मौद्रिक नीति और साख नीति दो महत्वपूर्ण नीतियां हैं जिनका उपयोग भारत का केंद्रीय बैंक, भारतीय रिजर्व बैंक (RBI), अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने और वांछित आर्थिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए करता है।
यह दोनो नीतियां एक दूसरे से निकटता से जुड़ी हुई हैं और मिलकर काम करती हैं।
मौद्रिक नीति का मुख्य उद्देश्य मूल्य स्थिरता बनाए रखना, आर्थिक विकास को बढ़ावा देना और पूर्ण रोजगार सुनिश्चित करना है।
यह नीति मुद्रा आपूर्ति और ब्याज दरों को नियंत्रित करके हासिल की जाती है।
साख नीति, जिसे बैंकिंग नीति के रूप में भी जाना जाता है, बैंकिंग प्रणाली के संचालन और बैंकों द्वारा प्रदान किए जाने वाले ऋण की मात्रा और शर्तों को नियंत्रित करती है।
यह नीति वित्तीय प्रणाली की स्थिरता सुनिश्चित करने और वित्तीय समावेशन को बढ़ावा देने में मदद करती है।
मौद्रिक नीति (Monetary Policy):
- परिभाषा: मौद्रिक नीति एक ऐसी नीति है जिसमें देश के मौद्रिक आपूर्ति और मौद्रिक नकदी प्रवाह को नियंत्रित करने का प्रयास किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था में स्थिरता, मौद्रिक नकदी की दरें, और संपत्ति के मूल्यों को बनाए रखना होता है।
- उपाय: मौद्रिक नीति के तहत रिज़र्व बैंक या संबंधित मौद्रिक नियामक संस्थाएं ब्याज दरों, नकदी की आपूर्ति, और अन्य मौद्रिक प्रणाली के माध्यम से नीतियाँ बनाती हैं। इसके माध्यम से देश की अर्थव्यवस्था में वृद्धि या संकट की स्थिति को संतुलित रखने का प्रयास किया जाता है।
साख नीति (Fiscal Policy):
- परिभाषा: साख नीति एक ऐसी नीति है जो सरकार के द्वारा बनाई जाती है और जिसमें राजकोषीय उत्तरदायित्वों को निर्धारित करके अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य अर्थव्यवस्था की वृद्धि, रोजगार, और उत्पादन में सुधार करना होता है।
- उपाय: साख नीति के तहत सरकार द्वारा विभिन्न वित्तीय उपायों का प्रयोग किया जाता है, जैसे कि करों का परिवर्तन, वित्तीय सहायता योजनाएं, और वित्तीय संस्थाओं के साथ सहयोग। इससे सामाजिक और आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलता है और साथ ही राजकोषीय स्थिरता भी बनाए रखी जाती है।
Leave a Reply