कृषि उत्पादों की विकेंद्रीकृत खरीद योजना (Decentralized Procurement Scheme) भारत में किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य प्राप्त करने के लिए सरकार द्वारा शुरू की गई है। इस योजना के तहत, कृषि उत्पादों की खरीद स्थानीय स्तर पर होती है और इसकी व्यवस्था राज्य सरकारों द्वारा की जाती है। यह योजना किसानों को बाजार से बेहतर मूल्य प्राप्त करने में मदद करती है और उनकी आर्थिक स्थिति को सुधारती है।
मुख्य विशेषताएँ:
- स्थानीय खरीद केंद्र:
- योजना के अंतर्गत, राज्य सरकारें स्थानीय स्तर पर कृषि उत्पादों की खरीद करने के लिए खरीद केंद्र स्थापित करती हैं।
- ये केंद्र किसानों से सीधे उत्पादों की खरीद करते हैं और उन्हें उचित मूल्य देते हैं।
- उचित मूल्य निर्धारण:
- कृषि उत्पादों की मांग-पुर्ति के आधार पर, स्थानीय सरकारें उत्पादों के उचित मूल्य को निर्धारित करती हैं।
- यह मूल्य किसानों को उनकी उपज के आधार पर सीधे भुगतान के रूप में पहुँचता है।
- लाभार्थी किसान:
- यह योजना विशेष रूप से छोटे और सीमांत किसानों को लाभ पहुँचाती है, जो बड़े मंडी क्षेत्रों तक अपनी उपज नहीं पहुँचा सकते हैं।
- इससे किसानों को बाजार की अस्थिरता से बचाया जाता है और उन्हें स्थानीय बाजार में मानक मूल्य मिलता है।
योजना के लाभ:
- किसानों को मिलने वाला लाभ: यह योजना किसानों को उचित मूल्य प्राप्त करने में सहायक होती है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करती है।
- खाद्य सुरक्षा की सुनिश्चितता: इस योजना के माध्यम से उत्पादकों से किए गए खरीदों से बफर स्टॉक बनाया जा सकता है, जिससे खाद्य सुरक्षा की स्थिति में सुधार होता है।
- स्थानीय बाजार को विकास: यह योजना स्थानीय बाजारों को प्रोत्साहित करती है और कृषि उत्पादकों को विकेंद्रीकृत बाजार तक पहुँच प्राप्त करने में मदद करती है।
इस योजना के तहत, कृषि उत्पादों की खरीद सरकार द्वारा निर्धारित मूल्य पर होती है, जिससे किसानों को बाजार से बेहतर मूल्य मिलता है और उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। यह योजना खासकर खाद्य सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, क्योंकि इसके माध्यम से सरकार बफर स्टॉक बना सकती है, जो खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में मदद करता है।
इस प्रकार, विकेंद्रीकृत खरीद योजना भारतीय किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार और खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देती है।
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