राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (National Food Security Act, NFSA) 2013 भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया एक महत्वपूर्ण कानून है जो भारतीय नागरिकों को सस्ते और अच्छे गुणवत्ता वाले खाद्यान्न पहुंचाने का उद्देश्य रखता है। इस अधिनियम के तहत, राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अनुशासन (National Food Security Scheme) लागू किया गया है जिसके तहत लोगों को सस्ते दामों पर अनाज, अन्नदाता एवं अवशेष अन्न प्रदान किया जाता है।
अधिनियम के मुख्य प्रावधान:
- पात्रता (Eligibility):
- ग्रामीण क्षेत्रों में 75% और शहरी क्षेत्रों में 50% आबादी को खाद्य सुरक्षा के तहत पात्र माना जाता है।
- इसमें गरीब, वंचित, और हाशिए पर रहने वाले समुदायों के सदस्य शामिल हैं।
- खाद्य grains:
- पात्र व्यक्तियों को प्रति माह 5 किलोग्राम गेहूं, चावल या ज्वार/बाजरा (3 किलोग्राम गेहूं और 2 किलोग्राम चावल/ज्वार/बाजरा) प्रदान किया जाता है।
- बीमार, बुजुर्ग, गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को अतिरिक्त 3 किलो अनाज मिलता है।
- कीमत:
- खाद्यgrains को सरकार द्वारा निर्धारित सब्सिडी वाले दरों पर प्रदान किया जाता है।
- यह दरें बाजार मूल्य से काफी कम हैं।
- राशन कार्ड:
- पात्र व्यक्तियों को राशन कार्ड जारी किए जाते हैं, जिसके माध्यम से वे उचित दर की दुकानों (FPS) से खाद्यgrains प्राप्त कर सकते हैं।
- सार्वजनिक वितरण प्रणाली (PDS):
- खाद्य grains का वितरण FPS के माध्यम से किया जाता है।
- सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए जिम्मेदार है कि FPS में पर्याप्त मात्रा में खाद्यgrains उपलब्ध हों और उनका उचित वितरण किया जाए।
- राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा योजना (National Food Security Scheme): इस योजना के अंतर्गत गरीब परिवारों को अनाज और अन्नदाता के माध्यम से सस्ते दामों पर खाद्यान्न प्रदान किया जाता है।
- अन्नपूर्णा योजना (Antyodaya Anna Yojana): इस योजना के अंतर्गत भारत के सबसे गरीब और वंचित परिवारों को सब्जियां, दाल, तेल आदि के साथ अन्नदाता प्रदान किया जाता है।
- अन्न प्रतिष्ठान (Food Corporation of India, FCI): यह भारत सरकार की संस्था है जो खाद्यान्न की खरीदारी, उचित भंडारण और अनुदान प्रदान करती है। NFSA के अंतर्गत FCI को भी खाद्य सुरक्षा में भूमिका निभाने का जिम्मेदारी सौंपी गई है।
अधिनियम का प्रभाव:
- NFSA ने भारत में खाद्य सुरक्षा की स्थिति में सुधार करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
- इसने गरीबों और वंचितों को भोजन तक पहुंच प्रदान की है और उन्हें भूख से बचाने में मदद की है।
- अधिनियम ने कुपोषण को कम करने और बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार करने में भी योगदान दिया है।
चुनौतियाँ:
- भ्रष्टाचार:
- PDS में भ्रष्टाचार एक बड़ी समस्या है, जिसके कारण खाद्यgrains का रिसाव और दुरुपयोग होता है।
- लक्ष्यीकरण:
- कुछ पात्र व्यक्तियों को योजना का लाभ नहीं मिल पाता है, जबकि कुछ अपात्र व्यक्ति लाभ प्राप्त कर लेते हैं।
- खाद्य grains की गुणवत्ता:
- खाद्यgrains की गुणवत्ता कभी-कभी खराब होती है, जिसके कारण स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
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