कैबिनेट मिशन के कार्य :-
- कैबिनेट मिशन भारत में संविधान तैयार करने के तरीके पर चर्चा करने आया था।
- इसका उद्देश्य था कि ब्रिटिश भारत के निर्वाचित प्रतिनिधियों और देशी रियासतों के साथ बातचीत करके एक ऐसा आम समझौता किया जाए, जिससे एक निर्विवाद संविधान सभा का गठन हो सके।
- मिशन का लक्ष्य था एक ऐसी कार्यकारिणी परिषद का गठन करना, जिसे भारत के प्रमुख दलों का समर्थन प्राप्त हो।
- कुल मिलाकर, कैबिनेट मिशन का मकसद था भारत को शांतिपूर्ण तरीके से सत्ता हस्तांतरित करने का रास्ता खोजना और संविधान तैयार करने पर सर्वसम्मति स्थापित करना।
शिमला में त्रिदलीय सम्मेलन :-
- 1946 में कैबिनेट मिशन ने शिमला में एक त्रिदलीय सम्मेलन बुलाया, जिसमें तीन दल शामिल थे: भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस, मुस्लिम लीग, और ब्रिटिश सरकार।
- भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से जवाहरलाल नेहरू, सरदार पटेल, और मौलाना अबुल कलाम आजाद शामिल हुए थे। मुस्लिम लीग की ओर से मोहम्मद अली जिन्ना, लियाकत अली खान, और नवाब इस्माइल खान थे। ब्रिटिश सरकार की ओर से वायसराय और मिशन के तीन सदस्य शामिल हुए थे।
- यह सम्मेलन 5 मई 1946 से 11 मई 1946 तक चला। मुस्लिम लीग की अड़ियल स्थिति के कारण कोई समझौता नहीं हो सका। मुस्लिम लीग लगातार पाकिस्तान की मांग पर अड़ी रही।
- शिमला सम्मेलन में मुस्लिम लीग की पाकिस्तान की मांग को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और ब्रिटिश सदस्य दोनों ने स्वीकार नहीं किया। इसके बावजूद, 16 मई 1946 को मिशन ने अपने प्रस्तावों की घोषणा की।
कैबिनेट मिशन द्वारा घोषित प्रमुख प्रस्ताव :-
- भारत एक संघ होगा और इसमें ब्रिटिश भारत के प्रांत तथा देशी राज्य, दोनों ही शामिल होंगे।
- इस संघ के अंतर्गत विदेशी मामले, रक्षा संबंधी मामले और संचार संबंधी मामले केंद्र सरकार के पास होंगे।
- संघीय विषयों को छोड़कर अन्य सभी विषय तथा अवशिष्ट शक्तियाँ प्रांतों में निहित होंगी।
- प्रत्येक प्रांत की अपनी अलग कार्यपालिका और विधायिका होगी तथा उसे अपने संबंध में निर्णय करने का अधिकार होगा।
- केंद्रीय विधायिका में यदि सांप्रदायिक प्रश्नों पर निर्णय करने की बात आएगी, तो उपस्थित और मत देने वाले सदस्यों के सामान्य बहुमत के आधार पर निर्णय किया जाएगा।
- प्रत्येक प्रांत को यह अधिकार होगा कि वह संविधान लागू होने के 10 वर्षों के बाद अपनी विधानसभा में बहुमत के द्वारा प्रस्ताव पारित करके संविधान पर पुनर्विचार करवा सकेगा।
- इसके अंतर्गत भारत में प्रांतों का विभाजन तीन समूहों में किया गया था, ये थे- समूह ‘क’; समूह ‘ख’; और समूह ‘ग’।
- समूह ‘क’ के अंतर्गत बिहार, संयुक्त प्रांत, मध्य प्रांत, उड़ीसा, बंबई और मद्रास जैसे हिंदू बहुसंख्यक प्रांत शामिल किए गए थे।
- समूह ‘ख’ के अंतर्गत पंजाब, सिंध और उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रांत जैसे मुस्लिम बहुल प्रांत शामिल किए गए थे।
- समूह ‘ग’ के अंतर्गत बंगाल और असम नामक मुस्लिम बहुसंख्यक प्रांत शामिल थे।
- एक संविधान निर्मात्री सभा के गठन का प्रस्ताव भी कैबिनेट मिशन के अंतर्गत रखा गया था।
- यह सभा अंशतः अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित सदस्यों के द्वारा और अंशतः मनोनीत सदस्यों के द्वारा निर्मित की जानी थी।
- इसमें ब्रिटिश प्रांतों के प्रतिनिधि प्रांतीय विधानसभाओं के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से निर्वाचित किए जाने तथा देशी रियासतों द्वारा अपने प्रतिनिधि मनोनीत किए जाने का प्रावधान किया गया था।
- इसके अंतर्गत यह कहा गया था कि प्रत्येक प्रांत को उसकी जनसंख्या के अनुपात में संविधान सभा में प्रतिनिधि भेजने होंगे।
- संविधान सभा में प्रति 10 लाख की जनसंख्या पर एक प्रतिनिधि भेजा जाएगा।
- यह निर्धारित किया गया किस संविधान सभा में कुल 389 सदस्य होंगे जिनमें से 292 सदस्य ब्रिटिश भारतीय प्रांतों से निर्वाचित होंगे, चार सदस्य मुख्य आयुक्तों के प्रांत से आएँगे और शेष 93 सदस्य देशी रियासतों द्वारा मनोनीत किये जाएँगे।
- कैबिनेट मिशन के माध्यम से मुस्लिम लीग की पृथक पाकिस्तान की माँग को अस्वीकार कर दिया गया था क्योंकि इसके माध्यम से सांप्रदायिक अल्पसंख्यकों की समस्या का समाधान करना संभव नहीं था।
- कैबिनेट मिशन के अनुसार, यदि भारत का विभाजन करके पाकिस्तान बना दिया जाता है, तो भी एक बड़ी गैर मुस्लिम जनसंख्या पाकिस्तान में रह जाएगी और एक बड़ी मुस्लिम आबादी भारत में रह जाएगी। अतः समस्या जस की तस बनी रहेगी।
कैबिनेट मिशन योजना के परिणाम :-
- जुलाई 1946 में संविधान सभा के गठन के लिए प्रांतीय विधान मंडलों में चुनाव हुआ।
- इस चुनाव में कांग्रेस को ब्रिटिश भारत के प्रांतों में 296 में से 208 सीटें मिलीं।
- कांग्रेस की इस बड़ी जीत को मुस्लिम लीग ने स्वीकार नहीं किया।
- इसके बाद, वायसराय ने एक अंतरिम सरकार बनाने का प्रस्ताव रखा।
- इसमें कुल 14 सदस्य होंगे: 6 भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से, 5 मुस्लिम लीग से, और 3 अन्य अल्पसंख्यकों की ओर से।
- 12 अगस्त, 1946 को वायसराय ने जवाहरलाल नेहरू को अंतरिम सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया।
- इसके विरोध में, मुस्लिम लीग ने 16 अगस्त, 1946 को ‘प्रत्यक्ष कार्यवाही दिवस’ मनाने की घोषणा की।
- इस दिन पूरे भारत में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे हुए और कई लोग मारे गए।
- मौलाना अबुल कलाम आजाद ने 16 अगस्त को ‘भारतीय इतिहास का काला दिवस’ कहा।
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