प्रायद्वीपीय भारत की पश्चिमी और पूर्वी घाट भारतीय उपमहाद्वीप की प्रमुख पर्वत श्रृंखलाएँ हैं। ये दोनों घाट भारतीय भूगोल और जलवायु पर महत्वपूर्ण प्रभाव डालते हैं। नीचे इन दोनों घाटों के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई है:
पश्चिमी घाट (Western Ghats)
पश्चिमी घाट पश्चिमी घाट को निम्नलिखित नामों से जाना जाता है:
➢ महाराष्ट्र और कर्नाटका में इसे सह्याद्री कहा जाता है।
➢ केरल और तमिलनाडु में इसे नीलगिरी पहाड़ियाँ कहा जाता है।
➢ केरल में इसे इलायची पहाड़ियाँ कहा जाता है।
➢ केरल में इसे आनामलाई पहाड़ियाँ कहा जाता है।
आनाइमुदी (2,695 मीटर) पश्चिमी घाट और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की सबसे ऊँची चोटी है।
आनाइमुदी तीन पहाड़ियों का संगम है: उत्तर में आनामलाई (केरल), उत्तर-पूर्व में पालनी (तमिलनाडु), दक्षिण में इलायची पहाड़ियाँ (केरल)।
दोदाबेट्टा (2,637 मीटर) पश्चिमी घाट और पूरे भारतीय उपमहाद्वीप की दूसरी सबसे ऊँची चोटी है।
नीलगिरी पहाड़ियाँ पश्चिमी घाट और पूर्वी घाट के मिलन स्थल के रूप में मानी जाती हैं।
नीलगिरी पहाड़ियाँ नील पर्वत के नाम से भी जानी जाती हैं। यहाँ नीलगिरी जैवमंडल आरक्षित क्षेत्र स्थित है।
पश्चिमी घाट को यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर स्थल के रूप में घोषित किया गया है।
ठल घाट और भोर घाट सह्याद्री पर्वतमाला में महत्वपूर्ण दर्रें हैं, जो पश्चिम में कोकण मैदान और पूर्व में दक्कन पठार के बीच सड़क और रेल मार्ग प्रदान करते हैं।
ठल घाट (कसारा घाट) मुंबई को नासिक से जोड़ता है और भोर घाट मुंबई को पुणे से जोड़ता है।
पश्चिमी घाट का दक्षिणी भाग मुख्य सह्याद्री पर्वत श्रेणी से पाल घाट अंतराल द्वारा पृथक है, जो इस पर्वत श्रृंखला की निरंतरता में अचानक ब्रेक प्रदान करता है।
पाल घाट अंतराल (पालक्कड़ अंतराल) कोच्चि को कोयंबटूर से जोड़ता है। तट रेखाएँ: कोकण तट – महाराष्ट्र और गोवा का तट। कनारा तट – कर्नाटका का तट। मालाबार तट – केरल और कर्नाटका का तट। पश्चिमी घाट से निकलने वाली प्रमुख नदी प्रणालियाँ में गोदावरी, कावेरी, कृष्णा और तुंगभद्रा शामिल हैं।
1. स्थान और भूगोल
- पश्चिमी घाट, जिसे “सह्याद्रि” भी कहा जाता है, भारतीय उपमहाद्वीप के पश्चिमी भाग में स्थित है।
- यह घाट महाराष्ट्र, गोवा, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु राज्यों से होकर गुजरता है।
- इसकी लंबाई लगभग 1,600 किलोमीटर है और औसत ऊँचाई 1,200 से 1,500 मीटर के बीच है।
2. भूगर्भीय संरचना
- पश्चिमी घाट मुख्यतः बेसाल्टिक चट्टानों से बना है, जो कई ज्वालामुखीय गतिविधियों के परिणामस्वरूप उत्पन्न हुई हैं।
- ये चट्टानें क्रीटेशियस काल की हैं और इनका निर्माण लगभग 150 मिलियन वर्ष पहले हुआ था।
3. जलवायु
- पश्चिमी घाट में मानसून का प्रभाव बहुत अधिक है, जिससे यहाँ वर्षा की मात्रा 2,000 से 4,000 मिमी तक होती है।
- यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय होती है, जिससे घने वर्षा वन पनपते हैं।
4. जैव विविधता
- यह क्षेत्र जैव विविधता के लिए विश्व धरोहर स्थल के रूप में मान्यता प्राप्त है।
- यहाँ कई अद्वितीय वन्यजीवों और वनस्पतियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं, जैसे कि बाघ, हाथी, और कई प्रकार के पक्षी।
5. आर्थिक महत्व
- पश्चिमी घाट क्षेत्र चाय, कॉफी, मसाले, और फल उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है।
