1970 के दशक से पहले की मुद्रास्फीति को विभिन्न आर्थिक और राजनीतिक घटनाओं द्वारा प्रभावित किया गया था। इस अवधि में मुद्रास्फीति के प्रमुख कारणों में युद्ध, आर्थिक मंदी, और वैश्विक बाजार में अस्थिरता शामिल थे।
1. विश्व युद्धों का प्रभाव
- प्रथम विश्व युद्ध (1914-1918): युद्ध के दौरान और बाद में विभिन्न देशों में भारी सरकारी खर्च और कच्चे माल की कमी ने मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया। युद्धकालीन उत्पादन की बढ़ी हुई मांग और संसाधनों की सीमित उपलब्धता ने कीमतों को बढ़ा दिया।
- द्वितीय विश्व युद्ध (1939-1945): इस युद्ध के बाद कई देशों में आर्थिक पुनर्निर्माण के प्रयासों के कारण मुद्रास्फीति हुई। युद्ध के बाद की अवधि में औद्योगिक उत्पादन और विकास की दिशा में बड़े पैमाने पर निवेश हुआ, जिससे मांग और कीमतें बढ़ीं।
2. 1920 के दशक की आर्थिक स्थिति
- 1920 का दशक: इस दशक में, विशेष रूप से अमेरिका में, आर्थिक उछाल देखा गया। लेकिन 1929 की महामंदी (Great Depression) ने वैश्विक अर्थव्यवस्था को बुरी तरह प्रभावित किया। महामंदी के दौरान कीमतें गिर गईं, लेकिन 1930 के दशक के उत्तरार्ध में और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान आर्थिक सुधार के प्रयासों ने मुद्रास्फीति को बढ़ावा दिया।
3. वैश्विक आर्थिक मंदी और सुधार
- 1940-1960 का दशक: इस अवधि में, कई देशों ने औद्योगिकीकरण और आर्थिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया। आर्थिक सुधार की नीतियों, जैसे कि मार्शल प्लान (Marshall Plan) और विभिन्न देशों के आर्थिक सुधार कार्यक्रमों ने मुद्रास्फीति को प्रभावित किया।
1970 के दशक से पहले भारत में मुद्रास्फीति कम रहने के कुछ कारण:
- कमजोर मांग: 1970 के दशक से पहले, भारत की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत कम विकसित थी और लोगों की आय कम थी। इसका मतलब था कि वस्तुओं और सेवाओं की मांग कम थी, जिससे कीमतों को कम रखने में मदद मिली।
- अधिक उत्पादन: 1970 के दशक से पहले, भारत कृषि उत्पादों का एक बड़ा निर्यातक था। इसका मतलब था कि देश में खाद्य पदार्थों और अन्य आवश्यक वस्तुओं की पर्याप्त आपूर्ति थी, जिससे कीमतों को स्थिर रखने में मदद मिली।
- सरकारी नियंत्रण: 1970 के दशक से पहले, भारत सरकार ने अर्थव्यवस्था पर अधिक नियंत्रण रखा था। सरकार ने कई वस्तुओं और सेवाओं की कीमतों को नियंत्रित किया, जिससे मुद्रास्फीति को कम रखने में मदद मिली।
यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि 1970 के दशक से पहले भारत में मुद्रास्फीति पूरी तरह से अनुपस्थित नहीं थी। कुछ वर्षों में, मुद्रास्फीति दर 5% या उससे अधिक तक बढ़ गई थी। हालांकि, समग्र रूप से, 1970 के दशक से पहले भारत में मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत कम थी।
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