सार्वजनिक वित्त अर्थशास्त्र की एक शाखा है जो सरकार के राजकोषीय व्यवहार का अध्ययन करती है। यह सरकार द्वारा राजस्व उत्पन्न करने, व्यय करने और ऋण प्रबंधित करने के तरीकों का विश्लेषण करता है। सार्वजनिक वित्त अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने के लिए सरकारी नीति का उपयोग करने का एक महत्वपूर्ण उपकरण है।
सार्वजनिक वित्त निम्नलिखित कारणों से अर्थशास्त्र में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है:
1. आर्थिक स्थिरीकरण (Economic stabilization): सरकारें राजकोषीय नीति का उपयोग अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और आर्थिक उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए कर सकती हैं। मंदी के दौरान, सरकार करों में कमी करके और खर्च बढ़ाकर अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित कर सकती है। तेजी के दौरान, सरकार करों को बढ़ाकर और खर्च कम करके अर्थव्यवस्था को ठंडा कर सकती है।
2. आय वितरण (Income distribution): सरकारें कर और हस्तांतरण नीति का उपयोग आय वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए कर सकती हैं। प्रगतिशील कर प्रणाली अमीरों से अधिक कर लेती है और गरीबों को अधिक लाभ देती है। सरकारें गरीबों और आवश्यकता मंदों को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर सकती हैं।
3. सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं का प्रावधान (Provision of public goods and services): कुछ वस्तुएं और सेवाएं, जैसे रक्षा, कानून और व्यवस्था, और सार्वजनिक स्वास्थ्य, निजी बाजार द्वारा कुशलतापूर्वक प्रदान नहीं की जा सकतीं। सरकारें इन सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं का प्रावधान करके समाज को लाभ पहुंचा सकती हैं।
4. बाजार की विफलता को दूर करना (Overcome market failure): बाजार विफलताएं ऐसी स्थितियां हैं जहां बाजार कुशलतापूर्वक संसाधनों का वितरण नहीं कर सकता है। सरकारें नियमन, कर प्रणाली और सब्सिडी का उपयोग करके बाजार की विफलताओं को दूर कर सकती हैं।
5. आर्थिक विकास को बढ़ावा देना: सरकारें आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सार्वजनिक वित्त का उपयोग कर सकती हैं। वे शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और बुनियादी ढांचे में निवेश कर सकते हैं, जो मानव पूंजी और उत्पादकता को बढ़ा सकते हैं। वे अनुसंधान और विकास का समर्थन कर सकते हैं और नवाचार को प्रोत्साहित कर सकते हैं।
सरकारी व्यय और कराधान सार्वजनिक वित्त के दो मुख्य स्तंभ हैं। ये अर्थव्यवस्था को प्रभावित करने और सामाजिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए शक्तिशाली उपकरण हैं।
सरकारी व्यय (Public expenditure):
- सरकार – करों, शुल्कों और ऋण के माध्यम से राजस्व प्राप्त करती हैं।
- यह राजस्व विभिन्न सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं (जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, बुनियादी ढांचा) के प्रावधान, सामाजिक सुरक्षा
- कार्यक्रमों (जैसे गरीबी उन्मूलन, वृद्धावस्था पेंशन) और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने के लिए उपयोग किया जाता है।
सरकारी व्यय के प्रभाव:
सकारात्मक प्रभाव:
- सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं तक पहुंच में सुधार करके मानव पूंजी और जीवन स्तर को बढ़ा सकता है।
- आर्थिक विकास को प्रोत्साहित कर सकता है, बुनियादी ढांचे में निवेश और अनुसंधान एवं विकास को बढ़ावा देकर।
- आय असमानता को कम कर सकता है, प्रगतिशील कर प्रणाली और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों के माध्यम से।
- आर्थिक स्थिरीकरण को बढ़ावा दे सकता है, मंदी के दौरान खर्च बढ़ाकर और तेजी के दौरान करों को बढ़ाकर।
नकारात्मक प्रभाव:
- अत्यधिक सरकारी व्यय करों में वृद्धि, मुद्रास्फीति और राष्ट्रीय ऋण में वृद्धि का कारण बन सकता है।
- कुशलताहीन सरकारी खर्च संसाधनों की बर्बादी और आर्थिक विकास में बाधा डाल सकता है।
- असमान कर प्रणाली गरीबों पर बोझ डाल सकती है और आर्थिक गतिविधियों को हतोत्साहित कर सकती है।
कराधान (Taxation):
कराधान वह प्रक्रिया है जिसके माध्यम से सरकारें विभिन्न स्रोतों से राजस्व एकत्र करती हैं। यह सरकार के लिए वित्तीय संसाधन जुटाने का मुख्य साधन है।
कराधान के प्रभाव:
सकारात्मक प्रभाव:
- सार्वजनिक वस्तुओं और सेवाओं के वित्तपोषण के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत प्रदान कर सकता है।
- आय वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाने में मदद कर सकता है, प्रगतिशील कर प्रणाली के माध्यम से।
- बाहरीताओं को नियंत्रित करने और पर्यावरण की रक्षा करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, जैसे प्रदूषण कर।
