कृषि विपणन एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया है जिसमें किसानों द्वारा उत्पादित फसलों को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने की क्रिया शामिल होती है। इस प्रक्रिया में कई चरण होते हैं जो उत्पादक से उपभोक्ता तक के बीच संवाहिका रूप से सम्पन्न होते हैं। इसमें निम्नलिखित प्रमुख पहलुओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है:
- उत्पादन: कृषि विपणन की प्रारंभिक स्टेप है उत्पादन, जिसमें किसान अपनी फसलों की खेती करते हैं। यह समय-समय पर प्रबंधित और उत्पादित किया जाता है ताकि वह बाजार में बेचा जा सके।
- संग्रहण और भंडारण: फसलों को संग्रहित करने और उन्हें सही रूप में भंडारित करने के लिए विभिन्न भंडारण सुविधाएँ उपलब्ध होती हैं। यह सुनिश्चित करता है कि फसलें बाजार में उपलब्ध रहें और मूल्य उत्तम हो।
- परिवहन: उत्पादन के बाद, फसलें उनके उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए उन्हें विभिन्न परिवहन साधनों द्वारा ट्रांसपोर्ट किया जाता है। यह सुनिश्चित करता है कि फसलें समय पर और अच्छी स्थिति में उपभोक्ताओं तक पहुंचे।
- विपणन और विपणन: फसलों की विपणन प्रक्रिया शामिल होती है, जिसमें उन्हें अंतिम उपभोक्ताओं तक पहुंचाने के लिए विभिन्न बाजारी प्रणालियों और विपणन कार्यक्रमों का उपयोग किया जाता है।
- बिक्री और वितरण: फसलों की बिक्री और वितरण कार्यक्रम उपभोक्ताओं के साथ सीधे संबंध बनाते हैं, जिससे वे उत्पादों को खरीद सकें। यहाँ विभिन्न विपणन संगठनों, खुदरा व्यापारियों और सरकारी योजनाओं का महत्वपूर्ण योगदान होता है।
ए पी एम सी (कृषि उत्पाद बाजार समिति) अधिनियम
भारत सरकार द्वारा बनाया गया एक फ्रेमवर्क है जो कृषि बाजारों को विनियमित करने और किसानों को उनकी उत्पादों के लिए उचित मूल्य प्राप्त करने में मदद करता है। यहां मॉडल एपीएमसी अधिनियम के कुछ महत्वपूर्ण पहलुओं का वर्णन है:
- बाजार विनियमन: यह अधिनियम राज्य स्तर पर कृषि उत्पाद बाजार समितियों (एपीएमसी) की स्थापना करता है जो कृषि बाजारों के कार्यक्षेत्र को प्रबंधित करती हैं। ये समितियाँ कृषि उत्पादों की खरीद-बिक्री को विनियमित करती हैं ताकि न्यायसंगत व्यापार प्रथाओं की सुनिश्चितता हो।
- बाजार शुल्क: एपीएमसी लेवी को लेती हैं जो उनके क्षेत्र में होने वाली लेन-देनों पर लगती है। इस शुल्क का उपयोग बाजार के बुनियादी संरचना, सुविधाओं और कृषकों और व्यापारियों के लिए सेवाओं को बनाए रखने में किया जाता है।
- बाजार यार्ड: इस अधिनियम के अनुसार मार्केट यार्ड या मंडियों की स्थापना की जाती है जहां किसान अपने उत्पादों को बेचने के लिए लाते हैं। इन मार्केट यार्ड्स में तराजू, ग्रेडिंग और नीलामी की सुविधाएं होती हैं।
- व्यापारियों के लाइसेंस: ट्रेडर, कमीशन एजेंट्स और अन्य बाजार संबंधित भागीदारों को एपीएमसी प्राधिकरणों से लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य होता है ताकि व्यापार की गतिविधियों को नियंत्रित और मॉनिटर किया जा सके।
- मूल्य खोज: एपीएमसी न्यायसंगत नीलामी प्रक्रियाओं के माध्यम से मूल्य खोज को सुनिश्चित करती है। इससे सुनिश्चित होता है कि किसानों को उनके उत्पादों के लिए बाजार में न्यायसंगत मूल्य मिलता है जो बाजार की मांग और आपूर्ति की गतिविधियों पर आधारित होता है।
- विवाद सुलझाव: अधिनियम में विवाद सुलझाव के मेकेनिज्म प्रदान किए गए हैं जो एपीएमसी बाजारों में होने वाली लेन-देन से संबंधित विवादों को हल करने में मदद करते हैं। इसमें किसान, व्यापारी और अन्य हिस्सेदारों के बीच संघर्षों को सुलझाने के लिए विवाद-सुलझाव और शिकायत निवारण प्रक्रियाएँ शामिल होती हैं।
- ई-बाजारों के साथ एकीकरण: हाल ही में, विभिन्न राज्यों में एपीएमसी अधिनियमों में संशोधन करने के प्रयास किए गए हैं जिनका उद्देश्य एपीएमसी बाजारों को इलेक्ट्रॉनिक ट्रेडिंग प्लेटफ़ॉर्म्स (ई-बाजार) से एकीकृत करना है। यह कृषि उत्पादों की ऑनलाइन व्यापार को बढ़ाने से बाजार के कार्यक्षेत्र की जानकारीयता और कार्यक्षमता में सुधार करता है।
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