गांधीवादी योजना भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के समय प्रस्तुत एक वैकल्पिक आर्थिक योजना थी, जिसका उद्देश्य महात्मा गांधी के सिद्धांतों और विचारधाराओं पर आधारित आर्थिक विकास करना था। यह योजना भारत के प्रसिद्ध स्वतंत्रता संग्रामी और अर्थशास्त्री श्रीमान श्रीमन नारायण अग्रवाल द्वारा प्रस्तुत की गई थी। इसे 1944 में प्रकाशित किया गया था और यह “गांधीवादी योजना” के नाम से प्रसिद्ध हुई।
गांधीवादी योजना की मुख्य विशेषताएं:
ग्राम स्वराज: गांधीवादी योजना का मुख्य उद्देश्य था ग्रामों को आत्मनिर्भर बनाना। गांधीजी का मानना था कि भारत की आत्मा गांवों में बसती है, इसलिए ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करना आवश्यक है।
विकेंद्रीकरण: गांधीजी का मानना था कि शक्ति का केंद्रीकरण अवांछनीय है और निर्णय लेने की शक्ति को स्थानीय स्तर पर विकेंद्रीकृत किया जाना चाहिए।
कुटीर और लघु उद्योग: योजना में कुटीर उद्योगों और लघु उद्योगों के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया। गांधीजी का मानना था कि इससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे और ग्रामीण क्षेत्रों में आर्थिक स्थिरता आएगी। हस्तशिल्प और हथकरघा उद्योगों को प्रोत्साहित किया गया।
स्वदेशी और आत्मनिर्भरता: गांधीवादी योजना स्वदेशी आंदोलन के सिद्धांतों पर आधारित थी, जो विदेशी वस्त्रों और वस्तुओं के बहिष्कार को प्रोत्साहित करती थी। आत्मनिर्भरता पर जोर दिया गया, ताकि भारत की आर्थिक स्वतंत्रता सुनिश्चित हो सके।
सर्वोदय और सामाजिक न्याय: गांधीजी के सर्वोदय (सबका उदय) के सिद्धांत को अपनाते हुए योजना का उद्देश्य सभी वर्गों के लोगों का समग्र विकास करना था। सामाजिक न्याय और समानता पर बल दिया गया, ताकि समाज के सभी वर्गों को विकास के अवसर मिल सकें।
पर्यावरण संरक्षण: योजना में पर्यावरण संरक्षण और प्राकृतिक संसाधनों के सतत उपयोग पर जोर दिया गया, ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए संसाधन संरक्षित रह सकें।
भारत में गांधीवादी योजना का कार्यान्वयन:
गांधीवादी योजना को भारत में विभिन्न तरीकों से लागू किया गया है, जिनमें शामिल हैं:
- समुदाय विकास कार्यक्रम: 1950 के दशक में, भारत सरकार ने ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने के लिए सामुदायिक विकास कार्यक्रम (सीडीपी) शुरू किया।
सीडीपी गांधीवादी योजना के सिद्धांतों पर आधारित थे और उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, कृषि और बुनियादी ढांचे जैसे क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा दिया।
- खादी और ग्रामोद्योग: गांधीजी ने खादी और ग्रामोद्योग (ग्रामीण उद्योग) को भारत के आर्थिक विकास के लिए महत्वपूर्ण माना।
सरकार ने खादी और ग्रामोद्योग को बढ़ावा देने के लिए कई योजनाएं और कार्यक्रम शुरू किए हैं।
- पंचायती राज: भारत में पंचायती राज एक विकेंद्रीकृत शासन प्रणाली है जो गांवों, ब्लॉकों और जिलों के स्तर पर स्थानीय सरकारों को स्थापित करती है।
पंचायती राज गांधीवादी योजना के सिद्धांतों पर आधारित है और ग्रामीण समुदायों को सशक्त बनाने और ग्रामीण क्षेत्रों में विकास को बढ़ावा देने में मदद करता है।
गांधीवादी योजना की चुनौतियां:
- गरीबी और बेरोजगारी: भारत में गरीबी और बेरोजगारी बड़ी चुनौतियां हैं।
- गांधीवादी योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार और आय के अवसर पैदा करने में सक्षम नहीं रही है।
- बुनियादी ढांचे की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे की कमी, जैसे सड़कें, बिजली और पानी, विकास को बाधित करती है।
- राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी: गांधी जी के विचारों को व्यावहारिक रूप से लागू करने के लिए सरकार की स्पष्ट और मजबूत नीतियों की आवश्यकता थी, जो उस समय की सरकारों में मौजूद नहीं थी। इसके परिणामस्वरूप गांधीवादी योजना के प्रमुख तत्वों का सफलतापूर्वक कार्यान्वयन संभव नहीं हो सका।
Leave a Reply