्यापार
वस्तु व्यापार (Commodity Trading) में विभिन्न प्रकार की वस्तुओं (जैसे सोना, चांदी, तेल, कृषि उत्पाद आदि) का व्यापार किया जाता है।
एपीएमसी (Agricultural Produce Market Committee)
एपीएमसी भारतीय कृषि उपज विपणन समिति है जो किसानों की उपज की बिक्री के लिए बाजार प्रदान करती है।
स्पॉट एक्सचेंज
स्पॉट एक्सचेंज वह बाजार है जहां वस्तुओं का तत्काल डिलीवरी के लिए व्यापार होता है।
भारत में स्पॉट एक्सचेंज
भारत में प्रमुख स्पॉट एक्सचेंजों में नेशनल स्पॉट एक्सचेंज (NSEL) और एनसीडीईएक्स स्पॉट एक्सचेंज शामिल हैं।
स्पॉट एक्सचेंजों के लाभ
- त्वरित निपटान
- पारदर्शिता में सुधार
- किसानों और व्यापारियों के लिए बेहतर मूल्य निर्धारण
प्राथमिक बाजार से पूंजी उगाही
कंपनियां प्राथमिक बाजार में आईपीओ (Initial Public Offering) जारी करके पूंजी जुटाती हैं।
स्टॉक बाजार के महत्वपूर्ण पद
- स्क्रिप्ट शेयर: किसी कंपनी के शेयर को संदर्भित करता है।
- स्वेच शेयर: शेयरधारकों को कंपनी के लाभांश के रूप में दिए गए बोनस शेयर।
- रोलिंग सेटलमेंट: व्यापार के दिन के बाद कुछ दिनों के भीतर निपटान होता है।
- बदला: एक प्रकार का सौदा जिसमें निवेशक शेयरों की डिलीवरी को टाल सकते हैं।
- औंधा बदला: बदला का उल्टा प्रक्रिया।
वायदा (Futures)
वायदा एक प्रकार का डेरिवेटिव है जिसमें भविष्य की तारीख पर एक निश्चित मूल्य पर वस्तु या संपत्ति का व्यापार होता है।
न्यासी (Trustee)
न्यासी निवेशकों के हितों की सुरक्षा के लिए स्थापित होते हैं और उन्हें निधियों का प्रबंधन करने का अधिकार होता है।
स्प्रेड (Spread)
यह खरीद मूल्य और बिक्री मूल्य के बीच का अंतर है।
बाजार के बाहर सौदे (Off-Market Transactions)
ये सौदे स्टॉक एक्सचेंज के बाहर होते हैं और आमतौर पर निजी समझौतों के रूप में होते हैं।
एन.एस.सी.सी. (National Securities Clearing Corporation)
एनएससीसी एक सहायक कंपनी है जो व्यापार के निपटान और समाशोधन की जिम्मेदारी लेती है।
असहोपकारीकरण (Demutualization)
यह प्रक्रिया जिसमें स्टॉक एक्सचेंजों का स्वामित्व और प्रबंधन पृथक हो जाता है।
अधिकृत पूंजी (Authorized Capital)
कंपनी द्वारा जारी किए जा सकने वाले शेयरों की अधिकतम संख्या।
देय पूंजी (Paid-up Capital)
कंपनी द्वारा जारी और शेयरधारकों द्वारा पूरी तरह से चुकाई गई पूंजी।
पूर्ववर्ती पूंजी (Initial Capital)
कंपनी की प्रारंभिक पूंजी जो उसके गठन के समय जुटाई जाती है।
निर्गमित पूंजी (Issued Capital)
कंपनी द्वारा निवेशकों को जारी की गई पूंजी।
ग्रीनशू ऑप्शन (Green Shoe Option)
आईपीओ के दौरान कंपनी को अतिरिक्त शेयर जारी करने की अनुमति देने वाला प्रावधान।
पैनी स्टॉक (Penny Stock)
ये कम कीमत वाले शेयर होते हैं जिनमें उच्च जोखिम होता है।
ईएसओपी (Employee Stock Ownership Plan)
यह योजना कर्मचारियों को कंपनी के शेयर खरीदने का अवसर प्रदान करती है।
एसबीटी (Stock-Based Transaction)
यह लेन-देन जिसमें शेयरों का उपयोग विनिमय के माध्यम के रूप में किया जाता है।
ओएपीसीडी (Optionally Convertible Preference Shares)
ये ऐसे शेयर होते हैं जिन्हें शेयरधारक अपनी इच्छा से इक्विटी शेयरों में बदल सकते हैं।
डेरिवेटिव्स (Derivatives)
