विनिवेश (Disinvestment)
विनिवेश का तात्पर्य सरकारी स्वामित्व वाली सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों (PSUs) में सरकार द्वारा अपनी हिस्सेदारी को आंशिक या पूर्ण रूप से बेचने से है। इसका मुख्य उद्देश्य सरकारी व्यय को कम करना, आर्थिक दक्षता को बढ़ाना, और संसाधनों का बेहतर उपयोग सुनिश्चित करना है।
विनिवेश के प्रकार
- पूर्ण विनिवेश (Complete Disinvestment):
- इसमें सरकार अपनी संपूर्ण हिस्सेदारी बेच देती है, जिससे PSU पूरी तरह से निजी क्षेत्र में चली जाती है।
- आंशिक विनिवेश (Partial Disinvestment):
- इसमें सरकार अपनी हिस्सेदारी का कुछ हिस्सा बेचती है, जबकि बाकी हिस्सेदारी अपने पास रखती है। इससे निजी क्षेत्र का नियंत्रण बढ़ता है, लेकिन सरकार का कुछ नियंत्रण बना रहता है।
- रणनीतिक विनिवेश (Strategic Disinvestment):
- इसमें सरकार अपनी हिस्सेदारी को निजी कंपनियों या अन्य सरकारी कंपनियों को बेचती है, जिनके पास प्रबंधन और संचालन की जिम्मेदारी होती है।
विनिवेश के माध्यम
- बिक्री (Sale):
- सरकार अपनी हिस्सेदारी को सीधे निजी कंपनियों, निवेशकों या अन्य सरकारी इकाइयों को बेचती है।
- प्रारंभिक सार्वजनिक प्रस्ताव (IPO – Initial Public Offering):
- सरकारी कंपनियों के शेयरों को सार्वजनिक रूप से बेचा जाता है, जिससे आम निवेशक भी इनमें निवेश कर सकते हैं।
- स्टॉक मार्केट में हिस्सेदारी बेचना (Selling Stake in Stock Market):
- सरकार स्टॉक मार्केट के माध्यम से अपनी हिस्सेदारी बेचती है, जिससे बाजार मूल्य के आधार पर हिस्सेदारी का मूल्यांकन होता है।
वर्तमान विदेशी नीति
- प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI – Foreign Direct Investment):
- FDI के तहत विदेशी कंपनियाँ भारत में प्रत्यक्ष रूप से निवेश करती हैं। वर्तमान में, भारत ने विभिन्न क्षेत्रों में FDI की सीमा बढ़ाई है, जिससे विदेशी निवेशकों को प्रोत्साहन मिलता है।
- FDI के प्रमुख क्षेत्र: विनिर्माण, सेवा क्षेत्र, इंफ्रास्ट्रक्चर, टेलीकॉम, रिटेल, और रक्षा उत्पादन।
- विदेशी संस्थागत निवेश (FII – Foreign Institutional Investment):
- FII के तहत विदेशी संस्थागत निवेशक भारतीय बाजारों में शेयर, बांड और अन्य वित्तीय साधनों में निवेश करते हैं।
- FII निवेश को भी सरकार ने प्रोत्साहित किया है और इसे आसान बनाने के लिए कई नीतिगत सुधार किए हैं।
- व्यापारिक प्रतिबंधों में छूट (Relaxation in Trade Restrictions):
- भारत ने विभिन्न व्यापारिक प्रतिबंधों में छूट दी है, जिससे व्यापार को बढ़ावा मिल सके और विदेशी निवेशकों का विश्वास बढ़े।
- व्यापारिक बाधाओं को कम करना, कस्टम्स प्रक्रियाओं को सरल बनाना, और व्यापार के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना।
विनिवेश से हुई प्राप्ति:
विनिवेश से सरकार को मिलने वाली राशि का उपयोग विभिन्न तरीकों से किया जाता है, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं:
- राजकोषीय घाटे को कम करना (Reducing Fiscal Deficit):
- विनिवेश से प्राप्त राशि का उपयोग राजकोषीय घाटे को कम करने के लिए किया जाता है। यह सरकार की वित्तीय स्थिति को सुधारने में मदद करता है।
- विकास परियोजनाओं में निवेश (Investing in Development Projects):
- प्राप्त राशि को विकास परियोजनाओं, जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर, शिक्षा, स्वास्थ्य, और अन्य सामाजिक कल्याण योजनाओं में निवेश किया जाता है।
- सरकारी योजनाओं का वित्तपोषण (Funding Government Schemes):
- विभिन्न सरकारी योजनाओं और कार्यक्रमों को वित्तपोषित करने के लिए विनिवेश से प्राप्त राशि का उपयोग किया जाता है।
विवाद
- संसाधनों का अनियंत्रित उपयोग: कुछ आलोचकों का मानना है कि विनिवेश से प्राप्त राशि का सही ढंग से उपयोग नहीं किया जाता और यह राशि अनियंत्रित तरीके से खर्च की जाती है।
- राष्ट्रीय संपत्ति की बिक्री: कुछ लोगों का तर्क है कि विनिवेश के माध्यम से राष्ट्रीय संपत्तियों को बेचा जा रहा है, जो देश की दीर्घकालिक हितों के विपरीत है।
- निजीकरण के नकारात्मक प्रभाव: विनिवेश के कारण कई बार निजीकरण से जुड़े नकारात्मक प्रभाव देखने को मिलते हैं, जैसे नौकरी की असुरक्षा, सामाजिक असमानता, और सेवाओं की गुणवत्ता में गिरावट।
Leave a Reply