झीलें विभिन्न प्रकार की होती हैं और इनका वर्गीकरण कई आधारों पर किया जाता है, जैसे उनकी उत्पत्ति, स्थान, पानी के प्रकार, और उनके निर्माण के कारण।
यहां झीलों के प्रमुख प्रकारों का विवरण दिया गया है:
1. उत्पत्ति के आधार पर झीलों के प्रकार
- टेक्टोनिक झीलें: ये झीलें पृथ्वी की प्लेटों के खिसकने या दरार पड़ने के कारण बनती हैं। जब प्लेटों में दरारें या भू-स्खलन होता है, तो निचले क्षेत्रों में पानी भर जाता है और झील का निर्माण होता है। उदाहरण: कैस्पियन सागर, बायकल झील (रूस)।
- ज्वालामुखीय झीलें: ज्वालामुखी के विस्फोट के बाद बने क्रेटर में पानी भर जाने से इन झीलों का निर्माण होता है। ज्वालामुखी शान्त होने के बाद क्रेटर में वर्षा जल या भूमिगत जल भरकर झील बन जाती है। उदाहरण: लोनार झील (महाराष्ट्र, भारत)।
- ग्लेशियर झीलें: ये झीलें हिमनदों के पिघलने से बनती हैं। जब ग्लेशियर पिघलते हैं, तो उनके पीछे एक खोखला स्थान रह जाता है, जिसमें पानी भर जाता है। उदाहरण: वूलर झील (कश्मीर), ग्रेट लेक्स (उत्तरी अमेरिका)।
- नदीजनित झीलें (फ्लुवियल लेक्स): जब नदियाँ अपने मार्ग में मोड़ बनाती हैं और उस मोड़ को छोड़ देती हैं, तो उससे अलग हुई जलधारा एक झील का निर्माण करती है। इस प्रकार की झीलें अधिकतर मैदानों में पाई जाती हैं। उदाहरण: ओक्सबो झीलें।
- क्षारीय झीलें: ये झीलें अत्यधिक खारे या क्षारीय पानी वाली होती हैं, क्योंकि इनमें पानी का निकास नहीं होता है और वाष्पीकरण के कारण खनिज जमा हो जाते हैं। उदाहरण: सांभर झील (राजस्थान, भारत)।
2. पानी के प्रकार के आधार पर झीलें
- मीठे पानी की झीलें: ये झीलें मीठे पानी से भरी होती हैं और इनमें नमक की मात्रा कम होती है। ऐसी झीलों का जल पीने के लिए भी उपयोग किया जाता है। उदाहरण: डल झील (कश्मीर, भारत)।
- खारे पानी की झीलें: इन झीलों में पानी खारा होता है, क्योंकि इनका जल प्रवाह बाहर की ओर नहीं होता और वाष्पीकरण से नमक की मात्रा बढ़ जाती है। उदाहरण: डेड सी (इस्राइल और जॉर्डन), चिल्का झील (ओडिशा, भारत)।
3. स्थान के आधार पर झीलें
- पर्वतीय झीलें: ये झीलें पर्वतीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं और सामान्यत: ग्लेशियर या हिमनदी द्वारा निर्मित होती हैं। उदाहरण: रूपकुंड झील (उत्तराखंड, भारत)।
- मरुस्थलीय झीलें: ये झीलें शुष्क मरुस्थलीय क्षेत्रों में पाई जाती हैं। अधिकांश समय इनमें पानी नहीं रहता, लेकिन वर्षा के बाद इनमें अस्थायी रूप से पानी भर जाता है। उदाहरण: थार मरुस्थल की पचपदरा झील।
- समुद्र तटीय झीलें: ये झीलें समुद्र तट के पास होती हैं और आमतौर पर एक पतली रेतीली पट्टी समुद्र के पानी को अवरुद्ध करती है, जिससे झील बनती है। उदाहरण: पुलिकट झील (भारत)।
4. झील के आकार और संरचना के आधार पर
- कृत्रिम झीलें: ये झीलें मानव निर्मित होती हैं और इनके निर्माण का उद्देश्य सिंचाई, जल आपूर्ति, बिजली उत्पादन, और पर्यटन होता है। उदाहरण: गोविंद सागर झील (भाखड़ा नांगल बाँध, भारत)।
- प्राकृतिक झीलें: ये झीलें प्राकृतिक प्रक्रियाओं जैसे टेक्टोनिक हलचल, ज्वालामुखी विस्फोट, या ग्लेशियर पिघलने से बनती हैं। उदाहरण: नैनी झील (उत्तराखंड, भारत)।
5. अन्य प्रकार की झीलें
- तालाब (Pond): यह भी एक प्रकार की झील होती है, परंतु इसकी गहराई और आकार छोटा होता है।
- वेटलैंड या दलदली झीलें: ऐसी झीलें जहाँ पानी स्थिर होता है और आसपास का क्षेत्र दलदली हो जाता है। ये जैव विविधता के लिए महत्त्वपूर्ण हैं। उदाहरण: सुंदरवन वेटलैंड्स (भारत)।
- थर्मल झीलें: ये झीलें उन क्षेत्रों में पाई जाती हैं जहाँ भूमिगत तापीय स्रोतों के कारण झील का पानी गर्म होता है।
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