भारत सरकार ने 2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने का एक महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है।
यह पहल कृषि क्षेत्र को बदलने और देश को खाद्य सुरक्षा और टिकाऊ विकास में वैश्विक नेता बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
हालांकि, इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
चुनौतियाँ:
- कम उत्पादकता: भारत की कृषि उत्पादकता कई विकसित देशों की तुलना में कम है।
- अप्रत्याशित मौसम: सूखा, बाढ़ और अनियमित वर्षा जैसी चरम मौसम की घटनाएं फसल उत्पादन को बाधित करती हैं।
- कमजोर बुनियादी ढांचा: अपर्याप्त भंडारण, परिवहन और सिंचाई सुविधाएं किसानों को अपनी उपज को बाजार तक पहुंचाने और अच्छे मूल्य प्राप्त करने में कठिनाई पैदा करती हैं।
- ऋण तक पहुंच की कमी: कई किसानों को अपनी कृषि गतिविधियों के लिए ऋण प्राप्त करने में कठिनाई होती है, जिससे उन्हें नई तकनीकों और प्रथाओं को अपनाने में बाधा होती है।
- बाजार तक पहुंच की कमी: कई छोटे और सीमांत किसानों को अपनी उपज को बेहतर कीमतों पर बेचने के लिए बाजार तक पहुंचने में कठिनाई होती है।
अवसर:
इन चुनौतियों के बावजूद, कृषि आय दोगुनी करने के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए कई अवसर भी हैं।
- प्रौद्योगिकी का उपयोग: बेहतर बीज, उर्वरक, सिंचाई प्रणालियों और कृषि मशीनरी के उपयोग के माध्यम से कृषि उत्पादकता में वृद्धि।
- मूल्य वर्धन: किसानों को अपनी उपज को अधिक मूल्यवान उत्पादों में संसाधित करने में मदद करना, जैसे कि डेयरी उत्पाद, मांस और फल और सब्जियां।
- बाजार तक पहुंच में सुधार: बेहतर बुनियादी ढांचे और नीतिगत सुधारों के माध्यम से किसानों को बाजार तक पहुंच प्रदान करना।
- कृषि-व्यवसायों को बढ़ावा देना: किसानों को गैर-कृषि गतिविधियों, जैसे कि मछली पालन, मुर्गी पालन और मधुमक्खी पालन में संलग्न होने के लिए प्रोत्साहित करना।
- कृषि ऋण में सुधार: किसानों को सस्ती और आसानी से उपलब्ध ऋण तक पहुंच प्रदान करना।
- जलवायु-स्मार्ट कृषि: जलवायु परिवर्तन के अनुकूल कृषि प्रथाओं को अपनाकर जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को कम करना।
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