- आर्थिक स्थिरीकरण को बढ़ावा देने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है, मंदी के दौरान करों को कम करके और तेजी के दौरान बढ़ाकर।
नकारात्मक प्रभाव:
- अत्यधिक कर आर्थिक गतिविधियों, निवेश और रोजगार को हतोत्साहित कर सकता है।
- जटिल कर प्रणाली अनुपालन लागत को बढ़ा सकती है और कर चोरी को प्रोत्साहित कर सकती है।
- असमान कर प्रणाली गरीबों पर बोझ डाल सकती है और सामाजिक असमानता को बढ़ा सकती है।
सार्वजनिक वित्त में कराधान और सरकारी व्यय की भूमिका:
आर्थिक स्थिरीकरण: सरकारें राजकोषीय नीति का उपयोग अर्थव्यवस्था को स्थिर करने और आर्थिक उतार-चढ़ाव को कम करने के लिए कराधान और सरकारी व्यय का उपयोग कर सकती हैं।
आय वितरण: सरकारें कर प्रणाली और सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का उपयोग करके आय वितरण को अधिक न्यायसंगत बनाने के लिए कराधान और सरकारी व्यय का उपयोग कर सकती हैं।
सार्वजनिक वित्त में बजट और राजकोषीय नीति
बजट (Budget): बजट एक वित्तीय दस्तावेज होता है जिसमें सरकार अपने आगामी वित्तीय वर्ष के लिए आय और व्यय का विवरण प्रस्तुत करती है। यह दस्तावेज सरकार के आर्थिक नीतियों और प्राथमिकताओं का प्रतिबिंब होता है।
मुख्य विशेषताएँ:
- आय का विवरण (Revenue Estimation): बजट में विभिन्न स्रोतों से सरकार की अपेक्षित आय का विवरण होता है, जैसे कर राजस्व, गैर-कर राजस्व, और ऋण।
- व्यय का विवरण (Expenditure Allocation): इसमें विभिन्न विभागों और योजनाओं के लिए निधियों का आवंटन किया जाता है।
- वित्तीय संतुलन (Fiscal Balance): बजट सरकार के व्यय और आय के बीच संतुलन स्थापित करने का प्रयास करता है।
- राजकोषीय घाटा (Fiscal Deficit): यदि व्यय आय से अधिक हो तो राजकोषीय घाटा होता है, जिसे ऋण के माध्यम से पूरा किया जाता है।
- प्राथमिकताएँ और नीतियाँ (Priorities and Policies): बजट में सरकार की प्राथमिकताएँ और नीतियाँ स्पष्ट होती हैं, जैसे शिक्षा, स्वास्थ्य, रक्षा, और बुनियादी ढाँचे में निवेश।
राजकोषीय नीति (Fiscal Policy): राजकोषीय नीति सरकार द्वारा अपनाई गई नीतियों का सेट है, जिसका उद्देश्य आर्थिक स्थिरता और विकास को प्रोत्साहित करना होता है। यह नीति कराधान, सरकारी व्यय, और सार्वजनिक ऋण को प्रबंधित करती है।
मुख्य विशेषताएँ:
कर नीति (Tax Policy): इसमें कर की दरें, कर आधार, और कर संरचना शामिल होती है। इसका उद्देश्य राजस्व संग्रह बढ़ाना और आर्थिक असमानता कम करना होता है।
सरकारी व्यय नीति (Government Expenditure Policy): इसमें सार्वजनिक सेवाओं, सामाजिक सुरक्षा, और विकास परियोजनाओं पर खर्च शामिल होता है।
ऋण प्रबंधन (Debt Management): इसमें सरकारी ऋण का प्रबंधन शामिल होता है, जिसमें ऋण की मात्रा, शर्तें, और भुगतान शामिल होता है।
मुद्रास्फीति नियंत्रण (Inflation Control): राजकोषीय नीति का एक उद्देश्य मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना भी होता है। अधिक व्यय मुद्रास्फीति को बढ़ा सकता है, इसलिए नीति में इसके नियंत्रण के उपाय भी शामिल होते हैं।
आर्थिक विकास (Economic Growth): राजकोषीय नीति का उद्देश्य दीर्घकालिक आर्थिक विकास को प्रोत्साहित करना है। इसके लिए निवेश को बढ़ावा देने, रोजगार सृजन, और उत्पादन क्षमता बढ़ाने के उपाय शामिल होते हैं।
बजट और राजकोषीय नीति के बीच संबंध:
नियोजन और कार्यान्वयन (Planning and Implementation): बजट राजकोषीय नीति का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। यह नीति को लागू करने का एक साधन है।
वित्तीय अनुशासन (Fiscal Discipline): बजट के माध्यम से राजकोषीय नीति वित्तीय अनुशासन को सुनिश्चित करती है, जिससे सरकार अनावश्यक खर्चों को नियंत्रित कर सके।
आर्थिक स्थिरता (Economic Stability): बजट और राजकोषीय नीति दोनों मिलकर आर्थिक स्थिरता बनाए रखने में मदद करते हैं। वे मिलकर मुद्रास्फीति, बेरोजगारी, और आर्थिक असमानता को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं।
दीर्घकालिक योजना (Long-term Planning): बजट और राजकोषीय नीति दीर्घकालिक आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ काम करते हैं। ये दीर्घकालिक विकास परियोजनाओं, बुनियादी ढाँचे के निवेश, और सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों को समर्थन देते हैं।
निष्कर्ष:
बजट और राजकोषीय नीति दोनों ही सार्वजनिक वित्त के महत्वपूर्ण अंग हैं। बजट जहाँ सरकार के आय-व्यय का वार्षिक खाका होता है, वहीं राजकोषीय नीति आर्थिक स्थिरता और विकास के लिए दीर्घकालिक रणनीति होती है। दोनों का समन्वय आर्थिक विकास, वित्तीय स्थिरता, और सामाजिक कल्याण के लिए आवश्यक होता है।
Leave a Reply