संशोधित एलएमआर (Modified Liquidity Management Framework) भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) द्वारा लागू किया गया एक तंत्र है जो बैंकिंग प्रणाली में तरलता (लिक्विडिटी) के प्रबंधन को और अधिक पारदर्शी और कुशल बनाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस फ्रेमवर्क के तहत, बैंक अपनी लिक्विडिटी की आवश्यकताओं को अधिक प्रभावी ढंग से प्रबंधित कर सकते हैं।
संशोधित एलएमआर की विशेषताएँ:
- दैनिक और साप्ताहिक तरलता प्रबंधन:
- बैंक दैनिक और साप्ताहिक आधार पर अपनी लिक्विडिटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए विभिन्न वित्तीय उपकरणों का उपयोग कर सकते हैं।
- विभिन्न टेनर्स की एलिक्विडिटी:
- एलएमआर के तहत, बैंकों को अलग-अलग अवधियों (टेनर्स) के लिए लिक्विडिटी प्राप्त करने की सुविधा मिलती है। यह उन्हें अपनी अल्पकालिक और दीर्घकालिक लिक्विडिटी आवश्यकताओं को प्रबंधित करने में मदद करता है।
- ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी:
- संशोधित एलएमआर बैंकों को अधिक ऑपरेशनल फ्लेक्सिबिलिटी प्रदान करता है, जिससे वे बदलती हुई आर्थिक परिस्थितियों के अनुसार तेजी से समायोजन कर सकते हैं।
- वित्तीय स्थिरता:
- यह फ्रेमवर्क वित्तीय स्थिरता को बनाए रखने में मदद करता है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि बैंक अपने लिक्विडिटी आवश्यकताओं को समय पर पूरा कर सकें।
संशोधित एलएमआर के उपकरण:
- लिक्विडिटी एडजस्टमेंट फैसिलिटी (LAF):
- एलएएफ के तहत, बैंक अपनी अल्पकालिक लिक्विडिटी आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए रेपो और रिवर्स रेपो ऑपरेशनों का उपयोग कर सकते हैं।
- मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (MSF):
- एमएसएफ के तहत, बैंक अपने लिक्विडिटी संकट को दूर करने के लिए रिज़र्व बैंक से ऊंची ब्याज दर पर रात भर के लिए उधार ले सकते हैं।
- ओपन मार्केट ऑपरेशंस (OMO):
- ओएमओ के तहत, रिज़र्व बैंक सरकारी प्रतिभूतियों (बॉन्ड्स) की खरीद और बिक्री के माध्यम से सिस्टम में लिक्विडिटी को समायोजित करता है।
- मुद्रा स्वैप्स:
- मुद्रा स्वैप्स के माध्यम से, रिज़र्व बैंक विदेशी मुद्रा को स्थानीय मुद्रा के साथ स्वैप करता है, जिससे लिक्विडिटी में वृद्धि होती है।
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