मुद्रास्फीति और व्यापार चक्र दो महत्वपूर्ण आर्थिक अवधारणाएं हैं, जो एक-दूसरे से घनिष्ठ रूप से संबंधित हैं। मुद्रास्फीति का अर्थ है कीमतों में निरंतर वृद्धि, जबकि व्यापार चक्र एक अर्थव्यवस्था में आर्थिक गतिविधियों की चक्रीय वृद्धि और गिरावट को दर्शाता है।
परिभाषा (Definition)
- मुद्रास्फीति: ऐसी आर्थिक स्थिति जिसमें सामान्य कीमतों में निरंतर वृद्धि होती है, जिससे मुद्रा की क्रय शक्ति कम होती है।
- व्यापार चक्र: अर्थव्यवस्था में अवधि-वार आर्थिक गतिविधियों के विस्तार और संकुचन की चक्रीय प्रक्रिया।
मुद्रास्फीति क्यों होती है? (Why Does Inflation Occur?)
1970 के दशक से पूर्व (Before the 1970s)
1970 के दशक के बाद (After the 1970s)
आधार प्रभाव (Base Effect)
- परिभाषा: पिछले साल की कीमतों की तुलना में मौजूदा साल की कीमतों का अंतर, जिससे मुद्रास्फीति दर प्रभावित होती है।
टेंटेंटदाता और देनदार पर (On Creditors and Debtors)
- टेंटेंटदाता: नुकसान, क्योंकि ऋण की असली कीमत बढ़ जाती है।
- देवदार: लाभ, क्योंकि वे कम असली धन लौटाते हैं।
उधारी पर (On Borrowing)
- ब्याज दरों में वृद्धि: उधारी की लागत बढ़ जाती है।
कुल मांग पर (On Aggregate Demand)
- मांग में कमी: उच्च कीमतों के कारण उपभोग में कमी।
निवेश पर (On Investment)
- कम निवेश: अनिश्चितता और उच्च लागत के कारण निवेश में कमी।
आय पर (On Income)
- वृद्धि के बावजूद असंतुलन: आय में वृद्धि के बावजूद जीवनस्तर पर विपरीत प्रभाव।
बचत पर (On Savings)
- बचत में कमी: मुद्रास्फीति के कारण वास्तविक मूल्य में कमी।
खर्च पर (On Expenditure)
- वृद्धि: महंगाई के कारण खर्च में वृद्धि।
कर पर (On Taxes)
- राजस्व में कमी: करों की वास्तविक मूल्य में गिरावट।
विनिमय दर पर (On Exchange Rates)
- अस्थिरता: मुद्रास्फीति के कारण विनिमय दरों में अस्थिरता।
निर्यात पर (On Exports)
- प्रतिस्पर्धात्मक लाभ: उच्च मुद्रास्फीति के कारण निर्यात में कमी।
आयात पर (On Imports)
- आयात लागत: उच्च मुद्रास्फीति के कारण आयात महंगा हो जाता है।
व्यापार संतुलन पर (On Trade Balance)
- दुष्प्रभाव: निर्यात की कमाई और आयात की लागत में असंतुलन।
रोजगार पर (On Employment)
- मंदी: उच्च मुद्रास्फीति के कारण बेरोजगारी में वृद्धि।
मजदूरी पर (On Wages)
- मजबूरी: मुद्रास्फीति के कारण मजदूरी में वृद्धि।
स्वरोजगार पर (On Self-Employment)
- संकट: उच्च मुद्रास्फीति के कारण छोटे व्यवसाय प्रभावित होते हैं।
अर्थव्यवस्था पर (On Economy)
- अस्थिरता: आर्थिक अस्थिरता, निवेश और विकास में कमी।
भारत में मुद्रास्फीति (Inflation in India)
थोक मूल्य सूचकांक (Wholesale Price Index – WPI)
- परिभाषा: थोक बाजार में वस्त्रों और सेवाओं की कीमतों का सूचकांक।
संशोधित थोक मूल्य सूचकांक (Revised Wholesale Price Index)
- उद्देश्य: कीमतों की सही माप और मूल्यांकन।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (Consumer Price Index – CPI)
- प्रकार:
- CPI-IW: इंडस्ट्रियल वर्कर्स के लिए।
- CPI-UNME: अनारक्षित श्रमिकों के लिए।
- CPI-AL: ग्रामीण श्रमिकों के लिए।
- CPI-RL: रूरल श्रमिकों के लिए।
