भारत में बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए कई सुधार और नीतियाँ अपनाई गई हैं। इस प्रस्तुतिकरण में हम विभिन्न बैंकों, नीतियों, और वित्तीय उपकरणों की जानकारी प्राप्त करेंगे।
गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनी (Non-Banking Financial Companies)
टर्म-लेटर रिडेम्पशन (Term letter redemption)
मौद्रिक एवं साख नीति (Monetary and Fiscal policy)
नकद आरक्षण अनुपात (CRR)/सांविधिक तरलता अनुपात (SLR)
बैंक दर, रेपो दर और प्रतिवर्ती रेपो दर (Bank Rate, Repo Rate & Reverse Repo Rate)
मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी (Marginal Standing Facility)
एम सी एल आर (Marginal Cost of Funds based Lending Rate)
संशोधित एल एम आर (Liquidity Management Framework)
भारत में बैंकिंग का राष्ट्रीयकरण एवं विकास – Nationalization & development of banking in Ind.
वित्तीय क्षेत्र में सुधार
1991 के बाद से, भारत में वित्तीय क्षेत्र में कई सुधार किए गए हैं, जिनमें निजीकरण, उदारीकरण, और विनियमन शामिल हैं।
सीआरएपीएस की सिफारिशें
सीआरएपीएस (Committee on the Financial System) ने भारतीय वित्तीय प्रणाली में सुधार के लिए कई सिफारिशें दी हैं।
बैंकिंग क्षेत्र में सुधार
निजीकरण, बैंकों का विलय, और तकनीकी उन्नयन जैसे सुधार भारतीय बैंकिंग प्रणाली को मजबूत बनाने के लिए किए गए हैं।
डीआरआई (Differential Rate of Interest)
यह एक योजना है जिसमें कमजोर वर्ग के लोगों को रियायती दर पर ऋण प्रदान किया जाता है।
प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण
आरबीआई ने बैंकों को कृषि, लघु उद्योग, और अन्य प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को ऋण देने के निर्देश दिए हैं।
गैर-लाभकारी एवं दबाव परिसंपत्तियाँ (NPA)
एनपीए ऐसे ऋण हैं जिनकी पुनर्भुगतान अवधि बीत चुकी है और बैंक को उनसे कोई लाभ नहीं हो रहा है।
हाल की वृद्धि
हाल के वर्षों में, भारतीय बैंकिंग प्रणाली में डिजिटल बैंकिंग, मोबाइल बैंकिंग, और ऑनलाइन सेवाओं का विस्तार हुआ है।
एनपीए के समाधान
एनपीए के समाधान के लिए, आरबीआई और सरकार ने कई उपाय किए हैं, जैसे कि संपत्ति पुनर्निर्माण कंपनियाँ (ARCs) और दिवालियापन कानून।
सार्वजनिक क्षेत्र की परिसंपत्ति पुनर्निर्माण संस्था
यह संस्थाएँ बैंकों के एनपीए को खरीदकर उनका पुनर्गठन करती हैं।
दिवालियापन एवं अक्षमता
2016 में, भारतीय दिवालियापन और शोधन अक्षमता संहिता (IBC) को लागू किया गया था।
एसएआरएपीएसई अधिनियम, 2002
यह अधिनियम बैंकों को उनके बकाया ऋण की वसूली में मदद करता है।
दुराचारी चूककर्ता
यह ऐसे उधारकर्ता होते हैं जो जानबूझकर ऋण नहीं चुकाते हैं।
पूंजी पर्याप्तता अनुपात (CAR)
यह अनुपात बैंकों की वित्तीय स्थिरता को मापता है।
सीएआर बनाए रखना क्यों जरूरी है?