- यहाँ कई जलप्रपात, पर्यटन स्थल, और राष्ट्रीय उद्यान हैं, जैसे कि एराविकुलम नेशनल पार्क।
पूर्वी घाट (Eastern Ghats)
पश्चिमी घाट की निरंतर ऊँचाई के विपरीत, पूर्वी घाट एक टूटी-फूटी और बिखरी हुई पहाड़ियों की शृंखला है, जो ओडिशा में महानदी से लेकर तमिलनाडु में वैगई तक फैली हुई है।
इन बिखरी हुई पहाड़ियों को निम्नलिखित नामों से जाना जाता है:
➢ आंध्र प्रदेश में नल्लामलई और पालकोंडा।
➢ तमिलनाडु में जवाड़ी और शावरॉय।
अरमा कोंडा(1680 मीटर) पूर्वी घाट की सबसे ऊँची चोटी है, जो आंध्र प्रदेश में स्थित है।
नॉर्दर्न सर्कार्स महानदी और कृष्णा नदियों के बीच स्थित है, जो ओडिशा और आंध्र प्रदेश राज्यों में फैला हुआ है।
पूर्वी तटीय मैदान का दूसरा भाग, जिसे कोरोमंडल तट कहा जाता है, कृष्णा और कावेरी नदियों के बीच स्थित है। यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु राज्यों में स्थित है।
उत्कल तट – ओडिशा का तट। पश्चिमी और पूर्वी घाटों के बीच अंतर: पश्चिमी घाट अरबी सागर के किनारे पर स्थित हैं, जबकि पूर्वी घाट बंगाल की खाड़ी के किनारे पर स्थित हैं। पश्चिमी घाट निरंतर हैं, जबकि पूर्वी घाट में कई अंतराल हैं। उत्तर से दक्षिण की ओर जाते हुए, पश्चिमी घाट की ऊँचाई बढ़ती है, जबकि पूर्वी घाट की ऊँचाई घटती जाती है। पश्चिमी घाट की ऊँचाई पूर्वी घाट से अधिक है। अन्य पहाड़ियाँ:
गाविलगढ़ पहाड़ियाँ – महाराष्ट्र
हरीशचंद्र श्रेणी – महाराष्ट्र
राजमहल पहाड़ियाँ – झारखंड
गढ़जात पहाड़ियाँ – ओडिशा
सिरुमलाई पहाड़ियाँ – तमिलनाडु
शेषाचलम पहाड़ियाँ – आंध्र प्रदेश (यहां श्री वेंकटेश्वर मंदिर “तिरुमाला” स्थित है)
वरुसनाडू पहाड़ियाँ – तमिलनाडु
1. स्थान और भूगोल
- पूर्वी घाट भारतीय उपमहाद्वीप के पूर्वी भाग में स्थित है।
- यह घाट ओडिशा, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, और तमिलनाडु से होकर गुजरता है।
- इसकी लंबाई लगभग 1,500 किलोमीटर है और औसत ऊँचाई 600 से 1,200 मीटर के बीच है।
2. भूगर्भीय संरचना
- पूर्वी घाट मुख्यतः ग्रेनाइट, ग्नीसिस, और अन्य प्राचीन चट्टानों से बना है।
- यह पर्वत श्रृंखला प्रोटेरोज़ोइक काल से संबंधित है और इसका निर्माण लगभग 3,000 से 4,000 मिलियन वर्ष पहले हुआ था।
3. जलवायु
- पूर्वी घाट में मानसून का प्रभाव कम है, जिससे यहाँ की वर्षा की मात्रा 800 से 1,200 मिमी के बीच होती है।
- यहाँ की जलवायु उष्णकटिबंधीय है, लेकिन कुछ क्षेत्रों में शुष्क भी होती है।
4. जैव विविधता
- पूर्वी घाट क्षेत्र में जैव विविधता कम है, लेकिन यहाँ कुछ अद्वितीय वन्यजीवों और वनस्पतियों की प्रजातियाँ पाई जाती हैं।
- यहाँ के जंगलों में विभिन्न प्रकार के वृक्ष, जैसे कि सागवान, सागौन, और अन्य वनस्पतियाँ शामिल हैं।
5. आर्थिक महत्व
- पूर्वी घाट में खनिज संसाधनों की प्रचुरता है, जैसे कि लौह अयस्क, कोयला, और बॉक्साइट।
- यहाँ कृषि भी महत्वपूर्ण है, जहाँ धान, ज्वार, और बाजरा जैसे फसलों की खेती की जाती है।
सामान्य तुलना
विशेषता | पश्चिमी घाट | पूर्वी घाट |
---|---|---|
स्थान | पश्चिमी भारत | पूर्वी भारत |
लंबाई | 1,600 किमी | 1,500 किमी |
ऊँचाई | 1,200-1,500 मीटर | 600-1,200 मीटर |
जलवायु | उष्णकटिबंधीय, अधिक वर्षा | उष्णकटिबंधीय, कम वर्षा |
भूगर्भीय संरचना | बेसाल्टिक चट्टानें | ग्रेनाइट, ग्नीसिस |
जैव विविधता | उच्च, विश्व धरोहर स्थल | मध्यम |
आर्थिक गतिविधियाँ | चाय, कॉफी, पर्यटन | खनन, कृषि |
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