वितरण का अध्ययन उत्पादित वस्तुओं और सेवाओं को विभिन्न समूहों या व्यक्तियों के बीच कैसे वितरित किया जाता है इस पर केंद्रित होता है। यह एक महत्वपूर्ण विषय है क्योंकि यह आर्थिक असमानता, गरीबी, और समग्र कल्याण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावित करता है। यह अध्ययन करता है कि उत्पादन के कारकों (श्रम, पूंजी, भूमि, और उद्यमिता) को किस प्रकार से उनके योगदान के आधार पर मुआवजा दिया जाता है।
वितरण का सिद्धांत
- वितरण का सिद्धांत मूल्य के सिद्धांत के अध्ययन का एक विशिष्ट विषय है। जिस प्रकार उत्पादों की कीमतों को मांग और आपूर्ति बलों की परस्पर क्रिया की सहायता से वर्णित किया जा सकता है, उसी प्रकार इसके वितरण को भी कारकों की कीमतों के निर्धारण द्वारा वर्णित किया जा सकता है, जिन्हें उनकी मांग और आपूर्ति बलों की परस्पर क्रिया से भी समझाया जाता है|
- लेकिन ध्यान रखने वाली महत्वपूर्ण बात यह है कि वितरण के सिद्धांत में, हम उत्पादन के कारकों द्वारा प्रदान की गई सेवाओं की कीमतों को दर्शाते हैं, न कि उत्पादन के कारकों की।
- उदाहरण के लिए, उत्पादन के कारकों के बाजार में, श्रम नहीं खरीदा या बेचा जा रहा है, बल्कि श्रम की सेवाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है। इसी तरह, भूमि, पूंजी और उद्यमी वस्तुओं का मूल्यांकन नहीं किया जा रहा है, बल्कि ऐसी भूमि, पूंजी और उद्यमी वस्तुओं की सेवाओं का मूल्यांकन किया जा रहा है।
- इस प्रकार, किराया भूमि की कीमत नहीं है, बल्कि सेवाओं या भूमि के उपयोग की कीमत है और मजदूरी श्रम की सेवा की कीमत है और ब्याज पूंजी के उपयोग की कीमत है, और लाभ उद्यमी की सेवाओं का पुरस्कार है
- अतः हम उपर्युक्त बिंदुओं से यह देख सकते हैं कि वितरण के सिद्धांत (या कारक मूल्य निर्धारण के सिद्धांत) की आवश्यकता उत्पाद मूल्य निर्धारण के सिद्धांत में कमियों के कारण उत्पन्न हुई।
वितरण के कारक (Factors Affecting Distribution):
आय और संपत्ति (Income and Wealth): आय और संपत्ति का वितरण समाज में विषमता पैदा कर सकता है।
श्रम और शिक्षा (Labor and Education): श्रमिकों की शिक्षा और कौशल का स्तर उनके वेतन और रोजगार के अवसरों को प्रभावित करता है।
सरकारी नीतियाँ (Government Policies): कर नीति, न्यूनतम वेतन कानून, और सामाजिक सुरक्षा जैसे सरकारी हस्तक्षेप वितरण को प्रभावित करते हैं।
वितरण की नीति (Policies of Distribution):
पुनर्वितरण नीतियाँ (Redistributive Policies): ऐसी नीतियाँ जो आय और धन को पुनर्वितरित करने में मदद करती हैं, जैसे प्रगतिशील कर प्रणाली, सामाजिक सुरक्षा, और कल्याणकारी योजनाएँ।
न्यूनतम वेतन कानून (Minimum Wage Laws): न्यूनतम वेतन निर्धारित करने के लिए कानून जो श्रमिकों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।
समान अवसर की नीतियाँ (Equal Opportunity Policies): सभी व्यक्तियों को समान अवसर प्रदान करने के लिए नीतियाँ, जैसे शिक्षा और रोजगार में समानता।
वितरण और बाजार संरचना (Distribution and Market Structure):
पूर्ण प्रतियोगिता (Perfect Competition): जहां कई छोटे उत्पादक और उपभोक्ता होते हैं और कोई भी व्यक्तिगत रूप से बाजार कीमत को नियंत्रित नहीं कर सकता।
एकाधिकार (Monopoly): जहां एक उत्पादक बाजार पर हावी होता है और कीमतें नियंत्रित करता है।
अपूर्ण प्रतियोगिता (Imperfect Competition): जहां कुछ उत्पादक बाजार पर नियंत्रण रखते हैं और कीमतों पर प्रभाव डालते हैं।
वितरण और सामाजिक कल्याण (Distribution and Social Welfare):
कल्याण अर्थशास्त्र (Welfare Economics): यह अध्ययन करता है कि संसाधनों का आवंटन और वितरण कैसे सामाजिक कल्याण को प्रभावित करता है।
समता और न्याय (Equity and Justice): समाज में संसाधनों और अवसरों का न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करना।
वितरण और आर्थिक विकास (Distribution and Economic Development):
गरीबी उन्मूलन (Poverty Alleviation): गरीबों की सहायता के लिए नीतियाँ और कार्यक्रम जो वितरण में सुधार करते हैं।
समावेशी विकास (Inclusive Growth): विकास प्रक्रिया में सभी वर्गों को शामिल करना ताकि वितरण में असमानता कम हो सके।
वितरण के उपकरण (Instruments of Distribution):
कराधान (Taxation): आय और संपत्ति का पुनर्वितरण करों के माध्यम से।
सब्सिडी (Subsidies): गरीब और वंचित वर्गों को सहायता प्रदान करना।
सरकारी खर्च (Government Expenditure): शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी ढाँचे पर खर्च जो वितरण को प्रभावित करते हैं।
निष्कर्ष:
वितरण अर्थशास्त्र का एक महत्वपूर्ण विषय है जो आर्थिक असमानता, गरीबी, और समग्र कल्याण जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों को प्रभावित करता है। विभिन्न सिद्धांतों और नीतियों का उपयोग करके वितरण को समझा और प्रभावित किया जा सकता है।
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