14वें वित्त आयोग (Fourteenth Finance Commission) का गठन भारत सरकार ने 2013 में किया था, और इसका कार्यकाल 1 जनवरी 2015 से 31 मार्च 2020 तक रहा। इस आयोग का अध्यक्ष डॉ. वाई. वी. रेड्डी थे, जो भारतीय रिजर्व बैंक के पूर्व गवर्नर भी रह चुके हैं।
अवधारणाएं (Concepts)
- वित्तीय संघवाद (Fiscal Federalism):
- केंद्र और राज्य सरकारों के बीच वित्तीय शक्तियों और जिम्मेदारियों का विभाजन।
- संसाधनों का न्यायसंगत और कुशल वितरण सुनिश्चित करना ताकि राज्यों को उनके विकास की आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त धन मिल सके।
- राजस्व वितरण (Revenue Sharing):
- केंद्रीय करों और कर्तव्यों का एक हिस्सा राज्यों को वितरित करना।
- 14वें वित्त आयोग ने केंद्रीय करों का 42% हिस्सा राज्यों को आवंटित करने की सिफारिश की।
- राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (Fiscal Responsibility and Budget Management, FRBM):
- सरकारी वित्तीय प्रबंधन को सुधारने और बजट घाटे को नियंत्रित करने के लिए नियम और कानून।
- राज्यों और केंद्र सरकार के लिए राजकोषीय अनुशासन को प्रोत्साहित करना।
- स्थानीय निकायों के लिए वित्त पोषण (Financing of Local Bodies):
- ग्राम पंचायतों और नगर पालिकाओं जैसे स्थानीय निकायों को वित्तीय सहायता प्रदान करना।
- स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों के लिए आवश्यक धनराशि सुनिश्चित करना।
- आपदा राहत कोष (Disaster Relief Fund):
- राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर आपदा प्रबंधन और राहत कार्यों के लिए वित्तीय संसाधनों का प्रावधान।
- आपदा के समय त्वरित और प्रभावी प्रतिक्रिया सुनिश्चित करना।
परिभाषाएं (Definitions)
- वित्त आयोग (Finance Commission):
- एक संवैधानिक संस्था जो केंद्र और राज्य सरकारों के बीच राजस्व के वितरण के संबंध में सिफारिशें करती है।
- भारतीय संविधान के अनुच्छेद 280 के तहत गठित।
- साझा कर (Divisible Pool of Taxes):
- केंद्रीय करों का वह हिस्सा जो राज्यों के साथ साझा किया जाता है।
- इसमें आय कर, कंपनी कर, केंद्रीय वस्त्र एवं सेवाकर (GST) आदि शामिल हैं।
- अनुदान (Grants-in-aid):
- केंद्र सरकार द्वारा राज्यों को विशेष आवश्यकताओं और परियोजनाओं के लिए प्रदान की जाने वाली वित्तीय सहायता।
- यह सहायता राजस्व घाटे को पूरा करने या विशिष्ट कार्यक्रमों के लिए हो सकती है।
- वित्तीय विकेंद्रीकरण (Fiscal Decentralization):
- वित्तीय निर्णय लेने और संसाधनों के प्रबंधन की जिम्मेदारी को केंद्रीय स्तर से राज्य और स्थानीय स्तर पर स्थानांतरित करना।
- स्थानीय निकायों और राज्य सरकारों की स्वायत्तता को बढ़ावा देना।
- राजस्व घाटा (Revenue Deficit):
- सरकारी राजस्व (आय) और व्यय के बीच का अंतर।
- जब सरकार का व्यय उसकी आय से अधिक होता है, तो इसे राजस्व घाटा कहते हैं।
14वें वित्त आयोग की विशेषताएं
- 14वें वित्त आयोग ने राज्यों और केंद्र के बीच वित्तीय संसाधनों के बंटवारे को अधिक न्यायसंगत बनाने पर जोर दिया।
- आयोग ने विकास और राजस्व संग्रहण के लिए राज्यों की क्षमता को ध्यान में रखते हुए सिफारिशें कीं ताकि सभी राज्यों को समुचित वित्तीय संसाधन मिल सकें और वे अपने विकास कार्यों को सुचारू रूप से चला सकें।
14वें वित्त आयोग की प्रमुख सिफारिशें:
- राज्यों को राजस्व वितरण: केंद्रीय करों के कुल राजस्व का 42% हिस्सा राज्यों को आवंटित करने की सिफारिश की गई, जो पहले के 32% से अधिक था। इसका उद्देश्य राज्यों की वित्तीय स्थिति को मजबूत करना और उनके विकास को बढ़ावा देना था।
- स्थानीय निकायों के लिए वित्त पोषण: स्थानीय निकायों (पंचायती राज संस्थानों और शहरी स्थानीय निकायों) के लिए अधिक वित्तीय संसाधन प्रदान करने की सिफारिश की गई। इसमें राज्यों के बीच वितरित किए गए धन का 30% हिस्सा ग्रामीण क्षेत्रों और 20% शहरी क्षेत्रों के लिए रखा गया।
- आपदा राहत कोष: राष्ट्रीय आपदा राहत कोष और राज्य आपदा राहत कोष के लिए केंद्र और राज्य सरकारों के योगदान को पुनःनिर्धारित किया गया।
- विभिन्न विशेष श्रेणी राज्यों को विशेष सहायता: विशेष श्रेणी के राज्यों को विशेष वित्तीय सहायता प्रदान करने की सिफारिश की गई, जिसमें पूर्वोत्तर और हिमालयी राज्य शामिल थे।
- अन्य सिफारिशें:
- राज्यों के राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (FRBM) अधिनियम को मजबूत करना।
- राज्यों को अपने सार्वजनिक व्यय के लिए सुधारात्मक कदम उठाने के लिए प्रोत्साहित करना।
- राज्यों को वित्तीय प्रबंधन और संसाधनों के समुचित उपयोग के लिए प्रशिक्षण और सहायता प्रदान करना।
14वें वित्त आयोग के उद्देश्य:
14वें वित्त आयोग का मुख्य उद्देश्य राज्यों और केंद्र सरकार के बीच वित्तीय संसाधनों का उचित वितरण सुनिश्चित करना था ताकि सभी राज्यों को उनके विकास और आवश्यकताओं के अनुसार पर्याप्त संसाधन मिल सकें। इससे राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता और जवाबदेही को बढ़ावा मिला।
Leave a Reply