ये वित्तीय उपकरण होते हैं जिनका मूल्य अन्य मूलभूत परिसंपत्तियों (जैसे शेयर, बॉन्ड, कमोडिटी) पर आधारित होता है।
भारतीय निपेक्षागार रसीद (IDR)
यह एक वित्तीय साधन है जिसके माध्यम से विदेशी कंपनियां भारतीय बाजार से पूंजी जुटा सकती हैं।
सममूल्य एवं अधिमूल्य पर शेयर
- सममूल्य (At Par): जब शेयर निर्गमित मूल्य पर जारी किए जाते हैं।
- अधिमूल्य (At Premium): जब शेयर निर्गमित मूल्य से अधिक पर जारी किए जाते हैं।
विदेशी वित्तीय निवेशक (Foreign Institutional Investors)
एफआईआई विदेशी निवेशक होते हैं जो भारतीय बाजार में निवेश करते हैं।
विदेशी निवेश के लिए नए नियम
सरकार ने विदेशी निवेश को आकर्षित करने और नियंत्रित करने के लिए कई नए नियम और नीतियाँ बनाई हैं।
एंजल निवेशक (Angel Investor)
एंजल निवेशक ऐसे व्यक्ति होते हैं जो स्टार्टअप्स और छोटे व्यवसायों में शुरुआती चरण में निवेश करते हैं।
क्यूआईपी योजना (Qualified Institutional Placement)
यह योजना भारतीय कंपनियों को योग्य संस्थागत खरीदारों को शेयर जारी करने की अनुमति देती है।
आरएआईपीआई (Retail and Institutional Placement)
यह योजना खुदरा और संस्थागत निवेशकों को शेयर जारी करने की अनुमति देती है।
पार्टीसिपेटरी नोट्स (P-Notes)
यह एक प्रकार का डेरिवेटिव साधन है जो विदेशी निवेशकों को भारतीय प्रतिभूति बाजार में अप्रत्यक्ष निवेश की अनुमति देता है।
पीएन की लोकप्रियता का कारण
पीएन विदेशी निवेशकों को भारतीय बाजार में निवेश करने में सरलता और गोपनीयता प्रदान करते हैं।
पीएन का विनियमन
पीएन को सेबी द्वारा विनियमित किया जाता है ताकि उनकी पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित की जा सके।
पीएन संबंधी चिंताएं
पीएन के उपयोग में पारदर्शिता की कमी और मनी लॉन्ड्रिंग की संभावना जैसी चिंताएँ शामिल हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्थिति
पीएन का उपयोग कई देशों में होता है और उनकी नियामक नीतियाँ भिन्न हो सकती हैं।
हेज फंड (Hedge Fund)
हेज फंड एक प्रकार का निवेश फंड होता है जो विभिन्न निवेश रणनीतियों का उपयोग करके उच्च रिटर्न की खोज करता है।
शॉट सेलिंग (Short Selling)
शॉर्ट सेलिंग एक निवेश रणनीति है जिसमें निवेशक किसी संपत्ति को उधार लेकर बेचते हैं और बाद में उसे कम कीमत पर खरीदते हैं।
मंडिया एवं तेजड़िया (Bull and Bear Markets)
- मंडिया (Bull Market): जब बाजार में तेजी होती है और निवेशकों का विश्वास उच्च होता है।
- तेज़ड़िया (Bear Market): जब बाजार में गिरावट होती है और निवेशकों का विश्वास निम्न होता है।
बुक बिल्डिंग (Book Building)
यह प्रक्रिया आईपीओ के दौरान निवेशकों से शेयर की कीमत का पता लगाने के लिए उपयोग की जाती है।
आई.पी.ओ. (Initial Public Offering)
आईपीओ वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से एक कंपनी अपने शेयर पहली बार जनता को जारी करती है।
प्राइस बैंड (Price Band)
प्राइस बैंड वह सीमा है जिसके भीतर आईपीओ की कीमत निर्धारित की जाती है।
ई.सी.बी. नीति (External Commercial Borrowing Policy)
यह नीति भारतीय कंपनियों को विदेशी बाजारों से ऋण जुटाने की अनुमति देती है।
राजीव गांधी इक्विटी बचत योजना (RGESS)