उपभोक्ता मूल्य सूचकांक का पुनरीक्षण (Revision of CPI)
- मुद्रास्फीति की प्रवृत्तियां (Trends in Inflation)
संरचनात्मक मुद्रास्फीति (Structural Inflation)
- परिभाषा: अर्थव्यवस्था की संरचना में सुधार की कमी के कारण मुद्रास्फीति।
लागत-दबाव मुद्रास्फीति (Cost-Push Inflation)
- कारक: उत्पादन लागत में वृद्धि, जैसे कि मजदूरी और कच्चा माल।
राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)
- उद्देश्य: खर्च और कर नीति के माध्यम से मुद्रास्फीति को नियंत्रित करना।
मुद्रास्फीति का स्वस्थ परास (Healthy Range of Inflation)
- उदाहरण: 3-5% मुद्रास्फीति दर को सामान्य माना जाता है।
उत्पादक मूल्य सूचकांक (Producer Price Index – PPI)
- उद्देश्य: उत्पादन लागत और मूल्य वृद्धि की माप।
हाउसिंग प्राइस इंडेक्स (Housing Price Index)
- परिभाषा: आवास क्षेत्र में कीमतों की वृद्धि मापने वाला सूचकांक।
सेवा मूल्य सूचकांक (Service Price Index)
- माप: सेवा क्षेत्र में कीमतों में बदलाव, जैसे कि शिक्षा, स्वास्थ्य, परिवहन आदि।
मुद्रास्फीति नियंत्रण के लिए सरकार के कदम (Government Measures to Control Inflation)
- मौद्रिक नीति (Monetary Policy)
- ब्याज दरों में परिवर्तन: ब्याज दरों को बढ़ाकर या घटाकर मुद्रा आपूर्ति को नियंत्रित करना।
- आपूर्ति प्रबंधन: रिजर्व बैंक द्वारा नकदी आपूर्ति और तरलता के स्तर को नियंत्रित करना।
- राजकोषीय नीति (Fiscal Policy)
- करों में वृद्धि: उच्च कर दरों के माध्यम से मांग को कम करना।
- सरकारी खर्च में कटौती: सरकार की व्यय नीतियों में कटौती।
- विनियमन (Regulation)
- मूल्य नियंत्रण: आवश्यक वस्तुओं की कीमतों पर नियंत्रण।
- वेतन नियंत्रण: वेतन वृद्धि पर नियंत्रण।
- आपूर्ति बढ़ाना (Increasing Supply)
- उत्पादन बढ़ाना: कृषि, उद्योग और सेवाओं में उत्पादन को बढ़ावा देना।
- आपूर्ति श्रृंखला में सुधार: लॉजिस्टिक्स और वितरण नेटवर्क में सुधार।
- आर्थिक सुधार (Economic Reforms)
- व्यवसाय अनुकूल नीतियां: व्यापार और निवेश के अनुकूल वातावरण बनाना।
- उत्पादन क्षमता में वृद्धि: प्रौद्योगिकी और नवाचार को बढ़ावा देना।
मुद्रास्फीति और व्यापार चक्र (Inflation and Business Cycle)
व्यापार चक्र के चरण (Phases of the Business Cycle)
- विस्तार (Expansion)
- उत्पादन और रोजगार में वृद्धि।
- मांग में वृद्धि और मुद्रास्फीति की संभावना।
- ऊँचाई (Peak)
- आर्थिक गतिविधि का शिखर बिंदु।
- मुद्रास्फीति की दर चरम पर।
- संकुचन (Contraction/ Recession)
- उत्पादन में गिरावट।
- बेरोजगारी में वृद्धि और मांग में कमी।
- मुद्रास्फीति में कमी या deflation।
- निचाई (Trough)
- आर्थिक गतिविधि का निचला बिंदु।
- मुद्रास्फीति में कमी, ब्याज दरें कम।
मुद्रास्फीति और व्यापार चक्र के संबंध (Relationship Between Inflation and Business Cycle)
- मुद्रास्फीति और विस्तार (Inflation During Expansion)
- मांग में वृद्धि और उत्पादन लागत में बढ़ोतरी से मुद्रास्फीति बढ़ सकती है।
- मुद्रास्फीति और संकुचन (Deflation During Contraction)
- कम मांग और उत्पादन में गिरावट से कीमतों में कमी आ सकती है।
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