बैंकों के लिए भारतीय रिजर्व बैंक से आपातकालीन स्थिति में उधार लेने का एक माध्यम है, जब अंतर-बैंक तरलता पूरी तरह से समाप्त हो जाती है। इस फैसिलिटी का उद्देश्य बैंकों को वित्तीय संस्थाओं से अत्यधिक ब्याज दर पर ऋण लेने से बचाना है।
MSF की मुख्य विशेषताएं:
- उपलब्धता: MSF एक अंतिम उपाय के रूप में कार्य करती है और इसका उपयोग केवल तभी किया जाता है जब बैंक अन्य स्रोतों, जैसे कि इंटरबैंक मार्केट से ऋण प्राप्त करने में सक्षम नहीं होते हैं।
- पात्र बैंक: अनुसूचित वाणिज्यक बैंक MSF के लिए पात्र हैं।
- ऋण राशि: बैंक अपनी नेट डिमांड और टाइम लाइबिलिटीज (NDTL) के 1% तक MSF के तहत ऋण प्राप्त कर सकते हैं। NDTL जमा राशि का एक माप है जो बैंक अपने ग्राहकों से लेते हैं।
- ब्याज दर: MSF दर रेपो दर से 100 आधार अंक अधिक है। वर्तमान में, रेपो दर 4.50% है, इसलिए MSF दर 5.50% (29 जून 2024 तक) है। यह दर बैंकों को MSF का उपयोग करने के लिए हतोत्साहित करने के लिए अपेक्षाकृत अधिक है और यह सुनिश्चित करती है कि वे इसका सहारा केवल आपातकालीन स्थितियों में ही लें।
- कोलैटरल: बैंकों को MSF के तहत ऋण प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा जारी प्रतिभूतियों को RBI के पास जमानत के रूप में जमा करना होता है।
MSF के लाभ:
- बैंकों की तरलता की जरूरतों को पूरा करना: MSF बैंकों को अल्पकालिक तरलता की कमी को पूरा करने में मदद करता है, जिससे यह सुनिश्चित होता है कि वे अपने ग्राहकों को सुचारू रूप से ऋण और अन्य सेवाएं प्रदान कर सकें।
- वित्तीय प्रणाली की स्थिरता बनाए रखना: MSF वित्तीय प्रणाली में स्थिरता बनाए रखने में मदद करता है। यह अचानक तरलता की कमी को रोकता है जो वित्तीय संकट को जन्म दे सकता है।
MSF के कुछ महत्वपूर्ण बिंदु:
- MSF एक अल्पकालिक ऋण सुविधा है, आमतौर पर एक दिन की अवधि के लिए।
- RBI MSF दर को समय-समय पर बदल सकता है।
- MSF बैंकों को वित्तीय अनुशासन बनाए रखने के लिए प्रोत्साहित करता है, क्योंकि इसका उपयोग करने की लागत अधिक है।
Leave a Reply