यह योजना नए खुदरा निवेशकों को शेयर बाजार में निवेश के लिए प्रोत्साहित करती है और टैक्स छूट प्रदान करती है।
क्रेडिट डिफॉल्ट स्वैप (CDS)
सीडीएस एक प्रकार का वित्तीय डेरिवेटिव है जो ऋणदाताओं को ऋण डिफॉल्ट के जोखिम से बचाने के लिए उपयोग किया जाता है।
प्रतिभूतिकरण (Securitization)
यह प्रक्रिया जिसमें वित्तीय संस्थान ऋणों को प्रतिभूतियों में बदलते हैं और उन्हें निवेशकों को बेचते हैं।
भारत में कॉरपोरेट बॉण्ड
भारत में कॉरपोरेट बॉण्ड बाजार विकसित हो रहा है और यह कंपनियों को पूंजी जुटाने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन है।
मुद्रास्फीति-सूचकांकित बॉण्ड (Inflation-Indexed Bonds)
यह बॉण्ड मुद्रास्फीति के प्रभाव से सुरक्षा प्रदान करते हैं और निवेशकों को मुद्रास्फीति के अनुसार समायोजित रिटर्न प्रदान करते हैं।
स्वर्ण विनिमय व्यापार कोष (Gold Exchange Traded Fund)
यह एक प्रकार का म्यूचुअल फंड है जो सोने में निवेश करता है और निवेशकों को सोने के मूल्य में वृद्धि का लाभ प्रदान करता है।
ई-गोल्ड (E-Gold)
ई-गोल्ड एक डिजिटल माध्यम है जिसमें निवेशक सोने में निवेश कर सकते हैं और इसे डिजिटल रूप में रख सकते हैं।
सीपीएसई ईटीएफ (CPSE ETF)
यह एक एक्सचेंज ट्रेडेड फंड है जो सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों (CPSE) के शेयरों में निवेश करता है।
पेंशन क्षेत्र में सुधार
पेंशन क्षेत्र में सुधार के लिए कई नीतियाँ और योजनाएँ लागू की गई हैं ताकि अधिक से अधिक लोग पेंशन योजनाओं का लाभ उठा सकें।
वित्तीय स्थायित्व और विकास परिषद (FSDC)
एफएसडीसी एक उच्चस्तरीय परिषद है जो वित्तीय स्थायित्व और विकास को बढ़ावा देने के लिए कार्य करती है।
वित्तीय आकलन कार्यवृत्त (Financial Stability Report)
यह रिपोर्ट वित्तीय प्रणाली की स्थिरता और जोखिमों का आकलन करती है और नीतिगत सिफारिशें प्रदान करती है।
वित्तीय कार्यवाही कार्य बल (Financial Action Task Force)
एफएटीएफ एक अंतर्राष्ट्रीय संगठन है जो मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादी वित्तपोषण को रोकने के लिए नीतियाँ बनाता है।
भू-भवन संपत्ति एवं अवसंरचना निवेश न्यास (Real Estate and Infrastructure Investment Trusts)
ये न्यास निवेशकों को भू-भवन संपत्ति और अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश करने की सुविधा प्रदान करते हैं।
भू-भवन संपत्ति निवेश न्यास (Real Estate Investment Trusts – REITs)
आरईआईटी निवेशकों को वाणिज्यिक और आवासीय संपत्तियों में निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं।
अवसंरचना निवेश न्यास (Infrastructure Investment Trusts – InvITs)
इनविट्स निवेशकों को अवसंरचना परियोजनाओं में निवेश करने का अवसर प्रदान करते हैं।
निष्कर्ष
भारत का प्रतिभूति बाजार तेजी से विकसित हो रहा है और इसमें कई महत्वपूर्ण घटक शामिल हैं। स्टॉक एक्सचेंज, सेबी, और विभिन्न प्रकार की प्रतिभूतियाँ निवेशकों को निवेश के अवसर प्रदान करती हैं। साथ ही, सरकार और नियामक संस्थाएँ विभिन्न सुधार और नीतियाँ लागू कर रही हैं ताकि यह बाजार अधिक पारदर्शी, कुशल, और निवेशकों के लिए सुरक्षित हो सके।
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