योजना आयोग (Planning Commission) भारतीय सरकार का एक महत्वपूर्ण संस्थान था जो विभिन्न पहलुओं में राष्ट्रीय नियोजन और विकास की योजनाओं का निर्माण और मॉनिटरिंग करता था। इसका मुख्य उद्देश्य भारतीय अर्थव्यवस्था के सामर्थ्यकरण और विकास में सहायक बनना था।
इतिहास और स्थापना:
- योजना आयोग 15 मार्च 1950 को स्थापित किया गया था और इसकी स्थापना महात्मा गांधी के सामाजिक-आर्थिक विचारों के आधार पर हुई थी।
- इसका मुख्य कार्य था राष्ट्रीय विकास योजनाओं की तैयारी और प्रस्तावना करना, सरकार को विकास के लिए आवश्यक नीतियों और कार्यक्रमों को संशोधित करने में मदद करना और योजनाओं का मॉनिटरिंग करना।
- योजना आयोग के अध्यक्ष के रूप में पहले प्रधानमंत्री पं. जवाहरलाल नेहरू थे।
योजना आयोग के कार्य:
पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण: योजना आयोग का प्राथमिक कार्य पंचवर्षीय योजनाओं का निर्माण करना था, जो भारत के आर्थिक और सामाजिक विकास के लिए रणनीति और लक्ष्य निर्धारित करते थे। इन योजनाओं में कृषि, उद्योग, बुनियादी ढांचा, शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य क्षेत्रों के लिए विकास लक्ष्य शामिल थे।
सरकारी मंत्रालयों के बीच समन्वय: योजना आयोग ने विभिन्न सरकारी मंत्रालयों और विभागों के बीच समन्वय स्थापित करने के लिए काम किया। यह सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक था कि योजनाएं सुसंगत थीं और एक दूसरे के पूरक थीं।
योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी: योजना आयोग ने योजनाओं के कार्यान्वयन की निगरानी भी की और प्रगति की समीक्षा की। आयोग ने जरूरत पड़ने पर योजनाओं में समायोजन भी किया।
अनुसंधान और अध्ययन: योजना आयोग ने आर्थिक विकास और सामाजिक नीति से संबंधित अनुसंधान और अध्ययन भी किया। इसने नीति निर्माण को सूचित करने के लिए डेटा और विश्लेषण प्रदान किया।
विदेशी सहायता का प्रबंधन: योजना आयोग ने विदेशी सहायता के प्रबंधन और अंतरराष्ट्रीय विकास एजेंसियों के साथ समन्वय के लिए भी काम किया।
योजना आयोग का महत्व:
आर्थिक विकास: योजना आयोग ने भारत के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसकी पंचवर्षीय योजनाओं ने देश को गरीबी को कम करने, कृषि उत्पादन बढ़ाने, उद्योगों का विकास करने और बुनियादी ढांचे में सुधार करने में मदद की।
सामाजिक न्याय: योजना आयोग ने सामाजिक न्याय और समानता को बढ़ावा देने के लिए भी काम किया। इसने शिक्षा, स्वास्थ्य सेवा और अन्य सामाजिक सेवाओं तक पहुंच में सुधार के लिए नीतियां तैयार कीं।
केंद्रीयकृत योजना (Centralized planning) : योजना आयोग ने भारत में केंद्रीयकृत योजना के एक मॉडल को बढ़ावा दिया। इसका मतलब था कि सरकार ने अर्थव्यवस्था में एक प्रमुख भूमिका निभाई और विकास के लिए रणनीति निर्धारित की।
योजना आयोग का समाधान-लेख (Dissolution of Planning Commission)
भारत सरकार ने 2014 में योजना आयोग को समाप्त कर दिया और इसकी जगह नीति आयोग ने ले ली। यह बदलाव कई वर्षों की बहस और चर्चा के बाद आया, जिसमें योजना आयोग की प्रासंगिकता और प्रभावशीलता पर सवाल उठाए गए थे।
योजना आयोग की आलोचना:
केंद्रीकृत योजना (Centralized planning): कुछ लोगों ने तर्क दिया कि योजना आयोग का केंद्रीकृत योजना मॉडल अक्षम और लचीला नहीं था। उन्होंने तर्क दिया कि इसने निजी क्षेत्र के विकास को हतोत्साहित किया और नवाचार को दबा दिया।
राजनीतिक हस्तक्षेप (Political interference): योजना आयोग पर राजनीतिक हस्तक्षेप के आरोप भी लगे थे। कुछ लोगों ने तर्क दिया कि योजनाओं का निर्माण अक्सर राजनीतिक विचारों के आधार पर किया जाता था, न कि आर्थिक या सामाजिक जरूरतों के आधार पर।
ब्यूरोक्रेटिक जड़ता (Bureaucratic inertia): योजना आयोग को अक्सर धीमा और अक्षम होने के लिए भी आलोचना की जाती थी। कुछ लोगों ने तर्क दिया कि इसकी जटिल प्रक्रियाओं ने योजनाओं के कार्यान्वयन में देरी की और उन्हें बदलना मुश्किल बना दिया।
अप्रासंगिकता (Irrelevance): कुछ लोगों का तर्क था कि योजना आयोग 21वीं सदी की अर्थव्यवस्था की बदलती जरूरतों के अनुकूल नहीं था। उन्होंने तर्क दिया कि इसे बाजार-आधारित अर्थव्यवस्था के अनुरूप पुनर्गठित करने या समाप्त करने की आवश्यकता थी।
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