सीएआर बनाए रखने से बैंक आर्थिक संकट का सामना कर सकते हैं और अपने ऋण दायित्वों को पूरा कर सकते हैं।
बेसल समझौता
बेसल समझौता बैंकों के लिए अंतर्राष्ट्रीय मानक तय करता है जिससे बैंकों की वित्तीय स्थिरता सुनिश्चित होती है।
बेसल-III के प्रावधान
बेसल-III में बैंकों की पूंजी की गुणवत्ता और मात्रा को सुधारने के प्रावधान हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक द्वारा बेसल-III का अनुपालन
सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक बेसल-III के मानकों का अनुपालन कर रहे हैं।
मुद्रा का स्टॉक
मुद्रा का स्टॉक अर्थव्यवस्था में उपलब्ध कुल मुद्रा को दर्शाता है।
मुद्रा की तरलता
मुद्रा की तरलता से तात्पर्य मुद्रा के उपयोग में आसानी और उपलब्धता से है।
संकीर्ण मुद्रा
संकीर्ण मुद्रा में सिर्फ मुद्रा और मांग जमा शामिल होते हैं।
विस्तृत मुद्रा
विस्तृत मुद्रा में संकीर्ण मुद्रा के साथ-साथ समय जमा भी शामिल होते हैं।
मुद्रा की आपूर्ति
मुद्रा की आपूर्ति अर्थव्यवस्था में उपलब्ध कुल मुद्रा की मात्रा है।
उच्च शक्ति वाला धन
यह केंद्रीय बैंक द्वारा जारी की गई मुद्रा है।
न्यूनतम संचय
यह वह न्यूनतम मात्रा है जिसे बैंक को अपने पास रखना होता है।
आरक्षित धन
यह केंद्रीय बैंक द्वारा नियंत्रित धन है।
मुद्रा गुणक
यह एक गुणक है जो मुद्रा आपूर्ति में परिवर्तन का माप करता है।
साख सलाह
साख सलाह एक वित्तीय प्रक्रिया है जिसमें ऋण की गुणवत्ता का मूल्यांकन किया जाता है।
साख मूल्यांकन
यह एक प्रक्रिया है जिसमें किसी व्यक्ति या संगठन की ऋण अदायगी क्षमता का मूल्यांकन किया जाता है।
अनिवासी भारतीय जमा
यह ऐसे खाते हैं जो अनिवासी भारतीयों द्वारा भारतीय बैंकों में जमा किए जाते हैं।
नए बैंक को लाइसेंस देने संबंधी दिशा-निर्देश
आरबीआई ने नए बैंकों को लाइसेंस देने के लिए दिशा-निर्देश जारी किए हैं।
एटीएम का वर्गीकरण
एटीएम को ऑन-साइट और ऑफ-साइट के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है।
नॉन-ऑपरेटिव फाइनेंशियल होल्डिंग कंपनी (एनओएफएचसी)
यह एक होल्डिंग कंपनी है जो बैंकिंग और अन्य वित्तीय सेवाएँ प्रदान करती है।
निधि
निधि एक प्रकार की गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्था है जो अपने सदस्यों से जमा स्वीकार करती है और उन्हें ऋण देती है।
चिट फंड
चिट फंड एक प्रकार की निवेश योजना है जिसमें सदस्य नियमित रूप से पैसा जमा करते हैं और किसी एक सदस्य को लॉटरी के माध्यम से पैसा मिलता है।
लघु एवं भुगतान बैंक
लघु बैंक और भुगतान बैंक छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों और व्यक्तियों को बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं।
लघु बैंक
लघु बैंक छोटे और मध्यम आकार के व्यवसायों और ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाएँ प्रदान करते हैं।
भुगतान बैंक
भुगतान बैंक छोटे जमा स्वीकार करते हैं और पैसे के हस्तांतरण की सुविधा प्रदान करते हैं।
वित्तीय समावेशन
वित्तीय समावेशन का उद्देश्य सभी लोगों को बैंकिंग और वित्तीय सेवाओं का लाभ प्रदान करना है।
प्रधानमंत्री जनधन योजना
यह योजना सभी भारतीय नागरिकों को बैंक खाता, बीमा, और पेंशन सेवाएँ प्रदान करने के लिए शुरू की गई है।
बैंकों का परिसंपत्ति-दायित्व प्रबंधन
यह बैंकों द्वारा अपनी परिसंपत्तियों और दायित्वों का प्रबंधन करने की प्रक्रिया है।
स्वर्ण निवेश की योजनाएं
इन योजनाओं के माध्यम से लोग सोने में निवेश कर सकते हैं और सोने के मूल्य में वृद्धि का लाभ उठा सकते हैं।
संप्रभु स्वर्ण बॉन्ड
यह सरकारी बॉन्ड हैं जो सोने के मूल्य से जुड़े होते हैं।
गोल्ड मॉनेटाइजेशन स्कीम
इस योजना का उद्देश्य घरेलू सोने को बैंकिंग प्रणाली में लाना है।
मुद्रा बैंक
यह एक बैंक है जो मुद्रा (ऋण) प्रदान करता है, विशेष रूप से छोटे व्यवसायों को।
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