परिचय:
मूल्य स्थिरीकरण कोष (PSF) भारत सरकार द्वारा स्थापित एक योजना है जिसका उद्देश्य आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता को कम करना और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करना है।
यह योजना 2014-15 में शुरू की गई थी और इसका प्रबंधन उपभोक्ता मामलों के विभाग द्वारा किया जाता है।
PSF कैसे काम करता है:
- खरीद: जब किसी आवश्यक वस्तु की कीमतें बढ़ती हैं, तो PSF उस वस्तु को खुले बाजार से सीधे किसानों या किसान संगठनों से खरीदता है। यह खरीद बफर स्टॉक बनाने में मदद करती है।
- बिक्री: जब कीमतें कम होती हैं, तो PSF बफर स्टॉक से उस वस्तु को खुले बाजार में बेचता है। यह बिक्री कीमतों को कम करने और उपभोक्ताओं को राहत प्रदान करने में मदद करती है।
- निवारक हस्तक्षेप: PSF बाजार में हस्तक्षेप करके भी काम करता है, जैसे कि भविष्य की खरीद या बिक्री की धमकी देकर, ताकि कीमतों को अत्यधिक बढ़ने या गिरने से रोका जा सके।
PSF के तहत कौन सी वस्तुएं शामिल हैं:
- अनाज: गेहूं, चावल, दालें, आदि।
- तेल और वसा: खाद्य तेल, घी, आदि।
- प्याज और आलू:
- अन्य आवश्यक वस्तुएं: दालचीनी, इलायची, आदि।
PSF के लाभ:
- मूल्य स्थिरता: PSF आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में अत्यधिक अस्थिरता को कम करने में मदद करता है।
- उपभोक्ता संरक्षण: PSF उपभोक्ताओं को उच्च कीमतों से बचाने में मदद करता है।
- किसानों की आय में वृद्धि: PSF किसानों को बेहतर कीमतें प्राप्त करने में मदद करता है, जिससे उनकी आय में वृद्धि होती है।
- खाद्य सुरक्षा: PSF खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने में मदद करता है।
PSF की चुनौतियाँ:
- भंडारण और रखरखाव की लागत: PSF को बफर स्टॉक को स्टोर करने और बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण लागत वहन करनी पड़ती है।
- भ्रष्टाचार का खतरा: PSF में भ्रष्टाचार का खतरा हमेशा बना रहता है, क्योंकि इसमें बड़ी मात्रा में धन का लेन-देन होता है।
- बाजार हस्तक्षेप: PSF के बाजार में हस्तक्षेप से कभी-कभी अवांछित परिणाम हो सकते हैं।
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